धर्म-अध्यात्म

अपरा एकादशी के दिन पढ़े ये व्रत कथा, योनि से मिल सकती है मुक्ति

Teja
25 May 2022 4:53 AM GMT
अपरा एकादशी के दिन पढ़े ये व्रत कथा, योनि से मिल सकती है मुक्ति
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हर महीने शुक्ल पक्ष और कृष्ण पक्ष को एकादशी तिथि आती है. इस बार ज्येष्ठ महीने की कृष्ण पक्ष की एकादशी अपला एकादशी है

जनता से रिश्ता वेबडेस्क | हर महीने शुक्ल पक्ष और कृष्ण पक्ष को एकादशी तिथि आती है. इस बार ज्येष्ठ महीने की कृष्ण पक्ष की एकादशी अपला एकादशी है. इस एकादशी को अचला के नाम से भी जाना जाता है. 26 मई दिन गुरुवार को एकादशी व्रत रखा जाएगा. इस दिन भगवान विष्णु की पूजा अर्चना कर उन्हें प्रसन्न किया जाता है. वहीं एकादशी व्रत रखने वालों को एकादशी व्रत की कथा जरूर सुननी चाहिए. अपरा एकादशी का व्रत रखने से प्रेत योनि से मुक्ति मिल सकती है. इसके अलावा अपरा एकादशी व्रत से अपार धन और यश की प्राप्ति होती है. ऐसे में व्रत कथा के बारे में पता होना जरूरी है. आज का हमारा लेख अपरा एकादशी व्रत कथा पर है. आज हम आपको अपने इस लेख के माध्यम से बताएंगे कि अपरा एकादशी व्रत कथा क्या है. पढ़ते हैं

अपरा एकादशी व्रत कथा
एक बार भगवान श्रीकृष्ण से युधिष्ठिर ने कृष्ण पक्ष में आने वाली एकादशी का महत्व बताने का निवेदन किया. तब उन्होंने कहा कि इस एकादशी को अपला एकादशी कहते हैं और इससे ब्रह्म हत्या, प्रेत योनि आदि से मुक्ति मिल जाती है. साथ ही कथा सुनाते हुए कहा कि एक समय एक राज्य में महीध्वज नाम का राजा राज्य करता था. उसका एक छोटा भाई भी था, जिसका नाम था व्रजध्वज. वो बेहद अधर्मी और पापी था. वह अन्याय के मार्ग पर चलने वाला और अपने भाई महीध्वज से द्वेष करने वाला था. एक बार उसने अपने भाई के खिलाफ षड्यंत्र रचा और उसकी हत्या कर दी. हत्या के बाद अपने भाई का शव जंगल में ले गया और पीपल के पेड़ के नीचे गाड़ दिया. चूंकि राजा महीध्वज की अकाल मृत्यु हुई थी इसके कारण उन्हें प्रेत योनि में जाना पड़ा और वह प्रेत आत्मा बनकर पीपल के पेड़ पर ही रहने लगे. प्रेतात्मा बनने के बाद राजा वहां पर उत्पात मचाने लगा तब 1 दिन उस पीपल के पेड़ के सामने से धौम्य ऋषि गुजर रहे थे. तब उन्होंने उस प्रेत को पीपल के पेड़ पर देखा और वह उसे देखते ही समझ गए कि यह तो वह राजा है. तब उन्होंने प्रसन्न होकर उस प्रेत को पेड़ से नीचे उतारा और उसे परलोक विद्या के बारे में बताया. उन्होंने उस प्रेतात्मा राजाओं को प्रेत योनि से मुक्ति दिलाने के लिए खुद एकादशीे का व्रत रखा और भगवान विष्णु की पूजा अर्चना की. उन्होंने भगवान विष्णु की विधि विधान से पूजा करके यह मांगा कि उस प्रेतात्मा राजा को प्रेत योनि से मुक्ति मिल जाए. भगवान विष्णु धौम्य ऋषि की पूजा से प्रसन्न हुए और प्रेतात्मा राजा को प्रेत योनि से मुक्ति मिल गई. उसके बाद राजा ने दिव्य शरीर धारण कर धौम्य ऋषि को प्रणाम किया और पुष्पक विमान में बैठकर स्वर्ग में चला गया.


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