धर्म-अध्यात्म

धनतेरस के दिन करें कुबेर के इन मंत्रों और आरती का पाठ, होगा धन लाभ

Subhi
1 Nov 2021 4:36 AM GMT
धनतेरस के दिन करें कुबेर के इन मंत्रों और आरती का पाठ, होगा धन लाभ
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धनतेरस के दिन धन के देवता कुबेर का पूजन करने का विधान है। मान्यता है कि इस दिन धन कुबेर के पूजन से धन-धान्य की प्राप्ति होती है। यक्षराज कुबेर को देवताओं का कोषाध्यक्ष माना जाता है।

धनतेरस के दिन धन के देवता कुबेर का पूजन करने का विधान है। मान्यता है कि इस दिन धन कुबेर के पूजन से धन-धान्य की प्राप्ति होती है। यक्षराज कुबेर को देवताओं का कोषाध्यक्ष माना जाता है। कुबेर संपूर्ण संसार की धन-संपदा का संचालन करते हैं। हमारी धन संबंधी सभी जरूरतों को कुबेर ही पूरा करते हैं। पंचांग के अनुसार इस साल धनतेरस का पर्व 02 नवंबर, दिन मंगलवार को मनाया जाएगा। धनतेरस के दिन कुबेर के मंत्रों का जाप कर, पूजन के अंत में उनकी आरती गानी चाहिए। ऐसा करने से आपकी धन संबंधी सभी समस्याओं का निराकरण होगा और धन-धान्य की प्राप्ति होगी......

कुबेर के मंत्र –

1-ॐ यक्षाय कुबेराय वैश्रवणाय धनधान्याधिपतये

धनधान्यसमृद्धिं मे देहि दापय स्वाहा॥

2- ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं श्रीं क्लीं वित्तेश्वराय नमः॥

3- ॐ ह्रीं श्रीं क्रीं श्रीं कुबेराय अष्ट-लक्ष्मी मम गृहे धनं पुरय पुरय नमः॥

कुबेर जी की आरती

ऊँ जै यक्ष कुबेर हरे,स्वामी जै यक्ष जै यक्ष कुबेर हरे।

शरण पड़े भगतों के,भण्डार कुबेर भरे॥

ऊँ जै यक्ष कुबेर हरे...॥

शिव भक्तों में भक्त कुबेर बड़े,स्वामी भक्त कुबेर बड़े।

दैत्य दानव मानव से,कई-कई युद्ध लड़े॥

ऊँ जै यक्ष कुबेर हरे...॥

स्वर्ण सिंहासन बैठे,सिर पर छत्र फिरे, स्वामी सिर पर छत्र फिरे।

योगिनी मंगल गावैं,सब जय जय कार करैं॥

ऊँ जै यक्ष कुबेर हरे...॥

गदा त्रिशूल हाथ में,शस्त्र बहुत धरे, स्वामी शस्त्र बहुत धरे।

दुख भय संकट मोचन,धनुष टंकार करें॥

ऊँ जै यक्ष कुबेर हरे...॥

भांति भांति के व्यंजन बहुत बने,स्वामी व्यंजन बहुत बने।

मोहन भोग लगावैं,साथ में उड़द चने॥

ऊँ जै यक्ष कुबेर हरे...॥

बल बुद्धि विद्या दाता,हम तेरी शरण पड़े, स्वामी हम तेरी शरण पड़े

अपने भक्त जनों के,सारे काम संवारे॥

ऊँ जै यक्ष कुबेर हरे...॥

मुकुट मणी की शोभा,मोतियन हार गले, स्वामी मोतियन हार गले।

अगर कपूर की बाती,घी की जोत जले॥

ऊँ जै यक्ष कुबेर हरे...॥

यक्ष कुबेर जी की आरती,जो कोई नर गावे, स्वामी जो कोई नर गावे।

कहत प्रेमपाल स्वामी,मनवांछित फल पावे॥

ऊँ जै यक्ष कुबेर हरे...॥


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