धर्म-अध्यात्म

Sawan Somvar Shivji: सावन सोमवार में मनोकामना पूर्ति के ल‍िए करें शिव जी का ऐसे अभ‍िषेक, जानें

Kunti Dhruw
15 July 2021 12:35 PM GMT
Sawan Somvar Shivji: सावन सोमवार में मनोकामना पूर्ति के ल‍िए करें शिव जी का ऐसे अभ‍िषेक, जानें
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भोलेनाथ की कृपा हो तो असंभव भी संभव हो जाता है।

भोलेनाथ की कृपा हो तो असंभव भी संभव हो जाता है। फ‍िर बात चाहे क‍िसी गंभीर से गंभीर बीमारी से राहत पाने की हो, संतान या फ‍िर धन प्राप्ति की कामना की हो। श‍िवजी की कृपा हो जाए तो फ‍िर क्‍या कहने! पलभर में झोली खुश‍ियों से भर जाती है। अगर आपके मन में भी कोई कामना है तो यह आर्टिकल आपके काफी काम आ सकता है। यहां हम बता रहे हैं क‍ि क‍िस मनोकामना के ल‍िए आपको सावन के सोमवार में भोलेशंकर का अभ‍िषेक कैसे करना चाह‍िए?

यह उपाय है बहुत काम का होती है संतान और लक्ष्‍मी की प्राप्ति
ज्‍योत‍िषशास्त्र के अनुसार संतान प्राप्‍ति की कामना से श‍िवल‍िंग का अभिषेक करना हो तो गाय के दूध से करना चाह‍िए। वहीं लक्ष्‍मी प्राप्‍ति की कामना हो तो श‍िवलिंग का अभिषेक गन्‍ने के रस से क‍िया जाना चाहिए। मान्‍यता है क‍ि ऐसा करने से भोलेनाथ अत्‍यंत प्रसन्‍न होते हैं और कामनाओं की पूर्ति करते हैं।
यह उपाय तो बहुत काम का है, सतर्कता से करें
ज्‍योत‍िषशास्‍त्र के अनुसार अगर शत्रुओं से परेशान हों तो उनसे राहत पाने के ल‍िए श‍िवलिंग का सरसों के तेल से अभिषेक करना चाहिए। लेक‍िन इस बारे में ध्‍यान रखें क‍ि क‍िसी पंड‍ित को अपनी कुंडली द‍िखाकर और उनकी राय लेकर ही इस अभिषेक को करें। इसके अलावा मोक्ष प्राप्ति की कामना हो तो श‍िवलिंग का तीर्थों के जल से अभिषेक करना चाहिए। ऐसा करने से श‍िवशंकर अत्‍यंत प्रसन्‍न होते हैं।
ट्यूबरकोलॉसिस से राहत द‍िला सकता है यह अभ‍िषेक
ट्यूबरकोलॉसिस अरोग्‍यता वृद्धि के ल‍िए श‍िवलिंग का घी से अभिषेक करना चाहिए। इसके अलावा अगर क‍िसी को ट्यूबरकोलॉसिस यानी क‍ि टीबी की समस्‍या हो तो उसे श‍िवजी का शहद से अभिषेक करना चाहिए। मान्‍यता है क‍ि ऐसा न‍ियम‍ित रूप से करने पर भोलेनाथ की कृपा से बीमारी से राहत म‍िलती है। लेक‍िन ध्‍यान रखें क‍ि इस दौरान दवाइयां बंद नहीं करनी चाहिए।
अगर हो जाए कभी ऐसी समस्‍या तो करें ये उपाय
ज्‍योत‍िषशास्‍त्र के अनुसार मान्‍यता है क‍ि भोलेनाथ को जल धारा अत्‍यंत प्र‍िय है। इसलिए अगर क‍िसी को तेज ज्‍वर हो तो जलाभ‍िषेक करने से ज्‍वर कम हो जाता है। लेक‍िन जलाभिषेक के साथ ही च‍िकित्‍सीय प्रक्रिया भी जारी रखें।


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