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देखते ही देखते समुद्र पर तैयार होने लगा पुल, श्री राम ने की रामेश्वर शिवलिंग की स्थापना
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। Interesting Story: लंका की अशोक वाटिका में सीता माता की स्थिति को जानकर प्रभु श्री राम को अपार दुख हुआ. सुग्रीव जी (Sugriv Ji) के आदेश पर भालू-वानरों की भारी सेना एकत्र हो गई. अब समस्या थी कि किस तरह समुद्र के उस पार जाकर लंका में रावण को युद्ध में पराजित कर सीता माता को लाया जाए. धनुष पर बाण चढ़ाते ही समुद्र ने प्रभु से क्षमा मांगते हुए विनयपूर्वक कहा कि आपके यहां नल नील नामक दो भाई हैं, ये दोनों समुद्र पर सेतु बना सकते हैं क्योंकि इनके स्पर्श से भारी पत्थर भी समुद्र (Sea) में तैरने लगेंगे. समुद्र के जाने के बाद जाम्बवन्त जी ने हाथ जोड़कर प्रभु से कहा कि हे सूर्यकुल के ध्वजा वाहक श्री राम, सेतु तो आपका ही नाम है जिनका सहारा पाकर मनुष्य संसार रूपी समुद्र को पार कर जाता है. तो फिर यह तो बहुत छोटा सा समुद्र है. जाम्बवन्त जी (Jamwant Ji) ने नल नील दोनों भाइयों को बुलाकर पूरी बात विस्तार से बताते हुए कहा कि श्री राम जी के प्रताप को स्मरण कर सेतु तैयार करो, इसमें कुछ भी परिश्रम नहीं लगेगा.