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सावन का तीसरा मंगला गौरी व्रत आज, जानें पूजा विधि, कथा और आरती
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। सावन का तीसरा मंगला गौरी व्रत 10 अगस्त को रखा जाएगा। यह व्रत सुहागिन महिलाएं अखंड सौभाग्यवती की कामना के लिए करती हैं। मान्यता है कि मंगला गौरी व्रत में विधि पूर्वक करने से अखंड सौभाग्य का आशीर्वाद प्राप्त होता है और दांपत्य जीवन में अथाह प्रेम बना रहता है। संतान प्राप्ति की कामना रखने वाली स्त्रियों के लिए भी यह व्रत बहुत शुभफलदायी रहता है। यदि किसी के दांपत्य जीवन में समस्याएं बनी हुई हैं तो उन्हें मंगला गौरी व्रत करना चाहिए। इससे दांपत्य जीवन का कलह-कष्ट व अन्य सभी समस्याएं दूर होती है। इस व्रत को पूरी श्रद्धा भावना के साथ करना चाहिए।
मंगला गौरी व्रत विधि
सूर्योदय से पहले उठें। इसके बाद स्नानादि करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
अब एक साफ लकड़ी की चौकी पर लाल रंग का वस्त्र बिछाएं।
उसपर मां गौरी की प्रतिमा या तस्वीर स्थापित करें।
मां के समक्ष व्रत का संकल्प करें व आटे से बना हुआ दीपक प्रज्वलित करें।
इसके बाद धूप, नैवेद्य फल-फूल आदि से मां गौरी का षोडशोपचार पूजन करें।
पूजा पूर्ण होने पर मां गौरी की आरती करें और उनसे प्रार्थना करें।
मंगला गौरी व्रत की कथा
पौराणिक कथा के अनुसा, एक समय की बात है एक शहर में धरमपाल नाम का एक व्यापारी रहता था। उसकी पत्नी बहुत खूबसूरत थी और उसके पास धन संपत्ति की भी कोई कमी नहीं थी लेकिन संतान न होने के कारण वे दोनों बहुत ही दु:खी रहा करते थे। कुछ समय के बाद ईश्वर की कृपा से उनको एक पुत्र की प्राप्ति हुई परंतु वह अल्पायु था। उसे श्राप मिला था कि 16 वर्ष की आयु में सर्प के काटने से उसकी मृत्यु हो जाएगी। संयोग से उसकी शादी 16 वर्ष की आयु पूर्ण होने से पहले ही हो गई। जिस कन्या से उसका विवाह हुआ था उस कन्या की माता मंगला गौरी व्रत किया करती थी।
मां गौरी के इस व्रत की महिमा के प्रभाव से चलते उस महिला की कन्या को आशीर्वाद प्राप्त था कि वह कभी विधवा नहीं हो सकती। कहा जाता है कि अपनी माता के इसी व्रत के प्रताप से धरमपाल की बहु को अखंड सौभाग्य की प्राप्ति हुई और उसके पति को 100 वर्ष की लंबी आयु प्राप्त हुई। तभी से ही मंगला गौरी व्रत की शुरुआत मानी गई है। मान्यता है कि यह व्रत करने से महिलाओं को अखंड सौभाग्य की प्राप्ति तो होती ही है साथ ही दांपत्य जीवन में सदैव ही प्रेम भी बना रहता है।
मंगला गौरी आरती
जय मंगला गौरी माता, जय मंगला गौरी माता
ब्रह्मा सनातन देवी शुभ फल दाता। जय मंगला गौरी...।
अरिकुल पद्मा विनासनी जय सेवक त्राता,
जग जीवन जगदम्बा हरिहर गुण गाता। जय मंगला गौरी...।
सिंह को वाहन साजे कुंडल है,
साथा देव वधु जहं गावत नृत्य करता था। जय मंगला गौरी...।
सतयुग शील सुसुन्दर नाम सटी कहलाता,
हेमांचल घर जन्मी सखियन रंगराता। जय मंगला गौरी...।
शुम्भ निशुम्भ विदारे हेमांचल स्याता,
सहस भुजा तनु धरिके चक्र लियो हाता। जय मंगला गौरी...।
सृष्टी रूप तुही जननी शिव संग रंगराताए
नंदी भृंगी बीन लाही सारा मद माता। जय मंगला गौरी...।
देवन अरज करत हम चित को लाता,
गावत दे दे ताली मन में रंगराता। जय मंगला गौरी...।
मंगला गौरी माता की आरती जो कोई गाता
सदा सुख संपति पाता।
जय मंगला गौरी माता, जय मंगला गौरी माता।।