धर्म-अध्यात्म

Sawan: शुभ नक्षत्र और योग में सावन का दूसरा सोमवार, जानें पूजा मुहूर्त

Tara Tandi
28 July 2024 11:43 AM GMT
Sawan: शुभ नक्षत्र और योग में सावन का दूसरा सोमवार, जानें पूजा मुहूर्त
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Sawanज्योतिष न्यूज़ : सावन मास का सावन सोमवार व्रत शिव पूजा के लिए विशेष महत्व वाला माना जाता है। इस साल सावन की शुरूआत ही सोमवार से हुई थी और इसका समापन भी सोमवार के दिन होगा। इस बार श्रावण में पांच सोमवार पड़ेंगे। इसकी वजह से भी सावन का महीना महत्वपूर्ण हो गया है। पहला सावन सोमवार 22 जुलाई को था। सावन मास का दूसरा सावन सोमवार व्रत 29 जुलाई को है। उस दिन सावन मास के कृष्ण पक्ष की नवमी तिथि सायं 05 बजकर 55 मिनट तक है। उसके बाद से दशमी तिथि शुरू हो जाएगी।
दूसरा सावन सोमवार मुहूर्त और योग
सावन के दूसरे सोमवार पर भरणी नक्षत्र प्रातः 10 बजकर 55 मिनट तक है, उसके बाद से कृत्तिका नक्षत्र है।
शुभ योग की बात करें तो गण्ड योग सुबह से शाम 05 बजकर 55 मिनट तक है, इसके बाद वृद्धि योग प्रारंभ होगा।
सोमवार को ब्रह्म मुहूर्त प्रातः काल 04 बजकर 17 मिनट से 04 बजकर 59 मिनट तक है।
अभिजीत मुहूर्त दोपहर 11 बजकर 48 मिनट से बजे से 12 बजकर 42 तक है।
सावन का दूसरा सोमवार
कैसे करें पूजन
इस बार सावन मास में पांच सोमवार होंगे। सावन मास के सोमवार पर अपनी मनोकामना पूर्ण हेतु आप भगवान शिव की 108 बेलपत्रों से भगवान की पूजा करें। भगवान शिव पर एक-एक बेलपत्र अर्पित करते हुए " ॐ साम्ब सदा शिवाय नमः " का लगातार जाप करें। इससे आपकी मनोकामना पूर्ण होंगी और जीवन में निरंतर सफलता प्राप्त होंगी।
सावन मास का महत्व
पुराणों के अनुसार समुद्र मंथन श्रावण मास में हुआ था। उस समय समुद्र मंथन से 14 प्रकार के तत्व 14 रत्न निकले । इनमें से 13 तत्वों व रत्नों देवताओं व दानवों ने आपस में वितरण कर लिया। उन तत्वों में से एक तत्व हलाहल विष भी निकला। वह हलाहल विष भगवान शंकर को दिया गया। हलाहल विष भगवान शंकर ने अपने कंठ (गले) में धारण किया। उससे भगवान शंकर का गला नीला पड़ गया, इससे भगवान शंकर नीलकंठ कहलाए। परंतु उस विष की गर्मी इतनी अधिक थी की देवताओं को गर्मी शांत करने का कोई उपाय नहीं सूझा। इस पर चंद्रदेव को शिव शंकर ने मस्तक पर धारण किया था तथा भगवान शंकर के मस्तक पर ही गंगा अवतरित किया फर्म भी ताप कम नहीं हुआ। तब जाकर सहस्त्र जलधाराओं से भगवान शंकर का अभिषेक किया गया। तभी से भगवान शंकर पर जल चढ़ाने की परंपरा व धारणा चली आ रही है।
विभिन्न कामना के लिए अलग अलग जलाभिषेक
जल के अतिरिक्त दूध दही घी गन्ने का रस शहद गंगाजल आमरस शर्करा आदि विभिन्न द्रव्यों से शिव का अभिषेक विभिन्न कामनाओं की पूर्ति के लिए किया जाता है आइए देखें कि कौन से द्रव्य से भगवान शंकर का अभिषेक किस कामना की पूर्ति करने में सहायक है।
जल से शिव का अभिषेक करने पर दीघार्यु प्राप्ति होती है तथा विघ्नों का नाश होता है।
दूध से अभिषेक करने पर स्वस्थ शरीर व निरोगी काया प्राप्त होती है।
गन्ने के रस (इक्षु रस) से शिवजी अभिषेक करने पर लक्ष्मी जी की कृपा प्राप्त होती है तथा व्यक्ति संपन्न होता है।
इत्र से (सुगंधित द्रव्य) से अभिषेक करने पर व्यक्ति कीर्तिवान होता है।
शक्कर से अभिषेक करने पर पुष्टि में वृद्धि होती है।
आम रस से अभिषेक करने पर योग्य संतान प्राप्ति होती है।
गंगाजल से अभिषेक करने पर मुक्ति (मोक्ष) प्राप्त होता है।
घी से शिव का अभिषेक करने से संपन्नता आती है।
तेल से अभिषेक करने पर विघ्नों का नाश होता है।
सरसों के तेल से श्रावण मास में शिवजी का अभिषेक करने से शत्रुओं का शमन होता है।
इस प्रकार विभिन्न कामनाओं की पूर्ति में श्रावण मास में शिव आराधना फलदाई कही गई है। व्यक्ति पूरी निष्ठा के भक्ति भाव आस्था के साथ श्रावण मास में शिव जी का पूजन करता है ,वह निश्चय ही अपने अभीष्ट को पाता है।
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