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धर्म-अध्यात्म
यज्ञ में डाली जाती है लाल मिर्च की आहुति, रावण की ईष्ट देवी थीं मां बगलामुखी
Tulsi Rao
28 Jun 2022 2:20 PM GMT

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जनता से रिश्ता वेबडेस्क। Baglamukhi Temple Himachal Pradesh: घर के विवाद, व्यापार-नौकरी से जुड़ी परेशानियां, कोर्ट-कचहरी के मामले या अन्य कारणों से बने दुश्मनों से निपट पाना आसान काम नहीं होता है. कई बार इनसे निपटने के लिए साम-दाम-दंड-भेद जैसी तमाम नीतियां अपनानी पड़ती हैं. हिमाचल प्रदेश में एक ऐसा मंदिर है, जहां विशेष पूजा-अर्चना करने से बड़े से बड़े दुश्मन पर भी जीत हासिल हो जाती है. इस मंदिर का नाम बगलामुखी मंदिर है और यहां शत्रुनाशिनी यज्ञ कराने के लिए लोग दूर-दूर से आते हैं.
यज्ञ में डाली जाती है लाल मिर्च की आहुति
कांगड़ा जिले में स्थित इस मां बगलामुखी मंदिर में शत्रुनाशिनी और वाकसिद्धि यज्ञ होते हैं. ये यज्ञ करने से शत्रु को परास्त करने में मदद मिलती है. यूं कहें कि बड़े से बड़ा शत्रु भी मात खा जाता है. साथ ही व्यक्ति की हर मनोकामना भी पूरी होती है. शत्रु को परास्त करने के लिए किए जाने वाले इन यज्ञ में लाल मिर्च की आहुति दी जाती है.
रावण की ईष्ट देवी थीं मां बगलामुखी
हिंदू पौराणिक कथाओं में मां बगलामुखी को दस महाविद्याओं में से आठवें नंबर पर स्थान प्राप्त है. वे रावण की ईष्ट देवी थीं. धर्म-शास्त्रों के मुताबिक जब भगवान राम, रावण से युद्ध करने जा रहे थे तो उन्होंने भी मां बगलामुखी की आराधना की थी. तभी उन्हें रावण पर जीत हासिल हुई थी. इतना ही पांडव भी मां बगलामुखी की पूजा करते थे. कहा जाता है कि कांगड़ा स्थित यह मंदिर महाभारत काल का है और पांडवों ने ही अज्ञातवास के दौरान एक रात में इस मंदिर की स्थापना की थी.
पीला रंग है मंदिर की पहचान
मां बगलामुखी का यह मंदिर पीले रंग का है. बल्कि इस मंदिर की हर चीज यहां तक की माता के वस्त्र से लेकर उन्हें लगने वाले भोग तक हर चीज पीले रंग की होती है. मान्यता है कि मां बगलामुखी भक्तों के भय को दूर करके उनके शत्रुओं और उनकी बुरी ताकतों का नाश करती हैं. बता दें कि इस मंदिर में मुकदमों, विवादों में फंसे लोगों के अलावा बड़े-बड़े नेता, सेलिब्रिटी आदि भी विशेष पूजा करने के लिए पहुंचते हैं.
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