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जनता से रिश्ता वेबडेस्क | हर साल माघ मास की पूर्णिमा (Magh Purnima) तिथि को संत रविदास (Sant Ravidas) की जयंती के रूप में मनाया जाता है. रविदास एक महान संत होने के साथ दर्शनशास्त्री, कवि, समाज-सुधारक और ईश्वर के अनुयायी थे. कहा जाता है कि संत रविदास का व्यक्तित्व इतना सहज और प्रभावशाली था कि कबीरदास (Kabir Das) ने भी उन्हें 'संतन में रविदास' कहकर संबोधित किया है. उन्हें कबीरदास का गुरुभाई भी कहा जाता है. मान्यता है कि मीराबाई, चित्तौड़ के सम्राट राणा सांगा और उनकी पत्नी जैसे तमाम लोग उनके अनुयायी थे. संत रविदास कभी किसी को जाति से ऊंचा या नीचा नहीं मानते थे, वे मानवता में यकीन करते थे. उनका मानना था कि मानव ईश्वर की एक रचना है और सभी मानव एक समान हैं, उनके अधिकार भी समान हैं. यही वजह है कि संत रविदास की शिष्यों में हर जाति और धर्म के लोग शामिल थे.