धर्म-अध्यात्म

शनि के कुंभ राशि में गोचर से तुला, वृश्चिक, धनु वालों के जीवन में होंगे बड़े बदलाव

Bhumika Sahu
27 Feb 2022 6:43 AM GMT
शनि के कुंभ राशि में गोचर से तुला, वृश्चिक, धनु वालों के जीवन में होंगे बड़े बदलाव
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अपने स्वाभाविक संचरण के क्रम में शनि देव लगभग ढाई वर्ष तक एक राशि में गोचरीय संचरण करते हुए चराचर जगत पर अपना प्रभाव स्थापित करते हैं इसी क्रम में वर्ष 2022 में शनि देव अपनी पहली राशि मकर से निकलकर अपनी दूसरी राशि कुंभ में प्रवेश करके अपना प्रभाव स्थापित करेंगे।

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। अपने स्वाभाविक संचरण के क्रम में शनि देव लगभग ढाई वर्ष तक एक राशि में गोचरीय संचरण करते हुए चराचर जगत पर अपना प्रभाव स्थापित करते हैं इसी क्रम में वर्ष 2022 में शनि देव अपनी पहली राशि मकर से निकलकर अपनी दूसरी राशि कुंभ में प्रवेश करके अपना प्रभाव स्थापित करेंगे। शनि देव का अपनी दूसरी राशि कुम्भ मे गोचर 28 अप्रैल 2022 दिन गुरुवार को सुबह 6 बजकर 20 मिनट पर होने जा रहा है। जहाँ 28 अप्रैल से 4 जून तक कुम्भ राशि मे मार्गी गति से गोचर करते हुए अपना प्रभाव स्थापित करेंगे तथा 4 जून से 12 जुलाई तक वक्री गति से गोचर करते हुए कुम्भ राशि मे गोचर करेंगे। पुनः 13 जुलाई से मकर राशि मे वक्री प्रवेश करेंगे। इस प्रकार कुम्भ राशि मे शनि देव 76 दिनों तक के लिए गोचर करने जा रहे है।

