धर्म-अध्यात्म

Sarva Pitru Amavasya 2024: सर्वपितृ अमावस्या आज , पितरों की कृपा पाने के करें अचूक उपाय

Bharti Sahu 2
2 Oct 2024 5:27 AM GMT
Sarva Pitru Amavasya 2024: सर्वपितृ अमावस्या आज , पितरों की कृपा पाने के करें अचूक उपाय
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Sarva Pitru Amavasya 2024: पितरों का तर्पण उनके स्वर्गवास की तिथि के अनुसार किया जाता है. लेकिन किसी कारणवश ऐसा भी होता है कि हम अपने पितरों का श्राद्ध करना चाहते हैं लेकिन हमें उनकी तिथि अज्ञात होती है. ऐसे में अज्ञात तिथि वाले सभी पितरों का श्राद्ध और तर्पण सर्व पितृ अमावस्या के दिन करने का विधान है| मान्यता है कि इस दिन गलती से छूट गए सभी पितरों का श्राद्ध और तर्पण हो जाता है. अगर किन्हीं कारणवश तिथि वाले दिन पितरों का श्राद्ध नहीं कर पाएं हैं तब भी उनका श्राद्ध और तर्पण सर्व पितृ अमावस्या के दिन किया जा सकता है. सर्व पितृ अमावस्या पितृपक्ष का अंतिम दिन होता है. इस अमावस्या के साथ ही पितृपक्ष पर पितरों की विदाई हो जाती है|
इस वर्ष सर्वपितृ अमावस्या 2 अक्टूबर 2004, दिन बुधवार को है. इस दिन सुबह 11 बजकर 45 मिनट से लेकर 12 बजकर 24 मिनट तक कुतुप मुहूर्त रहेगा. इसके बाद, रोहिण मुहूर्त दोपहर 12 बजकर 34 बजे से लेकर दोपहर के 01 बजकर 34 बजे तक होगा. वहींपितरों के तर्पण और पिंडदान के लिए सबसे शुभ मुहूर्त दोपहर 01 बजकर 21 मिनट से लेकर दोपहर के 03 बजकर 43 मिनट तक है|
स्नान
तर्पण करने से पहले स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करने चाहिए. यदि संभव हो तो किसी पवित्र नदी में स्नान करें और वहीं पितरों का तर्पण करें.
शुद्धि करें
जिस स्थान पर तर्पण कर रहे हैं उस स्थान की अच्छे से साफ सफाई करें और शुद्धि के लिए गंगा जल का छिड़काव करें.
दक्षिण दिशा
पितरों का तर्पण करने के समय दक्षिण दिशा की ओर मुंह करके बैठना चाहिए. इस दिशा को पूजा के लिए शुभ माना जाता है.
तस्वीर
जिनका तर्पण कर रहे हैं उन पूर्वज की तस्वीर स्थापित करें और दीपक व धूप जलाएं.
तर्पण का जल
तर्पण के लिए एक लोटे में जल लें और उसमें जौ, चावल काले तिल, कुश की जूडी, सफेद फूल, गंगाजल, दूध, दही और घी मिलाएं. जल के लोटे के साथ साथ तर्पण के लिए भोजन भी अलग से रखें.
पितरों का नाम लेकर करें तर्पण
पितरों का नाम और उनके गोत्र का नाम लेकर तर्पण करें. जिनका नाम मालूम नहीं है, उन्हें बस याद करके ही उन सबका तर्पण करें.ब्राह्मण को भोजन
पितरों का तर्पण करने के बाद ब्राह्मणों को भोजन करवाना चाहिए और उसके बाद सामर्थ्य के अनुसार, ब्राह्मणों को वस्त्र और दक्षिणा आदि देकर विदा करना चाहिए. मान्यता है कि ऐसा करने से पितृ प्रसन्न होते हैं और घर में शुभ आशीर्वाद देते हैं|
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