- Home
- /
- अन्य खबरें
- /
- धर्म-अध्यात्म
- /
- Religion: इस मंदिर...
धर्म-अध्यात्म
Religion: इस मंदिर में विश्व का एकमात्र श्रीयंत्र गुंबद होने का दावा, बने हैं 43 त्रिकोण
Ritik Patel
25 Jun 2024 1:47 PM GMT
x
Religion: राजधानी रायपुर का सुमेरु मठ भगवान भोलेनाथ को समर्पित है. यहां पारद शिवलिंग की विशेष विधि विधान के साथ पूजा की जाती है. रायपुर के प्रोफेसर कॉलोनी स्थित सुमेरु मठ में शिव भक्तों का तांता लगा रहता है. सुमेरु मठ मंदिर दिखने में काफी भव्य है. दावा किया जाता है कि विश्व में यह एकमात्र श्रीयंत्र आकार का गुंबद है, जिसमें 43 त्रिकोण बने हैं और प्रत्येक कोण में पारद शिवलिंग है. सवा 37 फीट लंबा-चौड़ा और 30 फीट ऊंचाई वाला श्रीयंत्र राजधानी Raipur के अलावा कहीं नहीं है. श्रीयंत्र में स्थित 43 पारद शिवलिंग के नीचे सभागृह में शिवलिंग प्रतिष्ठापित है. श्रीयंत्र के नीचे सभागृह में बैठकर ध्यान, मंत्रोच्चार करने से सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है.
सुमेरु मठ के पारस सोनी ने बताया कि सुमेरु मठ विश्व का एकमात्र पूर्णतः वैदिक, तांत्रिक और धार्मिक रूप से पूर्ण श्री यंत्र मंदिर है. जिसकी विधिवत स्थापना बाबा अघोड़ नाथ के शिष्य अघोर पीठाधीश बाबा रुद्रानंद प्रचंड वेग के द्वारा कुछ वर्ष पहले की गई है. श्रीयंत्र के 43 त्रिकोण होते हैं. 43 त्रिकोणों में पारदेश्वर शिवलिंग की मूलभूत स्थापना हुई है. इस स्थान पर 23 वर्ष पूर्व बाबा अघोड़ नाथ आए हुए थे जिन्होंने इस स्थान की नींव रखी और उनके मार्गदर्शन से पीठाधीश बाबा रुद्रानंद प्रचंड वेग के द्वारा गद्दी स्थापित हुई फिर कुछ समय के पश्चात यहां पर अघोड़ नाथ के ज्योतिर्लिंग स्वरूप पारदेश्वर शिवलिंग की स्थापना हुई.
अघोर पीठ के रूप की गई स्थापना- उसी दरमियान यहां अखंड धुना प्रज्वलित किया गया. यह अखंड धुना विगत 23 वर्षों से अनवरत जारी है. प्रतिदिन सुबह, शाम और रात्रि काल में यज्ञ अनुष्ठान किया जाता है. हर साल 21 से 25 जून तक अघोर महोत्सव के रूप में श्री यज्ञ किया जाता है. सुमेरु मठ धर्म और eternal संस्कृति के लिए सुलभ किया गया है. समाज में ऐसी भ्रांतियां है कि तंत्र और अघोर क्रिया बहुत ही दुर्लभ लोगों के लिए होती है. इस भ्रांति को तोड़ने के लिए बाबा अघोड़ नाथ के द्वारा अघोर पीठ के रूप इस स्थान की स्थापना की गई. यह स्थान सनातन संस्कृति के गुण रहस्यों को सामान्य जनों तक बहुत ही सरल माध्यम में पहुंचा रहा है.किसी में भेदभाव नहीं करते अघोर
अभी तक हम अघोर के बारे में सोचते आ रहे थे कि वे बहुत कठिन और विचित्र होते हैं. अघोर श्मशान में रहते हैं उनकी दैनिक क्रिया विचित्र और असहज होती है जो कि यह केवल भ्रातियां है. अघोर का वास्तविक अर्थ बहुत ही ज्यादा सरल होता है. जो बहुत ही ज्यादा सहज हो सभी के लिए सामान्य होते हैं. वे किसी के लिए कोई भेदभाव नहीं रखते हैं न ही किसी से परहेज करते हैं. समाज में फैली भ्रांति को तोड़ने के लिए बाबा अघोड़ नाथ के द्वारा इस पीठ की स्थापना की गई है. यह पीठ गुरुकुल के रूप में है जो सभी के लिए सनातन धर्म के लिए शिक्षा प्रदान कर रहा है.
ख़बरों के अपडेट के लिए जुड़े रहे जनता से रिश्ता पर
TagsReligiontempleSriyantrarianglesमंदिरश्रीयंत्र गुंबदजनता से रिश्ता न्यूज़जनता से रिश्ताआज की ताजा न्यूज़हिंन्दी न्यूज़भारत न्यूज़खबरों का सिलसिलाआज की ब्रेंकिग न्यूज़आज की बड़ी खबरमिड डे अख़बारJanta Se Rishta NewsJanta Se RishtaToday's Latest NewsHindi NewsIndia NewsKhabron Ka SilsilaToday's Breaking NewsToday's Big NewsMid Day Newspaperजनताjantasamachar newsSamacharहिंन्दी समाचार
Ritik Patel
Next Story