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Rudrabhishek ज्योतिष न्यूज़ : रुद्राभिषेक का का शाब्दिक अर्थ होता है - 'रुद्र का अभिषेक' यानि भगवान् शिव जो कि रुद्र हैं, उनका अभिषेक अर्थात उन्हें स्नान कराना जो कि कई चीजों से होता है। मनुष्यों के लिए रुद्राभिषेक का मुख्य उद्देश्य सभी दुखों से मुक्ति पाना होता है क्योंकि शास्त्रों में लिखा है - 'रुतम्-दु:खम्, द्रावयति-नाशयतीतिरुद्र:' यानि शिव सभी दुखों को हरकर उनका नाश कर देते हैं। ऐसी मान्यता है कि कुंडली में मौजूद महापातक या अशुभ दोष भी शिव जी का रुद्राभिषेक करने से दूर हो जाते हैं।
रुद्राभिषेक की महिमा
उपनिषद् में कहा गया है कि भगवान् रुद्र यानि शिवजी में सभी देवों की आत्माएं बसती हैं। इसलिए, उनका अभिषेक करने से सभी देवों के अभिषेक करने जितना फल प्राप्त होता है। रुद्राभिषेक की महत्ता श्रावण सावन मास, शिवरात्रि या महाशिवरात्रि के दिन और भी बढ़ जाती है।
महाशिवरात्रि पर रुद्राभिषेक करने की विधि
शिवलिंग स्थापित करें: सबसे पहले अपने घर में किसी साफ थाली में शिवलिंग को विराजमान कराएं और पूर्व दिशा की तरफ आसन लगाकर बैठ जाएं। पूजा करने वाला मनुष्य साफ़ कपड़ों में होना चाहिए।
दीपक जलाएं: इसके बाद शिवलिंग के दाहिनी तरफ घी का दीपक जलाकर रख दें।
पूजा सामग्री तैयार करें: शिवजी की पूजा करने हेतु एक थाली में पुष्प, अगरबत्तियां, घी, दही, शहद, ताजा दूध, पंचामृत, गुलाब जल, मिठाई, गंगाजल, कपूर, सुपारी, बेल पत्र, लौंग, और इलायची रख दें।
बेल पत्र चढ़ाएं: ओम नम: शिवाय का जप करते हुए पहले बेल पत्र चढ़ाएं, फिर दीपक और पुष्प उन्हें अर्पित करें। आगे इसी मंत्र का जप करते हुए रुद्राभिषेक की शुरुआत करें।
पंचामृत चढ़ाएं: इसके बाद शिवलिंग पर पंचामृत डालें।
चंदन और जल चढ़ाएं: इसके बाद चंदन और जल चढ़ाएं। फिर फूल, कच्चा दूध और गंगाजल चढ़ाएं।
शिवलिंग को साफ करें: इसके बाद शिवलिंग को साफ कर लें। उसके बाद वस्त्र, जनेऊ और दाहिनी अंगुली चंदन चढ़ाएं।
धूप जलाएं: इसके बाद धूप जलाएं। भस्म, बेल पत्र, दूर्वा और फूल बरसाएं। साथ में मन्त्रों का जाप करते रहें।
रुद्राभिषेक के विभिन्न प्रकार/रुद्राभिषेक के लाभ
विभिन्न मनोरथों और कामनाओं की पूर्ति के लिए अलग-अलग चीजों से भगवान् शिव का रुद्राभिषेक किया जाता है जो इस प्रकार है -
जल से अभिषेक: वर्षा की प्राप्ति के लिए।
कुशोदक से अभिषेक: असाध्य रोगों की शांति के लिए।
दही से अभिषेक: भवन-वाहन की प्राप्ति के लिए।
गन्ने के रस से अभिषेक: लक्ष्मी प्राप्ति के लिए।
शहद और घी से अभिषेक: धनवृद्धि के लिए।
तीर्थ के जल से अभिषेक: मोक्ष की प्राप्ति के लिए।
इत्र मिले जल से अभिषेक: बीमारी की शांति के लिए।
दुग्ध से अभिषेक: पुत्र प्राप्ति के लिए।
शक़्कर से मिले दूध से अभिषेक: जड़बुद्धि वाले को विद्वान बनाने के लिए।
सरसों के तेल से अभिषेक: शत्रु पराजित करने के लिए।
शहद से अभिषेक: यक्ष्मा (तपेदिक) की शांति के लिए।
शुद्ध घी से अभिषेक: आरोग्यता प्राप्त करने के लिए।
शक़्कर मिश्रित जल से अभिषेक: पुत्र की कामना पूरी करने के लिए।
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Tara Tandi
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