धर्म-अध्यात्म

Satyam Shivam Sundaram: शिवजी के इस मंदिर में पूजा जाता है भगवान के पैर का अंगूठा, जानें पौराणिक कथा

Tulsi Rao
26 Sep 2021 5:43 PM GMT
Satyam Shivam Sundaram: शिवजी के इस मंदिर में पूजा जाता है भगवान के पैर का अंगूठा, जानें पौराणिक कथा
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भगवान शिव (Bhagwan Shiv) को महादेव (Mahadev) भी कहा जाता है. कहते हैं जिस व्यक्ति ने इस जन्म में भोलेशंकर (Bholeshankar) को प्रसन्न कर लिया

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। Shiv Ji Special Temple: भगवान शिव (Bhagwan Shiv) को महादेव (Mahadev) भी कहा जाता है. कहते हैं जिस व्यक्ति ने इस जन्म में भोलेशंकर (Bholeshankar) को प्रसन्न कर लिया, उसने जन्म-जन्मांतर के इस बंधन को हमेशा के लिए पार कर लिया. माना जाता है कि भोलेशंकर बहुत जल्दी प्रसन्न हो जाते हैं. देशभर में भगवान शिव के कई चमत्कारी मंदिर है, जिनके दर्शन मात्र से ही व्यक्ति के संकट दूर हो जाते हैं. इन्हीं चमत्कारी मंदिरों में से एक है भगवान शिव का अचलेश्वर महादेव मंदिर (Achleshwar Mahadev Temple). यह मंदिर माउंट आबू से करीब 11 किलोमीटर दूर है. उत्तर में अचलगढ़ की पहाड़ियों पर शिवजी का एक प्राचीन मंदिर है. कहते हैं यहां उनके पैर के दाहिने पैर के अंगूठे की पूजा की जाती है. आइए जानते हैं क्या है इसके पीछे का रहस्य...

चमत्कारी है अचलेश्वर मंदिर
माउंट आबू की पहाड़ियों के पास अचलेश्वर मंदिर में भगवान शिवजी के पैर के अंगूठे की पूजा की जाती है. यह पहली जगह है जहां भगवान शिव या शिवलिंग की पूजा नहीं होती है, बल्कि उनके पैर के अंगूठे की पूजा होती है. ये प्राचीन मंदिर बहुत चमत्कारी है और लोगों में काफी प्रसिद्ध है.
अंगूठे के कारण ही टीके हैं पर्वत
ऐसी मान्यता है कि यहां स्थित पर्वत भगवान शिव के अंगूठ के कारण ही टीके हुए हैं. अगर भगवान शिव का ये अंगूठा न होता तो ये पर्वत नष्ट हो जाते. भगवान शिव के अंगूठों को लेकर भी कई तरह के चमत्कार हो चुके हैं. जिनकी चर्चा आप यहां के लोगों से सुन लेंगे.
अंगूठे के नीचे है गड्ढा
अचलेश्वर मंदिर में बने भगवान शिव के अंगूठे के नीचे एक गड्ढा है. इसे लेकर मान्यता है कि इसमें कभी भी पानी नहीं भरता. इसमें चाहे कितना भी पानी भर लिया जाए, लेकिन जल वहां नहीं रुकता. इतना ही नहीं, शिवजी पर चढ़ने वाला जल भी कभी यहां नजर नहीं आता. ये जल कहां जाता है इस बात का आज तक किसी को नहीं पता चला.
अंगूठे को लेकर ये है पौराणिक कथा
भगवान शिव के अचलेश्वर मंदिर को लेकर पौराणिक कथा यह है कि एक बार हिमालय पर्वत पर भगवान शिव तपस्या कर रहे थे. उस दौरान अर्बुद पर्वत पर स्थित नंदीवर्धन हिलने लगा, जिससे भगवान शिव की तपस्या भंग हो गई. इस पर्वत पर भगवान शिव की नंदी भी थी. नंदी को बचाने के लिए भगवान सिव ने हिमालय पर्वत से ही अपने अंगूठे को अर्बुद पर्वत तक पहुंचा दिया. पैर का अंगूठा लगाते ही अर्बुद पर्वत हिलने से रुक गया और स्थिर हो गया. तब से ही भगवान शिव के पैर का ये अंगूठा इस पर्वत को उठाए हुए है.


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