धर्म-अध्यात्म

सत्य सांई बाबा

HARRY
29 April 2023 5:53 PM GMT
सत्य सांई बाबा
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सांई बाबा के नाम से विख्यात हुये। इनकी माँ (एश्वारम्मा) का कथन था कि

जनता से रिश्ता वेबडेस्क | सत्य सांई बाबा। श्री सत्यनारायण राजू का जन्म 23 नवम्बर, 1926 को पुट्टापार्थी नामक गांव में हुआ। इनकी माता का नाम एश्वारम्मा और पिता का नाम पेडावेनकमा राजू रत्नाकरम था । यही सत्यनारायण राजू आगे चलकर सत्य सांई बाबा के नाम से विख्यात हुये। इनकी माँ (एश्वारम्मा) का कथन था कि इनका गर्भ धारण और जन्म दोनों ही अलौकिक प्रकरण थे।

बचपन से ही ये तीक्ष्ण बुद्धि के साथ ही दानी और धार्मिक प्रवृत्ति के थे । भक्ति, संगीत, नृत्य और अभिनय में आश्चर्यजनक प्रतिभाशाली थे। बचपन से ही ये सिद्ध पुरुष थे और प्रकृति से विभूति, पुष्प, प्रसाद और घड़ियाँ प्रकट कर सब को आश्चर्यचकित कर देते थे।

ऐसी मान्यता है कि जब ये 14 वर्ष की आयु के थे तब इनको एक बिच्छू ने डंक मार दिया जिससे वे बेहोश हो गये। इस घटना के बाद इनके व्यवहार में आमूलचूल परिवर्तन आया । कभी रोना, कभी हंसना तो फिर अचानक धारा प्रवाह भाषण देते-देते चुप्पी साध लेना। परिवार के सदस्य इनके इस तरह के व्यवहार से बड़े परेशान थे। इसलिए इनका सभी प्रकार का उपचार कराया।

सत्य सांई बाबा

सत्य सांई बाबा

एक दिन इन्होंने अपने परिवार जनों को बुलाया और उन सब को पुष्प और प्रसाद वितरित किये। इससे इनके पिता बड़े नाराज हो गये और सोचा कि उनका पुत्र सम्मोहित हो गया है। 20 अक्टूबर, 1940 को इन्होंने घोषणा की कि- “मैं सांई बाबा हूँ।”

सत्य सांई बाबा ने सभी से प्रेम, परोपकार, सेवा और ईश्वर के प्रति अटूट श्रद्धा का सन्देश दिया । वे सेवा मार्ग से आध्यात्मिक उद्देश्यों की पूर्ति के समर्थक थे। जिसने भी उनके प्रति श्रद्धा दर्शायी या उनके सम्पर्क में आया उसे अपनी समस्या का समाधान मिला, शान्ति मिली । इनके अनुयायी और भक्तगण इनको जन हितैषी, पुनर्जागरणकर्ता, सूक्ष्म दृष्टिवाला, सर्वशक्तिमान, सर्वव्यापी और सर्वज्ञानी मानते हैं।

रोगों का आध्यात्मिक उपचार करने में वे बहुत सक्षम थे। एक समय सत्य सांई बाबा स्वयं हृदयघात और लकवा से ग्रस्त हो गये। उन्होंने सभी की उपस्थिति में अपना उपचार आध्यात्मिक शक्ति से किया।

1968 में सत्य सांई बाबा अपनी एक मात्र समुद्र पार विदेश यात्रा पर अफ्रीका पधारे, वहाँ आपने जन समूह को सम्बोधित करते हुए कहा “मैं यहाँ आपके हृदय में प्रेम की ज्योति प्रज्वलित करने आया हूँ, यह देखने के लिए कि इसकी आभा दिन प्रतिदिन और रोशन हो। मैं यहाँ किसी धर्म विशेष के प्रचार के लिए नहीं आया हूँ । ना ही किसी मत, पंथ, सम्प्रदाय या सिद्धान्त के प्रचार के लिए मैं यहाँ आया हूँ।

मैं यहाँ किसी मत के अनुयायी एकत्रित करने भी नहीं आया हूँ। मैं मेरे भक्त और अनुयायियों को आकर्षित करने भी नहीं आया हूँ। मैं आया हूँ, इस एकात्मक धर्म, सिद्धान्त, , इस प्रेम पथ, इस प्रेम की शुद्धता, प्रेम के कर्तव्य और प्रेम के ऋण के प्रति संदेश देने के लिए।

सत्य सांई बाबा सनातन धर्म के अनुयायी थे। उनके अध्यात्म के संदेश प्रसारित करने और हिन्दू धर्म की मान्यताओं के बखान करने में धर्म निरपेक्षता कभी रोड़ा बनी नजर नहीं आई।

सत्य सांई संस्थान के तत्त्वावधान में 126 राष्ट्रों में संस्थान की 1200 शाखाएँ स्थापित हो चुकी हैं। इस संस्थान ने बहुत से विशाल मंदिरों, आश्रमों और चिकित्सालयों का निर्माण कराया जहाँ सभी बीमारियों का निःशुल्क उपचार किया जाता है। इसके अलावा जनहितार्थ पीने के पानी की व्यवस्था और विद्यालयों का निर्माण भी कराया गया.

