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Sarva Pitru Amavasya 2021: हिंदू पंचांग के अनुसार, पितृ पक्ष, भाद्रपद की पूर्णिमा से शुरू होकर आश्विन मास की अमावस्या तक है इस विधि से करें पितरों की विदाई

Tulsi Rao
17 Sep 2021 11:01 AM GMT
Sarva Pitru Amavasya 2021: हिंदू पंचांग के अनुसार, पितृ पक्ष, भाद्रपद की पूर्णिमा से शुरू होकर आश्विन मास की अमावस्या तक है इस विधि से करें पितरों की विदाई
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हिंदू पंचांग के अनुसार, पितृ पक्ष, भाद्रपद की पूर्णिमा से शुरू होकर आश्विन मास की अमावस्या तक होता है. इस साल में भादो की पूर्णिमा 20 सितंबर 2021 को और आश्विन मास की अमावस्या 6 अक्टूबर 2021 को है

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। Sarva Pitru Amavasya 2021 Puja Vidhi: हिंदू पंचांग के अनुसार, पितृ पक्ष, भाद्रपद की पूर्णिमा से शुरू होकर आश्विन मास की अमावस्या तक होता है. इस साल में भादो की पूर्णिमा 20 सितंबर 2021 को और आश्विन मास की अमावस्या 6 अक्टूबर 2021 को है. वैसे तो पूरे पितृ पक्ष में पितरों को याद किया जाता है और उन्हें उनके नाम पर तर्पण एवं पिंड दान दिया जाता है.

परंतु यदि पूरे पितृ पक्ष में संभव न हो सके तो, ऐसे में केवल अमावस्या के दिन ही पितरों को याद करके उनके नाम से दान देने और निर्धनों को भोजन कराने से पितरों को शांति मिलती है. इससे पितृ बहुत प्रसन्न होते हैं. इससे घर परिवार पर उनकी कृपा होती है. इनकी कृपा और आशीर्वाद से घर में सुख, समृद्धि और शांति आती है. धन वैभव का आगमन होता है. पद प्रतिष्ठा में वृद्धि होती है. यही नहीं आश्विन अमावस्या के दिन के दान का फल अमोघ होता है.
इस विधि से पितरों की करें विदाई
पंचांग के अनुसार पितृ पक्ष की पहली श्राद्ध 20 सितंबर 2021 को और अंतिम श्राद्ध 6 अक्टूबर 2021 अर्थात आश्विन अमावस्या को किया जायेगा. आश्विन अमावस्या को श्राद्ध करके पितरों को विधि पूर्वक विदाई किये जाने की परंपरा है. इस दिन की श्राद्ध को सर्व पितृ विसर्जन अमावस्या श्राद्ध कहते हैं और इस अमावस्या को सर्व पितृ विसर्जनी अमावस्या कहते हैं.
पितृ विसर्जन अमावस्या के दिन किसी सात्विक और विद्वान ब्राह्मण को आमंत्रित कर भोजन करना चाहिए और आशीर्वाद देने की प्रार्थना करनी चाहिए.
सर्व पितृ विसर्जनी अमावस्या को स्नान करके पितरों के नाम पिंड दान करें. उसके बाद शुद्ध मन से भोजन बनवाकर ब्राह्मणों को भोजन करवाएं. भोजन सात्विक हो और इसमें खीर अवश्य होनी चाहिए. इस बात का ध्यान जरूर रखना चाहिए कि ब्राह्मणों को भोजन कराने तथा श्राद्ध करने का समय मध्यान्ह हो, तथा ब्राह्मण को भोजन कराने के पूर्व पंचबली दें और हवन करें. ब्राह्मणों को श्रद्धा पूर्वक भोजन कराने के बाद उनका तिलक करें और दक्षिणा प्रदान कर आदर पूर्वक विदा करें. अंत में घर के सभी सदस्य एक साथ भोजन करें और पितरों की आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना करें.


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