धर्म-अध्यात्म

षटतिला एकादशी व्रत रखने पर पूजा के दौरान पढ़ें ये व्रत कथा

Bhumika Sahu
20 Jan 2022 2:45 AM GMT
षटतिला एकादशी व्रत रखने पर पूजा के दौरान पढ़ें ये व्रत कथा
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माघ मास की पहली एकादशी का व्रत 28 जनवरी को रखा जाएगा. ये एकादशी षटतिला एकादशी के नाम से जानी जाती है. इस दिन तिल के दान का विशेष महत्व है. अगर आप भी इस व्रत को रखने जा रहे हैं, तो षटतिला एकादशी की व्रत कथा जरूर पढ़ें.

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। हर माह में दो बार एकादशी तिथि आती है. माघ मास की पहली एकादशी षटतिला एकादशी (Shattila Ekadashi) है, जो इस माह के कृष्ण पक्ष में आती है. हर एकादशी की तरह ये भी जगत के पालनहार भगवान विष्णु (Lord Vishnu) को समर्पित होती है. इस एकादशी पर तिल के दान (Sesame Donation) समेत छह तरीकों से प्रयोग करने का विशेष महत्व है. कहा जाता है कि इस व्रत को रखने मात्र से व्यक्ति को वो पुण्य प्राप्त होता है, जो हजारों सालों की तपस्या, स्वर्णदान और कन्यादान से मिल पाता है. इस पुण्य के प्रभाव से व्यक्ति जीवन में सारे सुख प्राप्त करता है, इसके बाद मोक्ष की ओर अग्रसर हो जाता है. इस बार षटतिला एकादशी का व्रत 28 जनवरी को शुक्रवार के दिन रखा जा रहा है. अगर आप भी ये व्रत रखने के बारे में सोच रहे हैं, तो पूजा के दौरान षटतिला एकादशी की व्रत कथा जरूर पढ़ें.

ये है षटतिला एकादशी व्रत कथा
षटतिला एकादशी व्रत कथा के अनुसार बहुत समय पहले एक नगर में एक ब्राह्मणी रहती थी. वो श्रीनारायण भगवान की अनन्य भक्त थी और उनको समर्पित सारे व्रत रहती थी. उनका पूजन किया करती थी. एक बार उस ब्राह्मणी ने एक महीने तक नारायण के लिए व्रत रखा. व्रत की वजह से उसका शरीर बहुत दुर्बल हो गया, लेकिन उसका तन शुद्ध हो गया. ये देखकर भगवान विष्णु ने सोचा कि क्यों न इसका मन भी शुद्ध कर दिया जाए, ताकि इस भक्त को विष्णु लोक में निवास करने का सौभाग्य मिल सके.
ये सोचकर भगवान विष्णु उसके पास दान मांगने गए. लेकिन उस ब्राह्मणी ने भगवान को दान में मिट्टी का एक पिंड दे दिया. श्रीहरि दान लेकर वहां से चले आए. कुछ समय बाद ब्राह्मणी की मृत्यु हो गई और वो सीधे विष्णुलोक पहुंची. विष्णुलोक में उसे रहने के लिए एक कुटिया मिली, लेकिन वो पूरी तरह से खाली थी. इसके बाद उस महिला के मन में खयाल आया कि मैंने जीवनभर प्रभु की सेवा की, लेकिन मुझे क्या मिला, खाली कुटिया ? तब श्रीहरि ने कहा कि तुमने अपने मनुष्य जीवन में कभी भी अन्न या धन का दान नहीं किया. ये उसी का परिणाम है कि तुमने पूजा से विष्णु लोक तो प्राप्त कर लिया लेकिन कुछ और प्राप्त नहीं कर पायीं.
तब महिला ने भगवान से इस समस्या के समाधान के बारे में पूछा. इस पर भगवान विष्णु ने कहा कि जब देव कन्याएं तुमसे मिलने आएं, तो तुम उनसे षटतिला एकादशी व्रत करने की विधि पूछ लेना. इस व्रत को पूरी विधि विधान से करना. भगवान विष्णु के बताए अनुसार उस ब्राह्मणी ने देव कन्याओं से षटतिला एकादशी व्रत की विधि जानी और पूरी श्रद्धा और नियम के साथ इस व्रत को रखा. इस व्रत को रखने के बाद उसकी कुटिया सभी आवश्यक वस्तुओं, धन-धान्य आदि से भर गई और वो भी काफी रूपवती हो गई. इस प्रकार षटतिला एकादशी व्रत कथा लोगों को अन्न दान का महत्व बताती है. कहा जाता है कि इस दिन तिल का दान करने से सौभाग्य बढ़ता है और दरिद्रता दूर होती है.


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