धर्म-अध्यात्म

धन-वैभव के लिए शुक्रवार को करें महालक्ष्मी के नामों के साथ स्तोत्र का पाठ

Subhi
7 Oct 2022 5:45 AM GMT
धन-वैभव के लिए शुक्रवार को करें महालक्ष्मी के नामों के साथ स्तोत्र का पाठ
x
पंचांग के अनुसार, सप्ताह का हर एक दिन किसी न किसी देवी-देवता को समर्पित होता है। इसी तरह शुक्रवार का दिन मां लक्ष्मी को समर्पित है। इस दिन मां लक्ष्मी की विधिवत पूजा करने के साथ व्रत रखने का विधान है।

पंचांग के अनुसार, सप्ताह का हर एक दिन किसी न किसी देवी-देवता को समर्पित होता है। इसी तरह शुक्रवार का दिन मां लक्ष्मी को समर्पित है। इस दिन मां लक्ष्मी की विधिवत पूजा करने के साथ व्रत रखने का विधान है। शास्त्रों के अनुसार माना जाता है कि शुक्रवार या फिर नियमित रूप से श्री लक्ष्मी चालीसा, लक्ष्मी मंत्र, मां लक्ष्मी स्तुति, कनकधारा स्तोत्र आदि का पाठ अवश्य करना चाहिए। ऐसा करने से घर में सुख-शांति, धन-वैभव, ऐश्वर्य, संपन्नता आती है। हर क्षेत्र में सफलता प्राप्त होने के साथ बिजनेस में भी मुनाफा मिलता है। इसके अलावा आप चाहे तो मां लक्ष्मी के इन चमत्कारी नामों और स्तोत्र का भी पाठ कर सकते हैं। इन 8 प्रकार के नाम का जाप करने से भी मां लक्ष्मी जल्द प्रसन्न हो जाती है और हर दुख-दर्द हर लेती हैं। आइए जानते हैं मां लक्ष्मी के इन नामों के साथ साथ महालक्ष्मी स्तोत्र के बारे में।

मां लक्ष्‍मी के नाम

1.ॐ अमृतलक्ष्म्यै नम:

2. ऊं योगलक्ष्यैं नम:

3. ॐ सौभाग्यलक्ष्म्यै नम:

4.ॐ भोगलक्ष्म्यै नम:

5. ॐ आद्यलक्ष्म्यै नम:

6. ॐ सत्यलक्ष्म्यै नम:

7. ॐ कामलक्ष्म्यै नम:

8-ॐ विद्यालक्ष्म्यै नम:

महालक्ष्मी स्तोत्र

महालक्ष्मी के मंत्रों का जाप करने के साथ इस स्तोत्र का पाठ करना भी लाभकारी होगा।

नमस्तेऽस्तु महामाये श्रीपीठे सुरपूजिते।

शंखचक्रगदाहस्ते महालक्ष्मी नमोऽस्तु ते।।

नमस्ते गरुडारूढे कोलासुरभयंकरि।

सर्वपापहरे देवि महालक्ष्मी नमोऽस्तु ते।।

सर्वज्ञे सर्ववरदे देवी सर्वदुष्टभयंकरि।

सर्वदु:खहरे देवि महालक्ष्मी नमोऽस्तु ते।।

सिद्धिबुद्धिप्रदे देवि भुक्तिमुक्तिप्रदायिनि।

मन्त्रपूते सदा देवि महालक्ष्मी नमोऽस्तु ते।।

आद्यन्तरहिते देवि आद्यशक्तिमहेश्वरि।

योगजे योगसम्भूते महालक्ष्मी नमोऽस्तु ते।।

स्थूलसूक्ष्ममहारौद्रे महाशक्तिमहोदरे।

महापापहरे देवि महालक्ष्मी नमोऽस्तु ते।।

पद्मासनस्थिते देवि परब्रह्मस्वरूपिणी।

परमेशि जगन्मातर्महालक्ष्मी नमोऽस्तु ते।।

श्वेताम्बरधरे देवि नानालंकारभूषिते।

जगत्स्थिते जगन्मातर्महालक्ष्मी नमोऽस्तु ते।।

महालक्ष्म्यष्टकं स्तोत्रं य: पठेद्भक्तिमान्नर:।

सर्वसिद्धिमवाप्नोति राज्यं प्राप्नोति सर्वदा।।

एककाले पठेन्नित्यं महापापविनाशनम्।

द्विकालं य: पठेन्नित्यं धन्यधान्यसमन्वित:।।

त्रिकालं य: पठेन्नित्यं महाशत्रुविनाशनम्।

महालक्ष्मीर्भवेन्नित्यं प्रसन्ना वरदा शुभा।।


Next Story