धर्म-अध्यात्म

Sawan Shivratri 2021: सावन शिवरात्रि पूजा सामग्री,ऐसे पूजन करने से मनोकामना होगी पूरी

Deepa Sahu
6 Aug 2021 9:13 AM GMT
Sawan Shivratri 2021: सावन शिवरात्रि पूजा सामग्री,ऐसे पूजन करने से मनोकामना होगी पूरी
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वैसे तो सावन के महीने का हर दिन ही भगवान शिव की पूजा के लिए समर्पित होता है,

वैसे तो सावन के महीने का हर दिन ही भगवान शिव की पूजा के लिए समर्पित होता है, लेकिन सावन सोमवार के अलावा भी इस महीने की कुछ खास तिथियां होती हैं जो भोलेनाथ की आराधना के लिए सर्वोत्तम मानी जाती हैं। सावन की शिवरात्रि इन्‍हीं में से एक प्रमुख तिथि है। इस बार सावन की शिवरात्रि 6 अगस्‍त को है। यदि आप क‍िन्‍हीं कारणों से सावन सोमवार या मंगलवार को मंगला गौरी का व्रत न कर पाए हों तो सावन शिवरात्रि के दिन व्रत करके संपूर्ण लाभ प्राप्‍त कर सकते हैं। सावन शिवरात्रि के व्रत का विशेष महत्‍व होता है और इस दिन विधि विधान से शिव परिवार की पूजा करने से आपकी हर मनोकामना पूरी होती है। आइए जानते हैं सावन शिवरात्रि की पूजा के लिए आवश्‍यक सामग्री, पूजाविधि और शुभ मुहूर्त।


कब मनाई जाती है सावन शिवरात्रि

मासिक शिवरात्रि हर महीने की चतुर्दशी ति‍थि को कहा जाता है और इस दिन शिवजी की पूजा की जाती है। सावन के महीने की चतुर्दशी ति‍थि का खास महत्‍व होता है और इस दिन लोग व्रत करके शिवजी की पूजा करते हैं। इस बार चतुर्दशी तिथि का आरंभ शुक्रवार को शाम को 06 बजकर 28 मिनट पर हो रहा है। इसका समापन अगले दिन 7 अगस्त दिन शनिवार को शाम 7 बजकर 11 मिनट पर होगा। व्रत 6 अगस्‍त शुक्रवार को रखा जाएगा।
पूजा की सामग्री
पुष्प, पंच फल, पंच मेवा, रत्न, सोना, चांदी, दक्षिणा, पूजा के बर्तन, कुशासन, दही, शुद्ध देशी घी, शहद, गंगा जल, पवित्र जल, पंच रस, इत्र, गंध रोली, मौली जनेऊ, पंच मिष्ठान्न, बिल्वपत्र, धतूरा, भांग, बेर, आम्र मंजरी, जौ की बालें, तुलसी दल, मंदार पुष्प, गाय का कच्चा दूध, ईख का रस, कपूर, धूप, दीप, रुई, मलयागिरी, चंदन, शिव व मां पार्वती की श्रृंगार की सामग्री आदि।
ऐसे करें पूजन
भगवान शिव की पूजा में त्रिपुंड का सबसे अधिक महत्‍व होता है। पूजा करने से पहले चंदन या विभूत दाएं हाथ की तीन उंगलियों में लेकर सिर के बाईं ओर से दाईं ओर त्रिपुंड लगाएं। भगवान का अभिषेक करने के बाद उन्‍हें भी चंदन से त्रिपुंड लगाएं। माना जाता है कि शिवजी की पूजा में त्रिपुंड लगाए बिना अभिषेक पूर्ण नहीं माना जाता है। सावन‍ शिवरात्रि पर दूध, दही, घी, शहद और गंगाजल से शिवलिंग का अभिषेक करें। अभिषेक करते समय ऊं नम: शिवाय या महामृत्‍युंजय मंत्र का जप जरूर करें। उसके बाद भांग, धतूरा और बेलपत्र शिवजी को अर्पित करें। फिर शिवलिंग पर फल, फूल और अक्षत चढ़ाएं व भगवान को इत्र अर्पित करें।
इन बातों का रखें ध्‍यान
-शिवजी की पूजा में सदैव तीन पत्र वाला ही बेलपत्र चढ़ाएं और यह कहीं से कटा-फटा नहीं होना चाहिए। अगर आपके पास अधिक संख्‍या में बेलपत्र उपलब्‍ध नहीं हैं तो आप एक बेलपत्र ही चढ़ा सकते हैं। यह भी माना जाता है चढ़ा हुआ बेलपत्र भी फिर से धोकर चढ़ाया जा सकता है।
-शिवजी को कभी भी उबला हुआ या फिर गर्म दूध न चढ़ाएं। अभिषेक करते वक्‍त गाय का कच्‍चा दूध ही प्रयोग किया जाना श्रेष्‍ठ होता है। उबला हुआ या फिर पैकेट वाला दूध भूलकर भी न चढ़ाएं। अगर आपके पास दूध नहीं है तो आप ठंडे जल से शिवजी का अभिषेक कर सकते हैं।
-भगवान शिवजी की पूजा में अक्षत का प्रयोग करते समय ध्‍यान रखें कि यह टूटे हुए नहीं होने चाहिए और इन्‍हें धोकर ही प्रयोग में लाना चाहिए।
व्रत का पारण
सावन शिवरात्रि का व्रत करने वाले व्रत का पारण अगले दिन करते हैं। सावन शिवरात्रि का व्रत 6 अगस्‍त को रखा जाएगा और इसका पारण आप 7 अगस्‍त को सुबह 5 बजकर 46 मिनट से दोपहर 3 बजकर 47 मिनट के मध्य कभी भी कर सकते हैं
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