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धर्म-अध्यात्म
Saphala Ekadashi: बेहद सुंदर योग में पड़ रही है साल की आखिरी एकादशी, जानें शुभ मुहूर्त और पूजा विधि
Renuka Sahu
24 Dec 2024 1:35 AM GMT
Saphala Ekadashi: सफला एकादशी के नाम से ही आपको इसके महत्व का पता चल जाता है। जो भी व्यक्ति सफला एकादशी का व्रत रखता है और विधि-विधान से भगवान विष्णु की पूजा करता है, उसको हर कार्य में सफलता प्राप्त होती है। इस साल सफला एकादशी के दिन सुकर्मा योग, स्वाती नक्षत्र और गुरुवार दिन का सुंदर संयोग बन रहा है। जिस वजह से ये एकादशी बेहद ही शुभ मानी जा रही है। साल 2024 में सफला एकादशी कब है ? सफला एकादशी का मुहूर्त, पारण समय और सटीक पूजा विधि तो आईए जानते हैं-
सफला एकादशी का व्रत करने से जातक को लंबे समय से रुके हुए कार्यों को करने पर उनमें सफलता अवश्य मिलती है। धार्मिक ग्रंथों के अनुसार सफला एकादशी अपने में ही सफलता के अर्थ से परिपूर्ण है, इस तिथि पर भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की उपासना से साधक को हर क्षेत्र में सफलता प्राप्त होती है।
सफला एकादशी का शुभ मुहूर्त: पंचांग के अनुसार पौष माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि की शुरुआत 25 दिसंबर को रात 10 बजकर 29 मिनट पर होगी। इस तिथि का समापन 26 दिसंबर को देर रात 12 बजकर 43 मिनट पर होगा। उदया तिथि के अनुसार 26 दिसंबर, गुरुवार के दिन सफला एकादशी का व्रत रखा जाएगा।
चूंकि हिंदू धर्म में गुरुवार का दिन भगवान विष्णु की पूजा को समर्पित है। ऐसे में सफला एकादशी का गुरुवार के दिन पड़ना बेहद शुभ माना जा रहा है। इसके अलावा इस दिन सुकर्मा योग का निर्माण हो रहा है, जो रात 10 बजकर 23 मिनट पर समाप्त होगा। सफला एकादशी पर स्वाति नक्षत्र भी बनेगा, जो शाम 06 बजकर 09 मिनट तक रहेगा। इस दिन अभिजीत मुहूर्त दोपहर 12 बजकर 01 मिनट से 12 बजकर 42 मिनट तक है। कुल मिलाकर साल की आखिरी एकादशी बेहद ही शुभ मानी जा रही है।
सफला एकादशी पर पूजा का शुभ मुहूर्त सुबह 07 बजकर 12 मिनट से सुबह 8 बजकर 30 मिनट तक रहेगा। आप इस अवधि में भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की पूजा कर सकते हैं।
सफला एकादशी व्रत का पारण 27 दिसंबर शुक्रवार को सुबह 7 बजकर 12 मिनट से 9 बजकर 16 मिनट के बीच कर सकते हैं।द्वादशी तिथि का समापन 28 दिसंबर को तड़के 2 बजकर 26 मिनट पर होगा।
सफला एकादशी की पूजा विधि: सफला एकादशी के दिन पूजा करने के लिए एक चौकी लें। उस पर भगवान विष्णु की मूर्ति या फोटो को स्थापित करें। उन्हें पीले फूल, फल, धूप, दीप और चंदन अर्पित करें। दूध, दही, घी, शहद और चीनी से तैयार पंचामृत का भोग लगाएं। पंचामृत में तुलसी जरूर डालें। अब विष्णु जी के मंत्रों का जाप करें। एकादशी व्रत कथा करें। अंत में भगवान विष्णु की आरती करके पूजा में हुई भूल की क्षमा मांगे।
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