सत्य सांई बाबा के भक्तों में सर्वश्री अटल बिहारी वाजपेयी, मनमोहन सिंह, नरेन्द्र मोदी, करुणानिधि और सचिन तेन्दुलकर जैसी अनेक हस्तियाँ शामिल हैं। सभी धर्मों के अनुयायी इन्हें अपनी श्रद्धा का केन्द्र मानते हैं।

वाटकिन्स की 2011 की सूची में सत्य सांई का नाम विश्व की 100 प्रमुख आध्यात्मिक शक्तियों में प्रकाशित हो चुका है। इस तरह की सूचियों में दलाई लामा, श्री श्री रविशंकर, श्री सत्यनारायण गोईनका, प्रेम रावत, श्री दीपक चौपड़ा और बाबा रामदेव जैसी भारतीय हस्तियों के नाम सम्मिलित हैं।

24 अप्रेल, 2011 को 84 वर्ष की आयु में भारतीय समय के अनुसार सवेरे 4.48 पर सत्य सांई बाबा का स्वर्गवास हो गया। 27 अप्रेल को पूरे राजकीय सम्मान के साथ उनको अंतिम विदाई दी गई। उनकी अंतिम विदाई में पाँच लाख लोगों ने भाग लिया। इनमें उस समय के भारतीय प्रधान मंत्री मनमोहन सिंह, कांग्रेस अध्यक्ष श्रीमती सोनिया गांधी, श्री नरेन्द्र मोदी, सचिन तेंदुलकर, केन्द्रीय मंत्री एस. एम. कृष्ण और अम्बिका सोनी आदि ने भाग लिया।

श्री लंका के राष्ट्रपति महिन्द्रा राजपक्ष और दलाई लामा ने शोक संदेश भेजे। कर्नाटक सरकार ने 25-26 अप्रेल और आंध्रप्रदेश सरकार ने 25, 26 व 27 अप्रेल को राज्य शोक घोषित किया।

17 जून 2011 को श्री सत्य सांई केन्द्रीय न्यास के अधिकारियों ने सत्य सांई बाबा के निजी निवास स्थान को निम्न गणमान्य लोगों की उपस्थिति में खोला सरकार, बैंक और कर विभाग के अधिकारी, सर्वोच्च न्यायालय के से.नि. न्यायाधीश ए. पी. मिश्रा, कर्नाटक उच्च न्यायालय के से.नि. न्यायाधीश वैद्यनाथ, भारत के पूर्व मुख्य न्यायाधीश पी. एन. भगवती, आयकर विभाग के मूल्य निर्धारक निवास स्थान और अन्य आश्रमों में भी अकूत सम्पत्ति मिली।

इनमें से कुछ सरकारी खजाने में जमा करा दी और शेष राशि ट्रस्ट-दान पुण्य और सेवा के प्रोजेक्ट में लगा रहा है। यह पूरी सम्पत्ति भक्तों द्वारा चढ़ावे में अर्पित की गई बताई गई।

सितम्बर, 2012 में श्री सांई बाबा के एक निजी सहायक-सत्यजीत ने 23 मार्च, 1967 को सांई द्वारा निष्पादित रजिस्टर्ड वसीयत मीडिया को प्रसारित की। जिसमें सांई बाबा ने घोषित बताया कि सत्य सांई न्यास की सम्पत्ति पर मेरे किसी भी रिश्तेदार का कोई न्यायिक हक नहीं है।

सांई बाबा द्वारा मानवता को दिये गये उपदेशों का संक्षिप्त सूत्र :

Love all, serve all, Help ever, Hurt never.

सभी से प्यार करें सभी की सेवा करें।

हर क्षण सहयोग करें, दुख कभी ना दें।

ईश्वर में विश्वास ।

स्वधर्म का पालन ।

निःस्वार्थ सेवा।

सच्ची श्रद्धा,

सही आचरण, शान्ति और अहिंसा। राष्ट्र भक्त बनो और देश का कानून मानो।

अपने लेखों और उपदेशों के माध्यम से अध्यात्म, धर्म और सार्थक जीवन के विभिन्न पहलुओं से संबंधित विस्तृत ज्ञान का उपहार मानवता को दिया । इन्होंने अक्सर दोहराया है कि पानी का स्वाद चखने के लिए समुद्र के सम्पूर्ण जल को पीना जरूरी नहीं है वैसे ही सुख, शान्ति और प्रेम भरी जिन्दगी जीने के लिए सभी धर्म शास्त्रों का अध्ययन करना भी जरूरी नहीं है। किसी एक सूत्र को पकड़ो और उसके प्रति सच्ची श्रद्धा और विश्वास से अपना जीवन सफल बना लो ।

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