धर्म-अध्यात्म

Sawan : भोलेनाथ? जानिए भगवान शिव से जुड़ी कुछ रोचक जानकारी

Shiddhant Shriwas
29 July 2021 6:52 AM GMT
Sawan : भोलेनाथ? जानिए भगवान शिव से जुड़ी कुछ रोचक जानकारी
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सावन का पवित्र महीना चल रहा है। हिंदू धर्म में इस माह का विशेष महत्व होता है। सावन का महीना भगवान शिव का सबसे प्रिय महीना माना गया है

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। सावन का पवित्र महीना चल रहा है। हिंदू धर्म में इस माह का विशेष महत्व होता है। सावन का महीना भगवान शिव का सबसे प्रिय महीना माना गया है। इस खास माह में भोलेनाथ की विशेष पूजा आराधना होती है, जिसमें उनका जलाभिषेक किया जाता है। सावन के महीने में भगवान शिव को उनकी हर प्रिय चीजों को अर्पित किया जाता है। इस माह में भगवान भोलेनाथ जल्द प्रसन्न होकर सभी तरह की मनोकामनाओं का अवश्य ही पूरा करते हैं। सावन के महीने में भगवान शिव मात्र जल, फूल, बेलपत्र और भांग-धतूरा से ही प्रसन्न हो जाते हैं। इस पवित्र माह में शिव भक्त कांवड़ यात्राएं निकालकर प्रमुख ज्योतिर्लिंगों में भगवान शिव का गंगाजल से जलाभिषेक करते हैं। सावन के पवित्र महीने में आइए जानते हैं भगवान शिव और मंदिरों से जुड़ी कुछ रोचक जानकारियां..,

शिवलिंग हमेशा मंदिर के बाहर स्थापित होता है

भगवान शिव ऐसे अकेले देव हैं जो गर्भगृह में नहीं होते हैं। भगवान शिव अपने भक्तों का विशेष ध्याल रखते हैं उनके दर्शन दूर से ही सभी लोग जिसमें बच्चे, बूढ़े, आदमी और महिलाएं सभी कर सकते हैं। भगवान शिव थोड़े से जल चढ़ाने मात्र से ही प्रसन्न हो जाते हैं।

शिवलिंग की ओर नंदी का मुंह क्यों ?

किसी भी शिव मंदिर में पहले हमें शिव के वाहन नंदी के दर्शन होते हैं। शिव मंदिर में नंदी देवता का मुंह शिवलिंग की तरफ होता है। नंदी शिवजी का वाहन है। नंदी की नजर अपने आराध्य की ओर हमेशा होती है। नंदी के बारे में यह भी माना जाता है कि यह पुरुषार्थ का प्रतीक है।

शिवजी को बेलपत्र क्यों चढ़ाते हैं?

पौराणिक कथाओं के अनुसार जब देवताओं और दैत्यों के बीच समुद्र मंथन चल रहा था तभी उसमें से विष का घड़ा भी निकला। विष के घड़े को न तो देवता और न ही दैत्य लेने को तैयार थे। तब भगवान शिव ने इस विष से सभी की रक्षा करने के लिए विषपान किया था। विष के प्रभाव से शिव जी का मस्तिष्क गर्म हो गया। ऐसे समय में देवताओं ने शिवजी के मस्तिष्क पर जल उड़लेना शुरू किया जिससे मस्तिष्क की गर्मी कम हुई। बेल के पत्तों की तासीर भी ठंडी होती है इसलिए शिव जी को बेलपत्र भी चढ़ाया गया। इसी समय से शिवजी की पूजा हमेशा जल और बेलपत्र से की जाती है। बेलपत्र और जल से शिव जी का मस्तिष्क शीतल रहता और उन्हें शांति मिलती है। इसलिए बेलपत्र और जल से पूजा करने वाले पर शिव जी प्रसन्न होते हैं।

शिव को भोलेनाथ क्यों कहा जाता है?

भगवान शिव को कई नामों से पुकारा और पूजा जाता है। भगवान शिव को भोलेनाथ कहा जाता है। भोलेनाथ यानी जल्दी प्रसन्न होने वाले देव। भगवान शंकर की आराधना और उनको प्रसन्न करने के लिए विशेष साम्रगी की जरूरत नहीं होती है। भगवान शिव जल, पत्तियां और तरह -तरह के कंदमूल को अर्पित करने से ही जल्द प्रसन्न हो जाते हैं।

शिवलिंग की आधी परिक्रमा क्यों ?

शिव मंदिर में भगवान भोलेनाथ के दर्शन और जल चढ़ाने के बाद लोग शिवलिंग की परिक्रमा करते हैं। शास्त्रों में शिवलिंग की आधी परिक्रमा करने के बारे में कहा गया है। शिवलिंग की परिक्रमा हमेशा जलाधारी के आगे निकले हुए भाग तक जाकर फिर विपरीत दिशा में लौट दूसरे सिरे तक आकर परिक्रमा पूरी करें। इसे शिवलिंग की आधी परिक्रमा भी कहा जाता है।


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