धर्म-अध्यात्म

आज से शुरू होगा गुप्त नवरात्रि व्रत, माता रानी को प्रसन्न करने के लिए इन मंत्रों का करे जाप

Subhi
2 Feb 2022 2:13 AM GMT
आज से शुरू होगा गुप्त नवरात्रि व्रत, माता रानी को प्रसन्न करने के लिए इन मंत्रों का करे जाप
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मां दुर्गा की साधना का पर्व नवरात्रि साल में दो नहीं बल्कि चार बार आता है। हिंदी महीनों के अनुसार प्रथम चैत्र मास में पहली वासंतिक नवरात्रि, चौथे मास यानि कि आषाढ़ मास में दूसरी नवरात्रि, आश्विन मास में तीसरी यानि शारदीय नवरात्रि और ग्यारहवें मास यानि माघ मास में चौथी नवरात्रि आती है।

मां दुर्गा की साधना का पर्व नवरात्रि साल में दो नहीं बल्कि चार बार आता है। हिंदी महीनों के अनुसार प्रथम चैत्र मास में पहली वासंतिक नवरात्रि, चौथे मास यानि कि आषाढ़ मास में दूसरी नवरात्रि, आश्विन मास में तीसरी यानि शारदीय नवरात्रि और ग्यारहवें मास यानि माघ मास में चौथी नवरात्रि आती है। माघ मास में पड़ने वाली नवरात्रि को माघ गुप्त नवरात्रि कहते हैं। माघ मास के शुक्लपक्ष की प्रतिपदा यानि 02 फरवरी 2022 से माघ गुप्त नवरात्रि आरंभ है और इसका समापन 11 फरवरी को होगा। गुप्त नवरात्रि में दस महाविद्याओं की साधना की जाती है। ज्यादातर साधक गुप्त नवरात्रि के दौरान तांत्रिक साधना करते हैं। आइए जानते हैं दस महाविद्याओं और उन देवियों के मंत्र के बारे में जिनके पूजन से मां प्रसन्न होती है।

गुप्त नवरात्रि में जिन दस महाविद्या देवियों की पूजा की जाती है वो हैं मां काली, मां तारा, भुवनेश्वरी देवी, त्रिपुर सुंदरी माता, मां छिन्नमस्तिका, त्रिपुर भैरवी, धूमावती, बगलामुखी, देवी मातंगी और मां कमला।

गुप्त नवरात्रि में माता दुर्गा की शक्ति पूजा एवं अराधना अधिक कठिन होती है और माता की पूजा गुप्त रूप से की जाती है, यही कारण है कि इसे गुप्त नवरात्रि कैट हैं। गुप्त नवरात्रि में 10 महाविद्याओं के पूजन के दौरान अखंड ज्योति प्रज्ज्वलित की जाती है। प्रात:काल एवं संध्या के समय देवी की पूजा अर्चना की जाती है। जो साधक तंत्र साधना करते हैं वो गुप्त नवरात्रि में दस महाविद्याओं की साधना करते हैं। चैत्र या शारदीय नवरात्रि की तरह ही गुप्त नवरात्रि में नौ दिनों तक दुर्गा सप्तशति का पाठ किया जाता है। अष्टमी या नवमी के दिन कन्या पूजन कर व्रत पूर्ण होता है।

गुप्त नवरात्रि में दस महाविद्याओं का पूजन किया जाता है। भागवत पुराण के अनुसार महाकाली के उग्र और सौम्य दो रूपों में अनेक रूप धारण करने वाली दस महाविद्याएं कहलाती है। इन दस महाविद्या को देवी दुर्गा के दस रूप कहे जाते हैं। इन दस महाविद्याओं को तंत्र साधना में बहुत उपयोगी और महत्वपूर्ण माना जाता है। आइए जानते हैं इन 10 महाविद्याओं के बारे में और उनके पूजन मंत्र के बारे में-

1. देवी काली: दस महाविद्याओं में से एक मानी जाती हैं मां काली। तंत्र साधना में तांत्रिक देवी काली के रूप की उपासना करते हैं। इनका पूजन इस मंत्र से किया जाता है।

