धर्म-अध्यात्म

धार्मिक मान्यता: इन राशियों पर शनि की ढैय्या, जानिए कब मिलेगी राहत और बचने के उपाय

Kunti Dhruw
8 Jun 2021 10:20 AM GMT
धार्मिक मान्यता:  इन राशियों पर शनि की ढैय्या, जानिए कब मिलेगी राहत और बचने के उपाय
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धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, ज्येष्ठ मास की कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि को शनिदेव का जन्म हुआ था.

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, ज्येष्ठ मास की कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि को शनिदेव का जन्म हुआ था इसलिए इस दिन शनि जयंति मनाई जाती है। ज्योतिष शास्त्रों में शनिदेव को पाप व क्रूर ग्रह माना गया है और इनकी छाया और दृष्टि से आजतक कोई नहीं बचा है लेकिन भगवान शिव ने शनिदेव को न्यायाधीश का दर्जा दिया है इसलिए शनि को न्याय का देवता कहा जाता है। वैदिक ज्योतिष के अनुसार, शनि कुंडली में स्थिति सभी 12 भावों में अलग-अलग प्रभाव डालते हैं। अगर कुंडली में शनि की स्थिति मजबूत है तो अच्छे परिणाम मिलते हैं और हमेशा सुख-शांति बनी रहती है, वहीं अगर शनि कमजोर स्थिति में विराजमान हैं तो व्यक्ति को जीवन में काफी उतार-चढ़ाव का सामना करना पड़ता है।

शनिदेव के इनके साथ अच्छे संबंध
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, शनिदेव के बुध, शुक्र व राहु के साथ मित्रता वाले संबंध हैं, वहीं सूर्य, चंद्रमा और मंगल के साथ शत्रु भाव हैं। हालांकि देवताओं के गुरु बृहस्पतिदेव और केतु के साथ इनके संबंध सम हैं। शनि अन्य ग्रहों की तुलना में काफी मंद गति से चलते हैं। शनि हर ढाई साल में एक राशि से दूसरी राशि में परिवर्तन करते हैं तो इस तरह किसी राशि पर ढैय्या की शुरुआत होती है तो किसी की साढ़ेसाती और ढैय्या खत्म होती है।
इस भाव में रहेंगे शनिदेव
शनि एक राशि में ढाई साल तक रहते हैं, ऐसे में शनि अपना पूरा चक्र करीब 30 साल में पूरा करते हैं। जब शनि गोचर काल में राशि से चौथे या आठवें भाव में विराजमान हों तो उस स्थिति में शनि की ढैय्या कहलाती है। इस वक्त मिथुन व तुला राशि पर शनि की ढैय्या का प्रभाव बना हुआ है तो धनु, मकर और कुंभ राशि पर शनि की साढ़ेसाती का प्रभाव बना रहेगा। हम बात कर रहे हैं ढैय्या की तो मिथुन राशि के अष्टम भाव में शनि विराजमान हैं, जिनको कंटक शनि भी कहा जाता है। वहीं तुला राशि के चतुर्थ भाव में शनि विराजमान हैं तो इनको अर्धाष्टम शनि भी कहते हैं।
योग कारक की भूमिका निभाएंगे शनिदेव
इस प्रकार मिथुन और तुला राशि पर शनि की ढैय्या का प्रभाव बना हुआ है। इनमें तुला राशि पर ढैय्या का अनुकूल प्रभाव बना रहेगा क्योंकि शनिदेव इनके योग कारक के लिए भूमिका निभाने वाला है और इस दौरान इनको काफी लाभ भी होंगे और कई समस्याओं से मुक्ति भी मिलेगी। वहीं मिथुन राशि वालों को जीवन में उतार-चढ़ाव का सामना करना पड़ता है क्योंकि अष्टम भाव में शनि का होना व्यवधान उत्पन्न करने के लिए जाना जाता है।
इस दिन मिलेगी मिथुन और तुला को राहत
मिथुन और तुला राशियों पर 24 जनवरी 2020 से शनि की ढैय्या का प्रभाव बना हुआ है। तुला राशि में शनि उच्च स्थान पर हैं, इसकी वजह से शनिदेव की विशेष कृपा बनी रहेगी। वहीं अगर मुक्ति की बात की जाए तो मिथुन और तुला राशियों को 29 अप्रैल 2022 तक शनि के ढैय्या के प्रभाव से मुक्ति मिलेगी। क्योंकि इस दिन शनि कुंभ राशि में प्रवेश कर जाएंगे। कुंभ राशि में पहुंचते ही कर्क और वृश्चिक राशि पर शनि की ढैय्या का प्रभाव शुरू हो जाएगा।
शनि की ढैय्या से बचने का उपाय
शनि की ढैय्या के दौरान जीवन में काफी उतार-चढ़ाव का सामना करना पड़ सकता है और बने-बनाए कार्य आसानी बिगड़ जाते हैं। साथ ही कार्यों में कोई न कोई बाधा लगी रहती है। शनि की ढैय्या में धोखा मिलने के आसार ज्यादा हो जाते हैं इसलिए इस दौरान सतर्कता से काम करना चाहिए। शनि के इस प्रभाव से बचने के लिए गरीबों व जरूरतमंद लोगों की मदद करनी चाहिए और चीटियों को आटा डालना चाहिए। ऐसा करने से शनि की ढैय्या का असर कम हो जाता है। इसके साथ ही पश्चिम दिशा में काले कंबल पर बैठकर शनिदेव की पूजा करनी चाहिए और शनिवार को सरसों का तेल शनिदेव को अर्पित करें और सुंदरकांड का पाठ करें। ऐसा करने से शनिदेव प्रसन्न होते हैं और आशीर्वाद देते हैं।
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