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सनातन धर्म में सप्ताह का हर दिन किसी न किसी देवी देवता की पूजा को समर्पित किया गया हैं वही हफ्ते का तीसरा दिन यानी बुधवार गौरी पुत्र गणेश की पूजा के लिए उत्तम माना जाता हैं। इस दिन भक्त भगवान को प्रसन्न करने के लिए उनकी विधिवत पूजा करते हैं और व्रत आदि भी रखते हैं।
मान्यता है कि आज के दिन पूजा पाठ करने से भगवान प्रसन्न होकर अपनी कृपा साधकों पर बरसाते हैं लेकिन धार्मिक मान्यताओं के अनुसार किसी भी देवी देवता की पूजा बिना आरती के पूर्ण नहीं मानी जाती हैं और ना ही व्रत पूजन का कोई फल मिलता हैं।
ऐसे में अगर आप आज यानी बुधवार के दिन भगवान गणेश की पूजा कर रहे हैं तो उनकी प्रिय आरती का पाठ जरूर करें मान्यता है कि श्री गणेश की आरती करने से वे जल्द प्रसन्न हो जाते हैं और भक्तों के सभी दुख दर्द दूर कर देते हैं तो आज हम आपके लिए लेकर आए हैं श्री गणेश की आरती।
श्री गणेश आरती—
जय गणेश जय गणेश,
जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती,
पिता महादेवा ॥
एक दंत दयावंत,
चार भुजा धारी ।
माथे सिंदूर सोहे,
मूसे की सवारी ॥
जय गणेश जय गणेश,
जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती,
पिता महादेवा ॥
पान चढ़े फल चढ़े,
और चढ़े मेवा ।
लड्डुअन का भोग लगे,
संत करें सेवा ॥
जय गणेश जय गणेश,
जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती,
पिता महादेवा ॥
अंधन को आंख देत,
कोढ़िन को काया ।
बांझन को पुत्र देत,
निर्धन को माया ॥
जय गणेश जय गणेश,
जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती,
पिता महादेवा ॥
'सूर' श्याम शरण आए,
सफल कीजे सेवा ।
माता जाकी पार्वती,
पिता महादेवा ॥
जय गणेश जय गणेश,
जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती,
पिता महादेवा ॥
दीनन की लाज रखो,
शंभु सुतकारी ।
कामना को पूर्ण करो,
जाऊं बलिहारी ॥
जय गणेश जय गणेश,
जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती,
पिता महादेवा ॥
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