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27 अगस्त की शनि अमावस्या इन राशियों के लिए अहम, इन उपायों से कम होगा शनि का अशुभ प्रभाव
भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्याको भाद्रपद अमावस्या या भादो अमावस्या कहा जाता है। यह अमावस्या पितृ पक्ष के पहले आती है। इस दिन दान-पुण्य करना, तर्पण व पिंडदान आदि करना बेहद शुभ माना जाता है। मान्यता है कि यह दिन पितृ दोष, काल सर्प दोष से मुक्ति के लिए भी खास होता है। इस साल भाद्रपद अमावस्या 27 अगस्त, शनिवार को पड़ रही है।
शनिश्चरी अमावस्या का संयोग-
शनिवार के दिन पड़ने वाली अमावस्या को शनिश्चरी अमावस्या कहा जाता है। शनिवार का दिन शनिदेव को समर्पित माना गया है। ऐसे में शनिश्चरी अमावस्या का दिन शनि की महादशा से पीड़ित राशियों के लिए खास माना गया है। इस दिन शनि साढ़ेसाती व शनि ढैय्या से पीड़ित राशियों के लोग कुछ उपायों के जरिए शनिदेव का अशुभ प्रभाव कम कर सकते हैं।
ये राशियां शनि साढ़ेसाती व ढैय्या से पीड़ित-
वर्तमान में शनिदेव मकर राशि में वक्री अवस्था में विराजमान हैं। ऐसे में धनु, मकर व कुंभ राशि के जातकों पर शनि की साढ़ेसाती चल रही है। जबकि मिथुन व तुला राशि वालों पर शनि ढैय्या का प्रभाव है। शनि ढैय्या व साढ़ेसाती से पीड़ित राशि वालों को शारीरिक, आर्थिक व मानसिक कष्टों का सामना करना पड़ता है।
शनिदेव को प्रसन्न करने के उपाय-
1. शनि की साढ़ेसाती व ढैय्या से पीड़ित जातक शनि के अशुभ प्रभावों को कम करने के लिए शनिचरी अमावस्या के दिन सरसों के तेल से शनिदेव की पूजा करें। इसके साथ ही काली उड़द दाल से बनी इमरती प्रसाद के रूप में अर्पित करें।
2. शनिचरी अमावस्या के दिन पहले यानी शुक्रवार को सवा पाव काली उड़द की दाल को एक कपड़े में बांध लें। इस पोटली को अपने पास रात में रखकर सो जाएं। ध्यान रहे कि आप अकेले ही सोएं। शनिचरी अमावस्या के दिन इस दाल की पोटली को किसी शनि मंदिर में रखें। मान्यता है कि ऐसा करने से जीवन में सुख-समृद्धि आती है।
3. शनिचरी अमावस्या के दिन एक कांसे की कटोरी में सरसों का तेल और सिक्का डालकर उसमें अपनी परछाई देखें और किसी गरीब या जरूरतमंद व्यक्ति को दान कर दें या शनि मंदिर में कटोरी सहित तेल रखकर आएं। इसके साथ ही पीपल के पेड़ के नीचे सरसों के तेल का दीपक जलाएं। मान्यता है कि यह उपाय कम से कम पांच शनिवार करने से शनिदोष में लाभ मिलता है।