धर्म-अध्यात्म

शनि पूजन का सही समय, इस मुहूर्त में पूजा करने से मिलेगा पूर्ण फल

Tara Tandi
23 May 2022 12:00 PM GMT
Right time to worship Shani, worshiping in this Muhurta will give full results
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इस साल 30 मई के दिन शनि जयंती मनाई जाएगी. इस दिन शनिदेव की कृपा पाने के लिए इस दिन शुभ मुहूर्त में दान-पूजन में विशेष फलदायी मानी जाती है

ज्योतिष शास्त्र में शनिदेव को न्याय और कर्म के देवता के नाम से जाना जाता है. व्यक्ति के अच्छे-बुरे कर्मों का हिसाब शनिदेव रखते हैं. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार शनि की क्रुर दृष्टि जिस राशि के जातकों पर पड़ती है, तो उसके बुरे दिन शुरू हो जाते हैं. शनि देव का जन्म ज्येष्ठ माह की अमावस्या तिथि पर हुआ था. इस बार 30 मई के दिन शनि जयंती मनाई जाएगी. शनिदेव की कृपा पाने के लिए और उन्हें प्रसन्न करने के लिए ये दिन बेहद शुभ माना जाता है.

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार इस दिन शनिदेव का पूजन और दान आदि अगर शुभ मुहूर्त में किया जाए, तो विशेष फलदायी होता है. इस दिन शनि जयंती के साथ सोमवती अमावस्या, वट सावित्री व्रत भी है. 30 मई का दिन बेहद शुभ . आइए जानते हैं इस दिन का शुभ मुहूर्त और शनिदेन के मंत्रों का जाप.
इस मुहूर्त में करें पूजन और दान
हिंदू पंचाग के अनुसार इस बार शनि जंयती 29 मई दोपहर 2 बजकर 54 मिनट से आरंभ हो रही है और 30 मई शाम 4 बजकर 59 मिनट तक रहेगी. शनि जयंती पर इस बार सर्वार्थ सिद्धि योग होगा और इस योग में ही शनि पूजन किया जाएगा. शनिदेव को लेकर कहा जाता है कि भक्तों की जरा-सी श्रद्धा से ही वे उनके कष्टों को दूर कर देते हैं. और ऐसे में सर्वार्थ योग का होना भक्तों के लिए सोने पर सुहागा होगा.
ऐसा माना जाता है कि इस योग में किए गए कार्यों का फल शुभ होता है. इसलिए शनि जयंती पर इस बार सर्वार्थ सिद्धि योग में पूजा करने से सभी मनोकामनाओं की पूर्ति होगी. ज्योतिष अनुसार सर्वार्थ सिद्धि योग 30 मई सुबह 7 बजकर 12 मिनट पर आरंभ होगा और 31 मई मंगलवार को सुबह 5 बजकर 24 मिनट तक रहेगा. पूजा का पूरा फल पाना चाहते हैं तो इस मुहूर्त में पूजा और दान आदि करें.
शनिदेव के मंदिर में करें दर्शन
ऐसी मान्यता है कि शनि मंदिर में शनिदेव के दर्शन करें और उन्हें सरसों का तेल, काले तिल, अर्पित करें. इस दिन शनि से संबंधित वस्तुओं का दान बेहद शुभ फलदायी है. इस दिन काला छाता, काले जूते, काले वस्त्र, काले तिल, सरसों का तेल, आदि का दान प्रमुख है.


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