धर्म-अध्यात्म

सावन के पहले सोमवार पर पढ़ें ये आरती, शिव होंगे प्रसन्न

Tara Tandi
10 July 2023 6:49 AM GMT
सावन के पहले सोमवार पर पढ़ें ये आरती, शिव होंगे प्रसन्न
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हिंदू धर्म में वैसे तो हर माह को महत्वपूर्ण बताया गया हैं लेकिन श्रावण मास इन सभी में खास होता हैं, जो कि भगवान शिव शंकर की पूजा आराधना को समर्पित होता हैं। इस दौरान भक्त भगवान शिव की विधि विधान से पूजा करते हैं और उपवास आदि भी रखते हैं इस बार सावन का आरंभ 4 जुलाई दिन मंगलवार से हो चुका हैं और समापन 31 अगस्त को हो जाएगा।
सावन में अधिकमास पड़ने के कारण इस बार शिव पूजा के लिए भक्तों को अधिक समय मिल रहा हैं। इस पवित्र महीने में पड़ने वाले सोमवार का भी खास महत्व होता हैं सावन सोमवार के दिन महिलाएं और कुंवारी कन्याएं व्रत पूजन करती हैं इस बार सावन का पहला सोमवार 10 जुलाई को पड़ रहा हैं। ऐसे में अगर आप शिव शंकर की आराधना व पूजा कर रहे हैं तो उनकी प्रिय आरती का पाठ जरूर करें माना जाता हैं इस आरती को पढ़ें से भोलेबाबा शीघ्र प्रसन्न होकर कृपा करते हैं और कष्टों से मुक्ति दिलाते हैं तो आज हम आपके लिए लेकर आए हैं शिव जी की आरती।
भगवान शिव की आरती—
ॐ जय शिव ओंकारा,
स्वामी जय शिव ओंकारा।
ब्रह्मा, विष्णु, सदाशिव,
अर्द्धांगी धारा ॥
ॐ जय शिव ओंकारा...॥
एकानन चतुरानन
पंचानन राजे ।
हंसासन गरूड़ासन
वृषवाहन साजे ॥
ॐ जय शिव ओंकारा...॥
दो भुज चार चतुर्भुज
दसभुज अति सोहे ।
त्रिगुण रूप निरखते
त्रिभुवन जन मोहे ॥
ॐ जय शिव ओंकारा...॥
अक्षमाला वनमाला,
मुण्डमाला धारी ।
चंदन मृगमद सोहै,
भाले शशिधारी ॥
ॐ जय शिव ओंकारा...॥
श्वेताम्बर पीताम्बर
बाघम्बर अंगे ।
सनकादिक गरुणादिक
भूतादिक संगे ॥
ॐ जय शिव ओंकारा...॥
कर के मध्य कमंडल
चक्र त्रिशूलधारी ।
सुखकारी दुखहारी
जगपालन कारी ॥
ॐ जय शिव ओंकारा...॥
ब्रह्मा विष्णु सदाशिव
जानत अविवेका ।
प्रणवाक्षर में शोभित
ये तीनों एका ॥
ॐ जय शिव ओंकारा...॥
त्रिगुणस्वामी जी की आरति
जो कोइ नर गावे ।
कहत शिवानंद स्वामी
सुख संपति पावे ॥
ॐ जय शिव ओंकारा...॥
लक्ष्मी व सावित्री
पार्वती संगा ।
पार्वती अर्द्धांगी,
शिवलहरी गंगा ॥
ॐ जय शिव ओंकारा...॥
पर्वत सोहैं पार्वती,
शंकर कैलासा ।
भांग धतूर का भोजन,
भस्मी में वासा ॥
ॐ जय शिव ओंकारा...॥
जटा में गंग बहत है,
गल मुण्डन माला ।
शेष नाग लिपटावत,
ओढ़त मृगछाला ॥
जय शिव ओंकारा...॥
काशी में विराजे विश्वनाथ,
नंदी ब्रह्मचारी ।
नित उठ दर्शन पावत,
महिमा अति भारी ॥
ॐ जय शिव ओंकारा...॥
ॐ जय शिव ओंकारा,
स्वामी जय शिव ओंकारा।
ब्रह्मा, विष्णु, सदाशिव,
अर्द्धांगी धारा ॥
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