धर्म-अध्यात्म

रोहिणी व्रत 2023: आज है रोहिणी व्रत, धन-सुख में बढ़ोत्तरी के लिए ऐसे करें पूजन, जानिए क्या है धार्मिक महत्व

SANTOSI TANDI
10 Aug 2023 8:25 AM GMT
रोहिणी व्रत 2023: आज है रोहिणी व्रत, धन-सुख में बढ़ोत्तरी के लिए ऐसे करें पूजन, जानिए क्या है धार्मिक महत्व
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रोहिणी व्रत 2023: आज है रोहिणी व्रत
रोहिणी व्रत 2023: जैन समुदाय के लोग हर त्योहार को बहुत ही अच्छे से मनाते हैं. जैन धर्म में कुछ खास तरह के त्योहार हैं जिन्हें लोग सबसे अधिक मानते हैं और उन्हें मनाते हैं. कुछ ऐसा ही रोहिणी व्रत का त्योहार है. जहां इस व्रत की जैन धर्म में काफी मान्यता है. कहते हैं कि, रोहिणी व्रत जैन समुदाय के लिए महत्वपूर्ण दिनों में से एक है, क्योंकि इस दिन महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र के लिए व्रत रखती हैं. हालांकि, इस महीने ये व्रत 10 अगस्त, 2023 को मनाया जाएगा.
हिन्दू धर्म में रोहिणी व्रत का अधिक महत्व है. धार्मिक मान्यता है कि इस व्रत का पालन करने से जातक को दुःख तकलीफ और सभी कष्टों से निजात मिलता है. जबकि, हिन्दू धर्म में रोहिणी व्रत को पति की लंबी आयु के लिए रखा जाता है तो वहीं जैन धर्म में रोहिणी व्रत माता रोहिणी और भगवान वासुपूज्य का आशीर्वाद पाने के लिए रखा जाता है.
जानिए रोहिणी व्रत का क्या है महत्व?
जैन धर्म में रोहिणी व्रत का विशेष महत्व है. चूंकि, महावीर भगवान जैन धर्म के प्रवर्तक कहे जाते हैं. ऐसे में इस धर्म का उपदेश है कि मनुष्य जाति का सबसे बड़ा धर्म अहिंसा हैं. जबकि, जैन धर्म के लोग इस व्रत को त्योहार के रूप में मनाते हैं. इसमें कई पुरुष तो खुद इस व्रत को रखतें हैं. मान्यता है कि, जैन समुदाय के लोग इस दिन भगवान वासुपूज्य की पूजा करते है.
जानें रोहिणी व्रत व्रत पूजन विधि
रोहिणी व्रत में सूर्योदय से पहले स्नान के बाद साफ वस्त्र धारण करें. चूंकि, पूजा में पवित्रता और शुद्धता का विशेष खयाल रखा जाता है.
अब पूजा के लिए वासुपूज्य भगवान की पांचरत्न, ताम्र या स्वर्ण प्रतिमा की स्थापना करें. जिसके बाद भगवान को फल, फूल और मिठाई का भोग चढ़ाएं.
जैन समुदाय के लोग इस दिन व्रत को होने से पहले गरीबों में खाना, कपड़ा आदि का दान करते हैं. कहते हैं कि ऐसा करने से भौतिक सुखों की बढ़ोत्तरी होती है
इस व्रत के बाद भगवान श्री कृष्ण और माता रोहिणी की पूजा करें. फिर दोनों को भोग लगाएं और प्रसाद के रूप में बांटे.
रोहिणी व्रत का पालन रोहिणी नक्षत्र के दिन से शुरू होकर अगले नक्षत्र मार्गशीर्ष तक चलता हैं.
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