तुला :- तुला राशि एवं तुला लग्न वालों के लिए शनि देव परम राजयोग कारक ग्रह मान जाते हैं ऐसी स्थिति में इनके गोचरी परिवर्तन का व्यापक प्रभाव देखने को मिलेगा। तुला लग्न में सुख और विद्या, बुद्धि, विवेक के कारक होकर पंचम भाव अर्थात विद्या, बुद्धि, विवेक संतान के ही भाव में गोचरीय संचरण करने जा रहे हैं। यह परिवर्तन शुभ कारक परिवर्तन के रूप में होने जा रहा है।कुंभ राशि में गोचरवत शनि देव तुला लग्न वालों के जीवन में सकारात्मक परिवर्तन करेंगे। संतान पक्ष से लाभ एवं सुसमाचार की स्थिति उत्पन्न करेंगे, अध्ययन, अध्यापन में रुचि साथ ही साथ नौकरी में परिवर्तन, बुद्धिमत्ता में सकारात्मक परिवर्तन के साथ-साथ लेखन शक्ति में भी सकारात्मक वृद्धि देखने को मिलेगी। पिता के सहयोग में वृद्धि , गृह और वाहन सुख में वृद्धि , माता के सुख में वृद्धि के संकेत दिख रहे हैं। नीच राशि मेष पर दृष्टि होगी ऐसी स्थिति में दांपत्य में तनाव , वैवाहिक जीवन के आरंभ होने में अवरोध ,प्रेम संबंधों में कष्ट साझेदारी में तनाव, दैनिक आय में तनाव की स्थिति उत्पन्न होती दिखेगी। लाभ भाव पर दृष्टि के कारण लाभ के स्रोतों में परिवर्तन, व्यापारिक गतिविधियों में परिवर्तन के साथ-साथ सामाजिक क्षेत्र में भी थोड़ा सा तनावपूर्ण स्थिति दिखेगा। द्वितीय भाव वृश्चिक राशि पर दृष्टि से पारिवारिक विवाद , घरेलू तनाव, वाणी में तीव्रता के साथ-साथ अचानक खर्च में वृद्धि की भी स्थिति बनेगी। परिवार में अचानक खर्च बढ़ सकता है। पारिवारिक जनों में तनाव का वातावरण उत्पन्न हो सकता है
उपाय :- मूल कुंडली के अनुसार शनि देव के शुभ प्रभाव में वृद्धि के लिए नीलम रत्न धारण करना एवं श्री हनुमान जी महाराज की उपासना उत्तम फल प्रदान करेगा।
वृश्चिक :- वृश्चिक राशि एवं वृश्चिक लग्न वालों के लिए शनि देव सम फल प्रदायक ग्रह माने जाते हैं। तृतीय अर्थात पराक्रम भाव के कारक होते हैं साथ ही साथ चतुर्थ भाव अर्थात सुख भाव के कारक ग्रह होते हैं। सुख भाव में स्वगृही गोचर होने जा रहा है ऐसे में पराक्रम में वृद्धि, सम्मान में वृद्धि के साथ-साथ सुख में वृद्धि, सुख के संसाधनों में वृद्धि, गृह एवं वाहन सुख में वृद्धि, स्थिर संपत्ति, जायदाद में वृद्धि होगी। माता के सुख सानिध्य में वृद्धि के साथ-साथ माता के स्वास्थ्य की चिंता भी बढ़ेगी। शनि की दृष्टि षष्ट भाव पर होगा जिससे रोग, कर्ज और शत्रुओं पर विजय प्राप्त होगा । प्रतियोगिता में विजय की स्थिति भी उत्पन्न होगी । शनिदेव की दशम भाव पर भी दृष्टि पड़ेगी जिसके परिणाम स्वरूप परिश्रम में अवरोध पिता के स्वास्थ्य के प्रति चिंता , नौकरी में व्यवधान तनाव की स्थिति उत्पन्न हो सकती है । लग्न भाव पर दृष्टि पड़ने के कारण शारीरिक, मानसिक कष्ट में वृद्धि हो सकती है मन में उलझन की स्थिति उत्पन्न हो सकती है। अचानक सम्मान को लेकर भी तनाव की स्थिति उत्पन्न हो सकती है ।
उपाय :- शनिवार के दिन गोधन समय गुड वाली मीठी पूरी सरसों के तेल में बना कर गायों को खिलाते रहे।
धनु :- धनु लग्न अथवा धनु राशि वालों के लिए शनिदेव धन भाव एवं पराक्रम भाव के कारक होते हैं। पराक्रम के कारक होने से पराक्रम में वृद्धि, सम्मान में वृद्धि, भाई बंधुओं मित्रों के सहयोग में वृद्धि करेंगे। धनागम के नए स्रोतों का निर्माण भी करेंगे , वाणी व्यवसाय, वकालत अध्ययन अध्यापन के क्षेत्र से लाभ प्रदान करेंगे। परिवार में शुभ कार्य में वृद्धि होगी। पारिवारिक जनों में मतभेद की स्थिति भी उत्पन्न हो सकती है। पंचम भाव पर नीच दृष्टि होने से संतान को लेकर चिंता की स्थिति उत्पन्न हो सकती है। अध्ययन अध्यापन में अरुचि हो सकती है।मानसिक चिंता में वृद्धि भी हो सकती है। डिग्री लेने के लिए विषयों के चयन में तनाव हो सकता है। पराक्रम भाव में स्वगृही शनि देव की दृष्टि भाग्य भाव पर होगा। ऐसी स्थिति में भाग्य में अवरोध, कार्यों में अवरोध , पिता के स्वास्थ्य के प्रति चिंता या कष्ट की भी संभावनाएं दिख रही है। शनि देव की दृष्टि व्यय भाव पर होगी ऐसी स्थिति में अचानक खर्च में वृद्धि, अचानक यात्रा का संयोग ,आंखों में कष्ट की स्थिति उत्पन्न हो जाएगी हो सकती है।
उपाय :- श्री हनुमान जी महाराज की पूजा उपासना करें ।गरीबों का ख्याल रखें । किसी भी गरीब व्यक्ति का अपमान नहीं करें।


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