धर्म-अध्यात्म

मां पार्वती को तपस्या में लीन देख शेर ने नहीं की कोई गुस्ताखी जाने वजह

Shiddhant Shriwas
10 Oct 2021 6:21 AM GMT
मां पार्वती को तपस्या में लीन देख शेर ने नहीं की कोई गुस्ताखी जाने वजह
x
शारदीय नवरात्रि की आज पांचवी तिथि है. आज के दिन मां दुर्गा के पांचवें स्वरूप मां स्कंदमाता की पूजा-अर्चना की जाती है.

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। शारदीय नवरात्रि की आज पांचवी तिथि है. आज के दिन मां दुर्गा के पांचवें स्वरूप मां स्कंदमाता की पूजा-अर्चना की जाती है. आज हम यहां आपको एक ऐसी कथा बताने जा रहे हैं जो देवी दुर्गा और उनके वाहन शेर से जुड़ी है. शक्ति का रूप दुर्गा, जिन्हें पूरा जगत मानता है. मां दुर्गा को हम जैसे सामान्य मनुष्य ही नहीं बल्कि सभी देव भी उनकी अनुकम्पा से प्रभावित रहते हैं. एक पौराणिक आख्यान के अनुसार मां दुर्गा को यूं ही शेर की सवारी प्राप्त नहीं हुई थी, इसके पीछे एक बेहद ही रोचक कथा है. धार्मिक इतिहास के अनुसार भगवान शिव को पतिक रूप में पाने के लिए देवी पार्वती ने हजारों वर्ष तक तपस्या की थी.

घोर तपस्या की वजह से सांवला हो गया था मां पार्वती का रंग
मान्यताओं के मुताबिक मां पार्वती की तपस्या में इतना तेज था कि उसके प्रभाव से देवी का रंग सांवला हो गया था. इस कठोर तपस्या के बाद भगवान शिव तथा पार्वती का विवाह भी हुआ एवं संतान के रूप में उन्हें कार्तिकेय एवं गणेश की प्राप्ति भी हुई. एक कथा के अनुसार भगवान शिव से विवाह के बाद एक दिन जब भगवान शिव और माता पार्वती साथ बैठे थे तभी भगवान शिव ने मां पार्वती से मजाक करते हुए उन्हें काली कह दिया था. देवी पार्वती को भगवान शिव की यह बात चुभ गई और वे कैलाश छोड़कर वापस तपस्या करने में लीन हो गईं.
मां पार्वती को तपस्या में लीन देख शेर ने नहीं की कोई गुस्ताखी
जब माता पार्वती तपस्या में लीन थीं, उसी बीच एक भूखा शेर देवी को खाने की इच्छा से वहां पहुंचा. लेकिन देवी को तपस्या में लीन देखकर वह वहीं चुपचाप बैठ गया. न जाने क्यों वह भूखा शेर देवी की तपस्या को भंग नहीं करना चाहता था. वह सोचने लगा कि देवी कब तपस्या से उठें और वह उन्हें अपना आहार बनाए. इस बीच कई साल बीत गए लेकिन शेर अपनी जगह पर डटा रहा. कई वर्ष बीत गए लेकिन माता पार्वती अभी भी तपस्या में ही मग्न थीं. वे तप से उठने का फैसला किसी भी हाल में नहीं लेना चाहती थीं. लेकिन तभी भगवान शिव वहां प्रकट हुए और देवी को गोरे होने का वरदान देकर चले गए.
तो इस वजह से मां पार्वती को कहा जाता है गौरी
थोड़ी देर बाद माता पार्वती तप से उठीं और गंगा स्नान किया. स्नान के तुरंत बाद ही अचानक उनके भीतर से एक और देवी प्रकट हुईं. उनका रंग बेहद काला था. उस काली देवी के माता पार्वती के भीतर से निकलते ही देवी पार्वती का रंग गोरा हो गया. इसी कथा के अनुसार माता के भीतर से निकली देवी का नाम कौशिकी पड़ा और गोरी हो चुकी माता सम्पूर्ण जगत में 'माता गौरी' कहलाईं.
स्नान के बाद देवी ने अपने निकट एक शेर को पाया, जो वर्षों से उन्हें खाने की ललक में बैठा था. लेकिन देवी की तरह ही वह वर्षों से एक तपस्या में था, जिसका वरदान माता ने उसे अपना वाहन बनाकर दिया. देवी उस सिंह की तपस्या से अति प्रसन्न हुई थीं, इसलिए उन्होंने अपनी शक्ति से उस सिंह पर नियंत्रण पाकर उसे अपना वाहन बना लिया.


Next Story