धर्म-अध्यात्म

साल के अंतिम प्रदोष व्रत पर करें शिव रुद्राष्टम् पाठ जाने उपाय

Teja
31 Dec 2021 1:28 PM GMT
साल के अंतिम प्रदोष व्रत पर करें शिव रुद्राष्टम् पाठ जाने उपाय
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साल 2021 का अंतिम दिन अति विशिष्ट संयोग बन रहा है। इस दिन शुक्र प्रदोष के संयोग का निर्माण हो रहा है।

जनता से रिश्ता वेबडेस्क | साल 2021 का अंतिम दिन अति विशिष्ट संयोग बन रहा है। इस दिन शुक्र प्रदोष के संयोग का निर्माण हो रहा है। शुक्र प्रदोष भगवान शिव के पूजन को समर्पित होता है। पौष माह के प्रदोष व्रत के दिन शुक्रवार होने के कारण ये शुक्र प्रदोष के संयोग बन रहा है। इस दिन भगवान शिव का पूजन करने से जीवन में सुख-सुविधाओं की प्राप्ति होती है। जीवन के सभी दुख और कष्टों का निराकरण होता है। साल के अतिंम दिन 31 दिसंबर को शुक्र प्रदोष के दिन पूजन करने से आने वाले नए साल में भगवान शिव का आशीर्वाद मिलेगा। नया साल आपके लिए शुभ और मंगलमय रहेगा।

साल के अंतिम दिन शुक्र प्रदोष के पूजन में भगवान शिव के रुद्राष्टकम् का पाठ करें। गोस्वामी तुलसीदास कृत भगवान शिव का रुद्राष्टकम् सभी दुखों को हरने वाला है। इसका श्रद्धापूर्वक पाठ करने से भगवान शिव के आशीर्वाद की प्राप्ति होती है। आशुतोष और अवढ़रदानी शिव अपने भक्तों की सभी मुराद पूरी करते हैं।
॥ श्रीरुद्राष्टकम् ॥
नमामीशमीशान निर्वाणरूपं
विभुं व्यापकं ब्रह्मवेदस्वरूपम् ।
निजं निर्गुणं निर्विकल्पं निरीहं
चिदाकाशमाकाशवासं भजेऽहम् ॥ १॥
निराकारमोंकारमूलं तुरीयं
गिरा ज्ञान गोतीतमीशं गिरीशम् ।
करालं महाकाल कालं कृपालं
गुणागार संसारपारं नतोऽहम् ॥ २॥
तुषाराद्रि संकाश गौरं गभीरं
मनोभूत कोटिप्रभा श्री शरीरम् ।
स्फुरन्मौलि कल्लोलिनी चारु गङ्गा
लसद्भालबालेन्दु कण्ठे भुजङ्गा ॥ ३॥
चलत्कुण्डलं भ्रू सुनेत्रं विशालं
प्रसन्नाननं नीलकण्ठं दयालम् ।
मृगाधीशचर्माम्बरं मुण्डमालं
प्रियं शंकरं सर्वनाथं भजामि ॥ ४॥
प्रचण्डं प्रकृष्टं प्रगल्भं परेशं
अखण्डं अजं भानुकोटिप्रकाशम् ।
त्रयः शूल निर्मूलनं शूलपाणिं
भजेऽहं भवानीपतिं भावगम्यम् ॥ ५॥
कलातीत कल्याण कल्पान्तकारी
सदा सज्जनानन्ददाता पुरारी ।
चिदानन्द संदोह मोहापहारी
प्रसीद प्रसीद प्रभो मन्मथारी ॥ ६॥
न यावत् उमानाथ पादारविन्दं
भजन्तीह लोके परे वा नराणाम् ।
न तावत् सुखं शान्ति सन्तापनाशं
प्रसीद प्रभो सर्वभूताधिवासम् ॥ ७॥
न जानामि योगं जपं नैव पूजां
नतोऽहं सदा सर्वदा शम्भु तुभ्यम् ।
जरा जन्म दुःखौघ तातप्यमानं
प्रभो पाहि आपन्नमामीश शम्भो ॥ ८॥
रुद्राष्टकमिदं प्रोक्तं विप्रेण हरतोषये ।
ये पठन्ति नरा भक्त्या तेषां शम्भुः प्रसीदति ॥
अहंकार का त्याग ही प्रेम की अनुभूति है
अहंकार का त्याग ही प्रेम की अनुभूति है
॥ इति श्रीगोस्वामितुलसीदासकृतं श्रीरुद्राष्टकं संपूर्णम् ॥


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