धर्म-अध्यात्म

यज्ञ के दौरान शिव जी का अपमान सह न पाईं सती जी और कर डाला ये काम, राम कथा में जानें

Subhi
24 July 2022 2:32 AM GMT
यज्ञ के दौरान शिव जी का अपमान सह न पाईं सती जी और कर डाला ये काम, राम कथा में जानें
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दक्ष प्रजापति के यहां आयोजित यज्ञ में शिव जी के मना करने के बाद जब सती जी बिना बुलाए ही चली गईं और वहां पर उन्होंने देखा कि शिव जी के लिए कोई स्थान नहीं है.इस स्थिति को देख कर सती जी बहुत दुखी हुईं किंतु शिव जी का अपमान नहीं सह सकीं.

दक्ष प्रजापति के यहां आयोजित यज्ञ में शिव जी के मना करने के बाद जब सती जी बिना बुलाए ही चली गईं और वहां पर उन्होंने देखा कि शिव जी के लिए कोई स्थान नहीं है.इस स्थिति को देख कर सती जी बहुत दुखी हुईं किंतु शिव जी का अपमान नहीं सह सकीं.

क्रोधित हो सती जी ने यज्ञ सभा को संबोधित करते साफ कह दिया कि जिन लोगों ने भी यहां पर शिव जी की निंदा की या सुनी है, उन सबको उसका फल प्राप्त होगा. मेरे पिता दक्ष को भी पछताना होगा. इसके बाद दश कुमारी सती जी ने शिव जी को हृदय में धारण करते हुए योगाग्नि में अपने शरीर को भस्म कर डाला. इस घटना से यज्ञ स्थल में हाहाकार मच गया. यह सारा समाचार शिव जी को प्राप्त हुआ तो उन्होंने वीरभद्र को भेजा जिन्होंने पहुंचते ही यज्ञ का विध्वंश कर डाला और सभी देवताओं को भी दंड दिया.

सती जी ने पार्वती ने रूप में हिमाचल के घर लिया जन्म

गोस्वामी तुलसीदास जी राम चरित मानस में लिखते हैं कि दक्ष की वही गति हुई जो शिवद्रोही की हुआ करती है. यह इतिहास सारा जगत जानता है इसलिए मैने संक्षेप में ही वर्णन किया है. सती जी ने मृत्यु का वरण करते समय श्री हरि से यह वर मांग लिया था कि उनका हर जन्म शिव जी के चरणों में अनुराग करे. इसीलिए उन्होंने हिमाचल के घर में पार्वती के रूप में जन्म लिया. जब से उमा जी हिमाचल के घर जन्मीं तभी से वहां पर सारी सिद्धियां और संपत्तियां छा गईं. हिमाचल ने मुनियों को उचित स्थान दिया तो उन्होंने जहां तहां आश्रम बना लिए.

उस सुंदर पर्वत पर सदा पुष्प और फल देने वाले नए नए वृक्ष निकल आए और मणियों की खानें पैदा हो गईं. सभी नदियों में पवित्र जल बहने लगा और पशु पक्षी आदि सभी सुखी हो कर वैर भाव छोड़ कर प्रेम से रहने लगे. पार्वती जी के घर आ जाने से पर्वत ऐसा शोभायमान होने लगा जैसा रामभक्ति पाकर भक्त शोभायमान होते हैं. पर्वतराज के यहां नित मंगल उत्सव होते जिनमें ब्रह्मा आदि यश गान करते.

जानकारी पाकर नारद जी भी हिमाचल के घर पहुंचे

जैसे ही पार्वती जी के जन्म और पर्वत पर तरह तरह के कौतुहल की जानकारी मिली, नारद मुनि भी हिमाचल के घर पहुंच गए. पर्वतराज ने उनका आदर सम्मान किया,फिर उन्होंने अपनी पत्नी सहित उनके चरणों में सिर नवाया और आसन देने के बाद उनके चरण धोए और जल को पूरे घर में छिड़का. उनकी आवभगत करने के बाद पर्वतराज हिमाचल ने हाथ जोड़ कर प्रार्थना की, आप श्रेष्ठ हैं, तीनों लोगों के बारे में सब कुछ जानते हैं, आप ह्रदय में विचार कर कन्या के दोष गुण बताएं. नारद मुनि ने रहस्यमयी मुस्कान के साथ कहा, तुम्हारी कन्या सब गुणों की खान है. यह स्वभाव से ही सुंदर, सुशील और समझदार है. उमा, अंबिका और भवानी इनके नाम हैं.


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