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- ऊपरी बाधा को दूर करें...
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आपने अक्सर किसी व्यक्ति के बारे में यह शब्द सुने होंगे कि उस पर ऊपरी बाधा या ऊपरी हवा का असर हैं। यह किसी के ऊपर भूत-प्रेत या नकारात्मक शक्तियों के हावी होने से होता हैं। जिन लोगों पर इसका असर होता हैं उनमें शारीरिक और मानसिक रूप से बदलाव होने लगते हैं। जब किसी व्यक्ति पर बुरी आत्मा का साया होता है तो उसे काफी प्रताड़ना और दुःख सहना पड़ता है। इसलिए इस ऊपरी हवा से बचने के कुछ टोटके आज हम आपको बताने जा रहे हैं। आइये जानते हैं उसके बारे में।
* एक दोना लेकर उसमें सबसे पहले पान रखें। उसके ऊपर फूल व अन्य वस्तुएं रखकर भूतबाधा से पीडि़त व्यक्ति के नाम राशि के ग्रह का मंत्र 108 बार पढ़ें। यह कार्य पवित्र होकर व दोना सामने रखकर करें। इसके पश्चात सात बार मंत्र पढ़ते हुए उस दोने को रोगी के सिर से पांव तक उतार कर बहते हुए जल में प्रवाहित कर दें। ऐसा करने से प्रेत बाधा शांत हो जाती है। यह टोटका बिना किसी के टोके किया जाना चाहिए।
* जावित्री और सफ़ेद अपराजिता के पत्ते के रास का नस्य लेने से डाकिनी-शाकिनी आदि की बाधा दूर हो जाती है। यह क्रिया शनिवार या मंगलवार को ही करें।
* ऊपरी बाधा, नजर, टोना-टोटका, भूत-प्रेत आदि की शांति एवं इनसे होने वाले कष्टों से बचने के लिए लोबान, गंधक, राई एवं काली मिर्च को हनुमान यंत्र के ऊपर से 7 बार फेर कर घर के प्राणियों के पास रखने से ऊपरी बाधाएं नष्ट होती हैं।
* प्रेत बाधा दूर करने के लिए पुष्य नक्षत्र में चिड़चिटे अथवा धतूरे का पौधा जड़सहित उखाड़ कर उसे धरती में ऐसा दबाएं कि जड़ वाला भाग ऊपर रहे और पूरा पौधा धरती में समा जाएं। इस उपाय से घर में प्रेतबाधा नहीं रहती और व्यक्ति सुख-शांति का अनुभव करता है।
* यदि किसी को प्रेत सताता हो, तो शनिवार के दिन काले धतूरे की जड़ लाकर रोगी की दाहिनी भुजा में बाँध दें। प्रेत उसे सताना छोड़ देगा। यदि रोगी स्त्री हो, तो धतूरे की जड़ उसकी बायीं भुजा में बांधें।
* भूत-पिशाच जहाँ रहते हैं, वहां गाय खड़ी कर दो, गाय की सुगंध से भूत अपने आप भागेंगे l किसी के घर में भूत-प्रेत का वास हो, तो गाय का गोबर अथवा गाय का झरण छिटका करो l गाय का कंडा जलाओ, उस पे थोड़ा गाय का घी डाल दो, अपने आप भागेंगे, भागना नहीं पड़ेगा l अगर किसी व्यक्ति के अंदर भूत घुसे हैं तो उसे उसी धूप वाले कमरे में बिठाओ, भाग जायेंगे l
* काली सरसों, सर्प की केंचुली, काले बकरे का दायां सींग, नीम के पत्ते, बच, अपामार्ग के पत्ते और गुग्गल इन सबको कूट-पीसकर, चूर्ण बनाकर रख लें। जब कोई रोगी प्रेतादि बाधा से पीड़ित आए, तो जलते कंडे के ऊपर उक्त चूर्ण को डालकर, उसकी धूनी रोगी को दें। रोगी उस पीड़ा से मुक्त हो जाएगा।
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