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जन्म कुंडली के तमाम दोष को समाप्त कर सकता है रुद्राक्ष, जानिए कैसे…
रुद्राक्ष प्रकृति का दिया एक ऐसा उपहार है जिसके जरिए अर्थ, धर्म, काम और मोक्ष सभी की प्राप्ति की जा सकती है. सनातन धर्म में रुद्राक्ष को बहुत पवित्र माना जाता है और भगवान शिव से जोड़कर देखा जाता है. मान्यता है कि भगवान शिव के आंसुओं से रुद्राक्ष की उत्पत्ति हुई है. मान्यता है कि जो व्यक्ति रुद्राक्ष धारण करता है, उसकी जन्म कुंडली के तमाम दोष समाप्त हो जाते हैं.
भगवान शिव स्वयं उसकी रक्षा करते हैं और उसके जीवन की तमाम कठिनाइयां स्वयं समाप्त हो जाती हैं. अगर आपकी भी कुंडली में किसी तरह का अशुभ योग या दोष है तो आप रुद्राक्ष को धारण कर उसके अशुभ प्रभाव से मुक्ति पा सकते हैं. जानिए किस अशुभ योग के लिए कितने मुखी रुद्राक्ष धारण करना चाहिए.
कालसर्प दोष
कालसर्प दोष व्यक्ति के जीवन में कई तरह की समस्याएं उत्पन्न करता है. उसके कार्य बनते बनते बिगड़ जाते हैं. यदि आपकी कुंडली में कालसर्प दोष है तो आपको 8 और 9 मुखी रुद्राक्ष धारण करना चाहिए. इससे आपको काफी लाभ होगा.
ग्रहण योग
राहु-केतु और चंद्रमा मिलकर ग्रहण दोष बनाते हैं. ऐसे में व्यक्ति 2 या 8 मुखी रुद्राक्ष पहन ले तो उसे काफी लाभ होता है और तमाम संकट टल जाते हैं.
चांडाल दोष
यदि कुंडली के किसी भी भाव में गुरु के साथ राहु बैठ जाए तो ये चांडाल योग बन जाता है. चांडाल योग व्यक्ति की शिक्षा को प्रभावित करता है, धन की समस्याएं पैदा करता है और इसका असर चरित्र पर भी होता है. ऐसे में व्यक्ति को पेट और श्वास रोग होने की आशंका रहती है. ऐसे में 5 और 10 मुखी रुद्राक्ष पहनना चाहिए.
अंगारक योग
अंगारक योग होने पर व्यक्ति को बहुत तेज गुस्सा आता है. कई बार वो हिंसक और नकारात्मक भी हो जाता है. ये योग कुंडली में मंगल और राहु के साथ होने पर होता है. ऐसे में उस व्यक्ति को 3 मुखी रुद्राक्ष धारण करना चाहिए.
केमद्रुम योग
ये योग चंद्रमा की वजह से बनता है और जीवन में तमाम अशुभ प्रभाव छोड़ता है. ये योग जिसकी कुंडली में होता है, उसे अपने जीवन में लगातार परेशानियों का सामना करना पड़ता है. ऐसे लोगों को 13 मुखी रुद्राक्ष चांदी में धारण करना चाहिए.
मांगलिक योग
अगर आपकी कुंडली में मांगलिक दोष है, तो भी आपके जीवन में अशांति, उठापटक, गुस्सा, आदि समस्याएं बनी रहेंगी. इससे मुक्ति पाने के लिए आपको 11 मुखी रुद्राक्ष पहनना चाहिए.
शकट योग
जब सभी ग्रह प्रथम और सप्तम भाव में हों तब शकट योग बनता है. कभी कभी गुरु और चन्द्रमा की स्थिति भी इस योग को बनाती है. ऐसे में व्यक्ति को 10 मुखी रुद्राक्ष पहनना चाहिए.