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लक्ष्मी की कृपा पाने के लिए क्रोध और अहंकार को करें दूर
जनता से रिश्ता वेबडेस्क | यह कथा हम सभी जानते हैं कि भृगुऋिषी ने क्रोध में भगवान विष्णु की छाती पर पैर से प्रहार किया था. इस पर भगवान विष्णु ने विनम्रता से उन्हें पूछा कि ऋषिवर आपके पैर में कहीं चोट या मोच तो नहीं आई. इस दृश्य को महालक्ष्मी जी देख रहीं थीं. उन्होंने क्रोधातुर ऋषि से कह दिया कि अब वे उन पर कभी कृपा नहीं बरसाएंगी.इस कहानी से स्पष्ट समझ आता है कि जो व्यक्ति अपनी भावनाओं पर नियंत्रण नहीं रख पाता है. अतिरेक में गलती कर बैठता है. क्रोध कर बैठता उससे लक्ष्मीजी रुष्ट हो जाती हैं. हम सभी को भी लक्ष्मी जी की कृपा पानी है तो सहज जीवन में छोटी-बड़ी बातों पर क्रोध करना और अपनों से अभद्रता बचना चाहिए. करीबियों, मित्रों और रिश्तेदारों से विन्रमता से पेश आना चाहिए. समाज के सभी वर्ग के लोगों को आदरभाव से देखना चाहिए. क्रोध और अहंकार से लक्ष्मी की कृपा दूर हो जाती है.