धर्म-अध्यात्म

21 बार करें हनुमान जी का ये पाठ ,सभी परेशानियां खतम

Tara Tandi
16 May 2023 12:08 PM GMT
21 बार करें हनुमान जी का ये पाठ ,सभी परेशानियां खतम
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सप्ताह का हर दिन किसी न किसी देवी देवता की पूजा को समर्पित किया गया हैं वही मंगलवार का दिन हनुमान पूजा के लिए उत्तम माना जाता हैं। इस दिन भक्त भगवान को प्रसन्न करने के लिए उनकी विधिवत पूजा करते हैं और व्रत आदि भी रखते हैं मान्यता है कि इस दिन व्रत पूजन करने से प्रभु की कृपा बरसती हैं।
हिंदू पंचांग के अनुसार अभी साल का तीसरा महीना यानी ज्येष्ठ माह चल रहा है और इस महीने पड़ने वाले मंगलवार को बेहद खास माना जाता हैं जो कि बड़े मंगल के नाम से जाना जाता हैं इस दिन व्रत पूजन के साथ अगर श्री हनुमान लांगूलास्त्र स्तोत्र का लगातार 21 बार पाठ किया जाए तो प्रभु अतिशीघ्र प्रसन्न होते हैं और कृपा करते हैं मान्यता है कि इस चमत्कारी पाठ को करने से धन से जुड़ी हर परेशानी दूर हो जाती हैं तो आज हम आपके लिए लेकर आए हैं ये चमत्कारी पाठ।

21 बार करें हनुमान जी का ये पाठ ,सभी परेशानियां खतम

हनुमन्नञ्जनीसूनो महाबलपराक्रम ।
लोलल्लाङ्गूलपातेन ममारातीन्निपातय ॥ १ ॥
मर्कटाधिप मार्ताण्डमण्डलग्रासकारक ।
लोलल्लाङ्गूलपातेन ममारातीन्निपातय ॥ २ ॥
अक्षक्षपण पिङ्गाक्ष दितिजासुक्षयङ्कर ।
लोलल्लाङ्गूलपातेन ममारातीन्निपातय ॥ ३ ॥
रुद्रावतार संसारदुःखभारापहारक ।
लोलल्लाङ्गूलपातेन ममारातीन्निपातय ॥ ४ ॥
श्रीरामचरणाम्भोजमधुपायितमानस ।
लोलल्लाङ्गूलपातेन ममारातीन्निपातय ॥ ५ ॥
वालिप्रमथनक्लान्तसुग्रीवोन्मोचनप्रभो ।
लोलल्लाङ्गूलपातेन ममारातीन्निपातय ॥ ६ ॥
सीताविरहवाराशिभग्न सीतेशतारक ।
लोलल्लाङ्गूलपातेन ममारातीन्निपातय ॥ ७ ॥
रक्षोराजप्रतापाग्निदह्यमानजगद्वन ।
लोलल्लाङ्गूलपातेन ममारातीन्निपातय ॥ ८ ॥
ग्रस्ताशेषजगत्स्वास्थ्य राक्षसाम्भोधिमन्दर ।
लोलल्लाङ्गूलपातेन ममारातीन्निपातय ॥ ९ ॥
पुच्छगुच्छस्फुरद्वीर जगद्दग्धारिपत्तन ।
लोलल्लाङ्गूलपातेन ममारातीन्निपातय ॥ १० ॥
जगन्मनोदुरुल्लङ्घ्यपारावारविलङ्घन ।
लोलल्लाङ्गूलपातेन ममारातीन्निपातय ॥ ११ ॥
स्मृतमात्रसमस्तेष्टपूरक प्रणतप्रिय ।
लोलल्लाङ्गूलपातेन ममारातीन्निपातय ॥ १२ ॥
रात्रिञ्चरतमोरात्रिकृन्तनैकविकर्तन ।
लोलल्लाङ्गूलपातेन ममारातीन्निपातय ॥ १३ ॥
जानक्या जानकीजानेः प्रेमपात्र परन्तप ।
लोलल्लाङ्गूलपातेन ममारातीन्निपातय ॥ १४ ॥
भीमादिकमहावीरवीरावेशावतारक ।
लोलल्लाङ्गूलपातेन ममारातीन्निपातय ॥ १५ ॥
वैदेहीविरहक्लान्तरामरोषैकविग्रह ।
लोलल्लाङ्गूलपातेन ममारातीन्निपातय ॥ १६ ॥
वज्राङ्गनखदंष्ट्रेश वज्रिवज्रावगुण्ठन ।
लोलल्लाङ्गूलपातेन ममारातीन्निपातय ॥ १७ ॥
अखर्वगर्वगन्धर्वपर्वतोद्भेदनस्वर ।
लोलल्लाङ्गूलपातेन ममारातीन्निपातय ॥ १८ ॥
लक्ष्मणप्राणसन्त्राण त्राततीक्ष्णकरान्वय ।
लोलल्लाङ्गूलपातेन ममारातीन्निपातय ॥ १९ ॥
रामादिविप्रयोगार्त भरताद्यार्तिनाशन ।
लोलल्लाङ्गूलपातेन ममारातीन्निपातय ॥ २० ॥
द्रोणाचलसमुत्क्षेपसमुत्क्षिप्तारिवैभव ।
लोलल्लाङ्गूलपातेन ममारातीन्निपातय ॥ २१ ॥
सीताशीर्वादसम्पन्न समस्तावयवाक्षत ।
लोलल्लाङ्गूलपातेन ममारातीन्निपातय ॥ २२ ॥
इत्येवमश्वत्थतलोपविष्टः
शत्रुञ्जयं नाम पठेत्स्वयं यः ।
स शीघ्रमेवास्तसमस्तशत्रुः
प्रमोदते मारूतजप्रसादात् ॥ २३ ॥
इति श्री हनुमाल्लाङ्गूलास्त्र स्तोत्रम् ।
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