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अपनी पत्नी को देख आपा खो बैठे पांडु और चली गई पांडवों के पिता की जान जानिए

महाभारत में पांडवों के पिता पांडु की मृत्यु की कथा विचित्र है। पांडु ने एक बार गलती से अपनी पत्नी माद्री के साथ शारीरिक संबंध बना लिए और फिर उनकी जान चली गई। ऐसा एक ऋषि के श्राप की वजह से हुआ था।
Mahabharat Katha: अपनी पत्नी को देख आपा खो बैठे पांडु और चली गई पांडवों के पिता की जान
द्वापर युग में घटित महाभारत महाकाव्य में कई विचित्र कथाएं हैं। पांडु की पत्नी कुंती और माद्री ने पांच तेजस्वी और बलवान पुत्रों को जन्म दिया था, जिन्हें पांडव के नाम से पुकारा जाता है। मगर उनका जन्म पांडु के जरिए नहीं हुआ था, बल्कि कुंती और माद्री ने देवों की आराधना करके पांडवों को पैदा किया था। दरअसल, पांडु को किंदम ऋषि ने श्राप दिया था कि वह किसी भी स्त्री से शारीरिक संबंध नहीं बना सकेंगे। अगर वे ऐसा करेंगे तो उनकी मृत्यु हो जाएगी। यही श्राप एक दिन पांडवों के आध्यात्मिक पिता पांडु की मृत्यु का कारण बन गया। पढ़िए महाभारत की अनोखी कहानी।
पांडु एक बार जंगल में शिकार पर गए थे। उन्हें दूर झाड़ियों में थोड़ी हलचल दिखाई दी। पांडु को लगा कि झाड़ियों के पीछे कोई हिरण छिपा हुआ है। उन्होंने बाण निकाला और झाड़ी की ओर निशाना साध दिया। जैसे ही बाण झाड़ियों के भीतर घुसा वहां से किसी इंसान के चीखने की आवाज आई। पांडु डरकर वहां पहुंचे तो देखा कि एक ऋषि जमीन पर जख्मी हालत में पड़े हुए हैं।
उन ऋषि का नाम किंदम था। जिस समय पांडु ने बाण चलाया, ऋषि किंदम अपनी पत्नी के साथ संबंध बना रहे थे। मृत्यु शैया पर लेटे ऋषि ने पांडु को श्राप दिया कि मेरी मौत जिस तरह हो रही है, तुम्हारी जान भी इसी तरह जाएगी। अगर तुम किसी भी स्त्री के साथ संबंध बनाओगे तो मृत्यु को प्यारे हो जाओगा। यह कहकर ऋषि किंदम ने अपने प्राण त्याग दिए।
ऋषि के श्राप की वजह से पांडु अब किसी भी स्त्री के साथ शारीरिक संबंध नहीं बना सकते थे। वे चिंतित रहने लगे कि वह अपने कुल को आगे नहीं बढ़ा सकेंगे। इस बात से पांडु की पत्नी कुंती और माद्री भी चिंतित रहने लगीं। एक दिन पांडु को पता चला कि उनकी पत्नी कुंती के पास अनोखा वरदान है। वह देवों का आह्वान करके मनचाही वस्तु हासिल कर सकती हैं।
पांडु ने कुंती से आग्रह किया कि वह अपने कुल को आगे बढ़ाने के लिए देवों का आह्वान करें। बहुत मना करने के बाद भी जब पांडु नहीं मानें तो कुंती ने हामी भर दी। कुंती ने धर्म का आह्वान किया और उनकी कृपा से युधिष्ठिर का जन्म हुआ। इसके बाद उन्होंने वायुदेव और इंद्रदेव का आह्वान किया और भीम एवं अर्जुन पैदा हुआ।
फिर कुंती ने अपना वरदान पांडु की दूसरी पत्नी माद्री को सौंप दिया। माद्री ने भी अश्विनी कुमारों का आह्वान करके नकुल और सहदेव को जन्म दिया। इस तरह देवों की कृपा से पांडव धरती पर आए।
कैसे हुई पांडु की मृत्यु?
कुंती और माद्री के मां बनने के बाद पांडु के परिवार में खुशियां आ गई थीं। उनके सभी पुत्र तेजस्वी और गुणवान थे। एक दिन पांडु अपनी पत्नी माद्री के साथ नदी किनारे भ्रमण पर गए। उस दिन मौसम सुहावना हो गया। ठंडी और सुगंधित हवा चलने लगी। हवा के झोंके से माद्री के तन का कपड़ा उड़ गया। जैसे पांडु की नजर माद्री पर पड़ी वह अपना आपा खो बैठे और उनके साथ संबंध बना लिए। इस तरह ऋषि किंदम के श्राप की वजह से पांडु की मृत्यु हो गई। माद्री यह सहन नहीं कर सकीं और अपने पति के साथ वह भी सती हो गईं।