धर्म-अध्यात्म

शुक्रवार के दिन पूजा के समय पढ़ें ये व्रत कथा, आय और सौभाग्य में होगी वृद्धि

Manish Sahu
27 July 2023 12:09 PM GMT
शुक्रवार के दिन पूजा के समय पढ़ें ये व्रत कथा, आय और सौभाग्य में होगी वृद्धि
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धर्म अध्यात्म: प्राचीन समय की बात है। किसी नगर में शीला नामक धर्म परायण स्त्री अपने पति के साथ रहती थी। शीला धार्मिक प्रवृत्ति की थी। प्रतिदिन जगत जननी आदि शक्ति मां दुर्गा और भगवान शिव की पूजा करती थी। शीला का पति भी नियमित रूप से भगवान की पूजा उपासना करता था। साथ ही परोपकार और समाज सेवा भी करता था।
शुक्रवार के दिन पूजा के समय पढ़ें ये व्रत कथा, आय और सौभाग्य में होगी वृद्धि
शुक्रवार के दिन पूजा के समय पढ़ें ये व्रत कथा, आय और सौभाग्य में होगी वृद्धि
शुक्रवार के दिन धन की देवी मां लक्ष्मी की विशेष पूजा-उपासना की जाती है। इस दिन साधक सुख, समृद्धि और धन प्राप्ति हेतु वैभव लक्ष्मी व्रत रखते हैं। इस व्रत को करने से मां लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं। उनकी कृपा से साधक के घर में सुख, समृद्धि और खुशहाली आती है। साथ ही आय और सौभाग्य में वृद्धि होती है। इस व्रत को विशेषकर स्त्रियां करती हैं। हालांकि, पुरुष भी वैभव लक्ष्मी का व्रत रख सकते हैं। अगर आप भी धन संबंधी परेशानी को दूर करना चाहते हैं, तो हर शुक्रवार पर वैभव लक्ष्मी व्रत रख श्रद्धा भाव से मां लक्ष्मी की पूजा-उपासना करें। साथ ही पूजा के समय वैभव लक्ष्मी व्रत कथा जरूर पढ़ें या सुनें। आइए, वैभव लक्ष्मी व्रत कथा पढ़ें-
कथा
प्राचीन समय की बात है। किसी नगर में शीला नामक धर्म परायण स्त्री अपने पति के साथ रहती थी। शीला धार्मिक प्रवृत्ति की थी। प्रतिदिन जगत जननी आदि शक्ति मां दुर्गा और भगवान शिव की पूजा करती थी। शीला का पति भी नियमित रूप से भगवान की पूजा उपासना करता था। साथ ही परोपकार और समाज सेवा भी करता था। परिवार में हमेशा खुशी का माहौल रहता था।
उन्हीं दिनों शीला के पति की दोस्ती गलत लोगों से हो गई। संगत का असर शीला के पति पर भी दिखने लगे। वह देर रात तक घर से बाहर रहने लगा। जब घर लौटता, तो सदैव नशे में रहता था। शीला के पति को अमीर बनने का जुनून सवार हो गया। इसके लिए वह मेहनत करने के बजाय गलत कार्य करने लगा। इस कार्य में उसके दोस्त बराबर के भागीदार थे।
शीला के पति की स्थिति बद से बदतर हो गई। जुए में वह बड़ी राशि हार गया। इससे घर की आर्थिक स्थिति बिगड़ गई। घर में खाने के लाले पड़ गए। शीला यह सब देख-देखकर व्याकुल हो उठी थी। वह घर छोड़कर जाना चाहती थी, लेकिन धर्म विरुद्ध जाकर वह कार्य नहीं करना चाहती थी। इसके लिए सबकुछ सह रही थी। मानसिक तनाव के चलते वह मंदिर जाना भी छोड़ दी। इससे पूर्व वह नियमित रूप से मंदिर जाकर मां की पूजा-अर्चना करती थी।
एक दिन दोपहर के समय वृद्ध महिला घर के बाहर से आवाज दी। वृद्ध महिला की आवाज सुन वह दौड़कर बाहर आई और वृद्ध महिला को कमरे में ले आई। उस समय वृद्ध महिला ने मंदिर न आने का औचित्य पूछा। तब शीला ने अपनी आपबीती सुनाई। यह जान वृद्ध महिला ने शीला को वैभव लक्ष्मी व्रत रखने की सलाह दी। इस समय वृद्ध महिला ने व्रत विधि भी बताई। इसके बावजूद शीला चिंतित थी।
तब वृद्ध महिला ने कहा- इस व्रत के पुण्य प्रताप से सब कुछ यथावत हो जाएगा। मां लक्ष्मी अवश्य कल्याण करेंगी। यह सब सुन शीला ने हामी भरने के लिए आंखें बंद की। जब शीला की आंखें खुली, तो कमरे में कोई नहीं था। यह देख शीला आश्चर्य में पड़ गई।
इसके पश्चात, वह आंख मूंदकर मां लक्ष्मी को प्रणाम कर बोली- आपके वचनों का पालन करूंगी। तत्कालीन समय में शीला ने वैभव लक्ष्मी व्रत रख विधिपूर्वक मां लक्ष्मी की पूजा-अर्चना की। इस व्रत के पुण्य प्रताप से शीला को अपार धन की प्राप्ति हुई। साथ ही शीला का पति भी अच्छा इंसान बन गया।
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