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सावन का आखिरी सोमवार व्रत, जानें मुहूर्त, व्रत विधि और महत्व
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। सावन का चौथा और आखिरी सोमवार 16 अगस्त को है। सावन सोमवार के दिन भगवान शिव की पूजा विधि-विधान से की जाती है। इस दिन सावन सोमवार का व्रत किया जाता है। मान्यता है कि जो व्यक्ति सावन सोमवार व्रत सच्चे मन से रखता है उसकी समस्त मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती हैं। हिन्दू पंचांग के अनुसार, सावन सोमवार के दिन प्रात: 07 बजकर 47 मिनट पर श्रावण मास की शुक्ल पक्ष की अष्टमी की तिथि का समापन होगा और इसके बाद नवमी की तिथि आरंभ होगी। ऐसे में सावन के आखिरी सोमवार पर अष्टमी और नवमी की तिथि का विशेष संयोग बन रहा है। वहीं चंद्रमा वृश्चिक राशि में स्थित होंगे। इस साल श्रावण मास में चार सावन पड़े हैं। श्रावण मास 22 अगस्त को समाप्त हो जाएगा और इसके बाद भाद्रपद मास प्रारंभ हो जाएगा। इस दिन भोलेनाथ का अभिषेक करना अच्छा माना गया है। सावन सोमवार में भगवान शिव की पूजा करने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। सावन सोमवार में राहु काल का विशेष ध्यान रखना चाहिए। राहु काल को अशुभ योग माना गया है। इस योग में पूजा और शुभ कार्य नहीं किए जाते हैं।
राहुकाल का समय
16 अगस्त को राहु काल का समय प्रात: 07 बजकर 32 मिनट से प्रात: 09 बजकर 09 मिनट तक रहेगा। इस दिन अभिजीत मुहूर्त प्रात: 11 बजकर 59 मिनट से दोपहर 12 बजकर 51 मिनट तक है। माना जाता है कि इस समय कोई भी कार्य करने पर विजय प्राप्त होती है।
सावन सोमवार व्रत विधि
सुबह दिन जल्दी उठकर स्नान करें और व्रत का संकल्प करें। फिर शिव मंदिर जाकर भोलेनाथ का गंगा जल चढ़ाएं। साथ ही माता पार्वती और नंदीजी को भी गंगाजल या दूध चढ़ाएं। पंचामृत से रुद्राभिषेक करें, बिल्व पत्र अर्पित करें। भगवान शिव को उनकी प्रिय चीजें भांग-धतूरा, चंदन, अक्षत चढ़ाएं। प्रसाद के रूप में भगवान शिव को घी शक्कर का भोग लगाएं। धूप, दीप से गणेश जी की आरती करें। अंत में भगवान शिव की आरती करें और प्रसाद का वितरण करें। शाम को पूजा के बाद व्रत खोलकर सात्विक भोजन ग्रहण करें।
शिवजी को अर्पित करें
भगवान भोले भंडारी को बिल्व पत्र बहुत ही प्रिय होता है। मान्यता है जो भी शिवलिंग पर नियमित रूप से बिल्व पत्र चढ़ाता है उसकी हर तरह की मनोकामना पूरी होती है। इसके अलावा भगवान शिव को शमी के पत्ते पसंद होते हैं इसलिए सावन के हर दिन शिवलिंग पर शमी के पत्ते जरूर चढ़ाएं। भगवान शिव का दूध और गंगाजल से अभिषेक करने से शुभ फल की प्राप्ति होती है। शिवजी को भी काफी पसंद होता है इसलिए शिवजी की कृपा पाने के लिए इसे जरूर चढ़ाएं।
शिवजी को प्रिय हैं ये चीजें
भगवान को कनेर, बेला और चमेली का फूल बहुत ही प्रिय होता है। बेला के पुष्पों से पूजन करने पर भगवान शिव, विवाह करने की इच्छा रखने वालों को मनोनुकूल वर और वधू प्रदान करते हैं। चमेली के सुगन्धित पुष्पों से शिव की पूजा करके मनुष्य वाहनों को उपलब्ध करता है। चमेली के फूल चढ़ाने से अच्छे वस्त्रों की अभिलाषा पूरी होती है। सावन के महीने में शिवलिंग पर गन्ने का रस चढ़ाने से जीवन में सभी तरह की सुख और समृद्धि की प्राप्ति होती है।