धर्म-अध्यात्म

सावन पुत्रदा एकादशी पर जरूर करें इस कथा का पाठ, होगी मनोकामनाएं पूरी

Manish Sahu
26 Aug 2023 11:59 AM GMT
सावन पुत्रदा एकादशी पर जरूर करें इस कथा का पाठ, होगी मनोकामनाएं पूरी
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धर्म अध्यात्म: शास्त्रों में पुत्रदा एकादशी व्रत का विशेष महत्व बताया गया है। इस व्रत को करने से साधक को भगवान विष्णु की विशेष कृपा प्राप्त होती है और साधक की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। आइए पढ़ते हैं पुत्रदा एकादशी व्रत कथा।
पुत्रदा एकादशी व्रत कथा
द्वापर युग के आरंभ में महिरूपति नाम की एक नगरी थी, जिसमें महीजित नाम का राजा राज्य करता था, लेकिन पुत्रहीन होने के कारण राजा को राज्य सुखदायक नहीं लगता था। पुत्र सुख की प्राप्ति के लिए राजा ने अनेक उपाय किए परंतु राजा को पुत्र की प्राप्ति नहीं हुई। एक दिन राज्य के सभी ऋषि-मुनियों, सन्यासियों और विद्वानों को बुलाकर संतान प्राप्ति के उपाय पूछे। राजा की बात सुनकर सभी ने कहा कि ‘हे राजन तुमने पूर्व जन्म में सावन माह की एकादशी के दिन अपने तालाब से एक गाय को जल नहीं पीने दिया था। जिसके कारण गाय ने तुम्हे संतान न होने का श्राप दिया था।
इसके बाद सभी ऋषि-मुनियों ने कहा कि हे राजन यदि तुम और तुम्हारी पत्नी पुत्रदा एकादशी का व्रत रखें तो इस श्राप से मुक्ति पा सकते हो। जिसके बाद तुम्हें संतान की प्राप्ति हो सकती है। यह सुनकर राजा ने पत्नी के साथ मिलकर पुत्रदा एकादशी का व्रत का संकल्प लिया। इसके बाद राजा ने सावन माह में आने वाली पुत्रदा एकादशी का व्रत रखा और इस व्रत के प्रभाव से वह शाप से मुक्त हो गया। जिसके बाद उसकी पत्नी गर्भवती हुई और एक तेजस्वी पुत्र को जन्म दिया। राजा काफी प्रसन्न हुए और तब से वह प्रत्येक पुत्रदा एकादशी का व्रत करने लगे। कहते हैं जो कि साधक पूरे मन व श्रद्धा के साथ यह व्रत करता है भगवान विष्णु उसकी सभी मनोकामनाएं पूरी करते हैं।
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