- Home
- /
- अन्य खबरें
- /
- धर्म-अध्यात्म
- /
- पापमोचिनी एकादशी पर...
धर्म-अध्यात्म
पापमोचिनी एकादशी पर करें इस स्त्रोत का पाठ, भगवान विष्णु होंगे प्रसन्न
Apurva Srivastav
28 March 2024 2:09 AM GMT
x
नई दिल्ली : सालभर में 24 एकादशी पड़ती हैं जिनमें से एक है पापमोचिनी एकादशी. एकादशी की विशेष धार्मिक मान्यता होती है. माना जाता है कि एकादशी की पूजा करने पर भगवान विष्णु (Lord Vishnu) प्रसन्न होते हैं. मान्यतानुसार पापमोचिनी एकादशी का व्रत रखने पर जाने-अनजाने में किए गए सभी पापों से मुक्ति मिल जाती है. प्रतिवर्ष चैत्र माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि पर पापमोचिनी एकादशी का व्रत रखा जाता है. पंचांग के अनुसार, इस साल चैत्र माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि का प्रारंभ 4 अप्रैल, गुरुवार दोपहर 4 बजकर 14 मिनट पर हो रहा है और इस तिथि का समापन 5 अप्रैल की दोपहर 1 बजकर 28 मिनट पर हो जाएगा. उदया तिथि के चलते पापमोचिनी एकादशी का व्रत 5 अप्रैल, शुक्रवार के दिन रखा जाएगा. यहां जानिए पापमोचिनी एकादशी पर किस स्त्रोत (Strotam) का पाठ करना बेहद शुभ होता है जिससे भगवान विष्णु प्रसन्न हो सकते हैं.
श्री हरि स्तोत्र (Shri Hari Stotram)
शरच्चन्द्रभालं महादैत्यकालं
नभोनीलकायं दुरावारमायं
सुपद्मासहायम् भजेऽहं भजेऽहं ॥1
सदाम्भोधिवासं गलत्पुष्पहासं
जगत्सन्निवासं शतादित्यभासं
गदाचक्रशस्त्रं लसत्पीतवस्त्रं
हसच्चारुवक्त्रं भजेऽहं भजेऽहं ॥2
रमाकण्ठहारं श्रुतिव्रातसारं
जलान्तर्विहारं धराभारहारं
चिदानन्दरूपं मनोज्ञस्वरूपं
ध्रुतानेकरूपं भजेऽहं भजेऽहं ॥3
जराजन्महीनं परानन्दपीनं
समाधानलीनं सदैवानवीनं
जगज्जन्महेतुं सुरानीककेतुं
त्रिलोकैकसेतुं भजेऽहं भजेऽहं ॥4
कृताम्नायगानं खगाधीशयानं
विमुक्तेर्निदानं हरारातिमानं
स्वभक्तानुकूलं जगद्व्रुक्षमूलं
निरस्तार्तशूलं भजेऽहं भजेऽहं ॥5
समस्तामरेशं द्विरेफाभकेशं
जगद्विम्बलेशं ह्रुदाकाशदेशं
सदा दिव्यदेहं विमुक्ताखिलेहं
सुवैकुण्ठगेहं भजेऽहं भजेऽहं ॥6
सुरालिबलिष्ठं त्रिलोकीवरिष्ठं
गुरूणां गरिष्ठं स्वरूपैकनिष्ठं
सदा युद्धधीरं महावीरवीरं
महाम्भोधितीरं भजेऽहं भजेऽहं ॥7
रमावामभागं तलानग्रनागं
कृताधीनयागं गतारागरागं
मुनीन्द्रैः सुगीतं सुरैः संपरीतं
गुणौधैरतीतं भजेऽहं भजेऽहं ॥8
फलश्रुति
इदं यस्तु नित्यं समाधाय चित्तं
पठेदष्टकं कण्ठहारम् मुरारे:
स विष्णोर्विशोकं ध्रुवं याति लोकं
जराजन्मशोकं पुनर्विन्दते नो ॥
एकादशी व्रत के प्रभावशाली मंत्र
श्रीकृष्ण गोविन्द हरे मुरारे।
हे नाथ नारायण वासुदेवाय।।
ॐ नारायणाय विद्महे।
वासुदेवाय धीमहि ।
तन्नो विष्णु प्रचोदयात्।।
धन-समृद्धि मंत्र
ॐ भूरिदा भूरि देहिनो , मा दभ्रं भूर्या भर। भूरि घेदिन्द्र दित्ससि ।
ॐ भूरिदा त्यसि श्रुत: पुरूत्रा शूर वृत्रहन्। आ नो भजस्व राधसि ।
लक्ष्मी विनायक मंत्र
दन्ता भये चक्र दरो दधानं,
कराग्रगस्वर्णघटं त्रिनेत्रम्।
धृता ब्जया लिंगितमब्धि पुत्रया,
लक्ष्मी गणेशं कनकाभमीडे।।
विष्णु के पंचरूप मंत्र
ॐ अं वासुदेवाय नम:।।
ॐ आं संकर्षणाय नम:।।
ॐ अं प्रद्युम्नाय नम:।।
ॐ अ: अनिरुद्धाय नम:।।
ॐ नारायणाय नम:।।
ॐ ह्रीं कार्तविर्यार्जुनो नाम राजा बाहु सहस्त्रवान। यस्य स्मरेण मात्रेण ह्रतं नष्टं च लभ्यते।।
Tagsपापमोचिनी एकादशीस्त्रोत पाठभगवान विष्णुप्रसन्नPapamochini EkadashiStotra PathLord VishnuHappyजनता से रिश्ता न्यूज़जनता से रिश्ताआज की ताजा न्यूज़हिंन्दी न्यूज़भारत न्यूज़खबरों का सिलसिलाआज की ब्रेंकिग न्यूज़आज की बड़ी खबरमिड डे अख़बारJanta Se Rishta NewsJanta Se RishtaToday's Latest NewsHindi NewsIndia NewsKhabron Ka SilsilaToday's Breaking NewsToday's Big NewsMid Day Newspaperजनताjantasamachar newssamacharहिंन्दी समाचार
Apurva Srivastav
Next Story