मंत्र- ॐ क्रीं क्रीं क्रीं दक्षिणे कालिके क्रीं क्रीं क्रीं स्वाहाः

2. देवी तारा: दस महाविद्याओं में से मां तारा की उपासना तंत्र साधकों के लिए सर्वसिद्धिकारक मानी जाती है। मां तारा महासुन्दरी कला-स्वरूपा हैं तथा देवी तारा सबकी मुक्ति का विधान रचती हैं। इनकी आराधना के लिए साधक इस मंत्र से उनका पूजन कर सकते हैं।

मंत्र- ॐ ह्रीं स्त्रीं हुं फट

3. मां भुवनेश्वरी: माता भुवनेश्वरी सृष्टि के ऐश्वयर की स्वामिनी हैं। भुवनेश्वरी माता सर्वोच्च सत्ता की प्रतीक हैं। इनके मंत्र को समस्त देवी देवताओं की आराधना में विशेष शक्ति दायक माना जाता है। मां भुवनेश्वरी की आराधना के लिए इस मंत्र से पूजन करें।

मंत्र- ॐ ऐं ह्रीं श्रीं नमः

4. त्रिपुर सुंदरी: त्रिपुर सुंदरी की आराधना करने वाले भक्त को लौकिक और पारलौकिक शक्तियां प्राप्त होती हैं। तंत्र शास्त्र में मारण, मोहन, वशीकरण, उच्चाटन और स्तम्भन की महत्ता है। अर्थात शमन और दमन करने की शक्ति है। देवी शास्त्र में यही शक्तियां कही गई हैं। मां का पूजन नीचे दिए गए मंत्र से करें।

मंत्र- ॐ ऐं ह्रीं श्रीं त्रिपुर सुंदरीयै नमः

5. त्रिपुर भैरवी: मां त्रिपुर भैरवी तमोगुण एवं रजोगुण से परिपूर्ण हैं। मां त्रिपुर भैरवी के बीज मंत्रों का जप करने से एक साथ अनेक संकटों से मुक्ति मिल जाती है। त्रिपुर भैरवी के पूजन के लिए इस मंत्र का जाप करें।

मंत्र- ॐ ह्रीं भैरवी कलौं ह्रीं स्वाहा:

6. माता छिन्नमस्तिका: मां छिन्नमस्तिका को मां चिंतपूर्णी के नाम से भी जाना जाता है। मां भक्तों के सभी कष्टों को मुक्त कर देने वाली है। मां का पूजन नीचे दिए गए मंत्र से यदि साधक करते हैं उन्हे फल अवश्य मिलेगा।

मंत्र- 'श्रीं ह्रीं क्लीं ऐं वज्र वैरोचनीयै हूं हूं फट स्वाहा:'

7. मां धूमावती: मां धूमावती के दर्शन पूजन से अभीष्ट फल की प्राप्ति होती है। मां धूमावती जी का रूप अत्यंत भयंकर हैं इन्होंने ऐसा रूप शत्रुओं के संहार के लिए ही धारण किया है। इनको प्रसन्न करने के लिए इस मंत्र का जाप करें।

मंत्र- ॐ धूं धूं धूमावती देव्यै स्वाहा:

8. मां बगलामुखी: मां बगलामुखी स्तंभन की अधिष्ठात्री देवी हैं। इनकी उपासना से शत्रुओं का नाश होता है तथा भक्त का जीवन हर प्रकार की बाधा से मुक्त हो जाता है। मां को प्रसन्न करने के लिए इस मंत्र से करें उनकी आराधना।

मंत्र- ॐ ह्लीं बगलामुखी देव्यै ह्लीं ॐ नम:

9. देवी मातंगी: यह वाणी और संगीत की अधिष्ठात्री देवी कही जाती हैं। इनमें संपूर्ण ब्रह्माण्ड की शक्ति का समावेश हैं। भगवती मातंगी अपने भक्तों को अभय का फल प्रदान करती हैं।

की शक्ति का समावेश हैं। भगवती मातंगी अपने भक्तों को अभय का फल प्रदान करती हैं।

मंत्र- ॐ ह्रीं ऐं भगवती मतंगेश्वरी श्रीं स्वाहा:

10. माता कमला: मां कमला सुख संपदा की प्रतीक हैं। वे धन संपदा की आधिष्ठात्री देवी हैं , भौतिक सुख की इच्छा रखने वालों के लिए इनकी आराधना सर्वश्रेष्ठ मानी जाती हैं।

मंत्र- ॐ हसौ: जगत प्रसुत्तयै स्वाहा:

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