धर्म-अध्यात्म

सूर्य आराधना में पढ़ें ये आरती, भगवान हो प्रसन्न

Tara Tandi
18 Jun 2023 6:42 AM GMT
सूर्य आराधना में पढ़ें ये आरती, भगवान हो प्रसन्न
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हिंदू धर्म में सप्ताह का हर दिन किसी न किसी देवी देवता की पूजा को समर्पित होता हैं। वही रविवार का दिन भगवान सूर्यदेव की साधना के लिए उत्तम माना जाता हैं, इस दिन भक्त भगवान श्री सूर्य नारायण को प्रसन्न करने के लिए उनकी विधिवत पूजा करते हैं और उपवास भी रखते हैं।
माना जाता हैं कि ऐसा करने से सूर्य नारायण की कृपा बरसती हैं लेकिन धार्मिक मान्यताओं के अनुसार किसी भी देवी देवता की व्रत पूजा बिना आरती के पूर्ण नहीं मानी जाती हैं ऐसे में अगर आप आज रविवार को सूर्य आराधना कर रहे हैं तो प्रभु की आरती जरूर पढ़ें ऐसा करने से भगवान अतिशीघ्र प्रसन्न हो जाते हैं और भक्तों पर कृपा बरसाते हैं साथ ही साथ सुख समृद्धि में भी वृद्धि होती हैं तो आज हम आपके लिए लेकर आए हैं भगवान सूर्यदेव की आरती।
भगवान सूर्यदेव की आरती—
ऊँ जय सूर्य भगवान,
जय हो दिनकर भगवान ।
जगत् के नेत्र स्वरूपा,
तुम हो त्रिगुण स्वरूपा ।
धरत सब ही तव ध्यान,
ऊँ जय सूर्य भगवान ॥
॥ ऊँ जय सूर्य भगवान..॥
सारथी अरूण हैं प्रभु तुम,
श्वेत कमलधारी ।
तुम चार भुजाधारी ॥
अश्व हैं सात तुम्हारे,
कोटी किरण पसारे ।
तुम हो देव महान ॥
॥ ऊँ जय सूर्य भगवान..॥
ऊषाकाल में जब तुम,
उदयाचल आते ।
सब तब दर्शन पाते ॥
फैलाते उजियारा,
जागता तब जग सारा ।
करे सब तब गुणगान ॥
॥ ऊँ जय सूर्य भगवान..॥
संध्या में भुवनेश्वर,
अस्ताचल जाते ।
गोधन तब घर आते॥
गोधुली बेला में,
हर घर हर आंगन में ।
हो तव महिमा गान ॥
॥ ऊँ जय सूर्य भगवान..॥
देव दनुज नर नारी,
ऋषि मुनिवर भजते ।
आदित्य हृदय जपते ॥
स्त्रोत ये मंगलकारी,
इसकी है रचना न्यारी ।
दे नव जीवनदान ॥
॥ ऊँ जय सूर्य भगवान..॥
तुम हो त्रिकाल रचियता,
तुम जग के आधार ।
महिमा तब अपरम्पार ॥
प्राणों का सिंचन करके,
भक्तों को अपने देते ।
बल बृद्धि और ज्ञान ॥
॥ ऊँ जय सूर्य भगवान..॥
भूचर जल चर खेचर,
सब के हो प्राण तुम्हीं ।
सब जीवों के प्राण तुम्हीं ॥
वेद पुराण बखाने,
धर्म सभी तुम्हें माने ।
तुम ही सर्व शक्तिमान ॥
॥ ऊँ जय सूर्य भगवान..॥
पूजन करती दिशाएं,
पूजे दश दिक्पाल ।
तुम भुवनों के प्रतिपाल ॥
ऋतुएं तुम्हारी दासी,
तुम शाश्वत अविनाशी ।
शुभकारी अंशुमान ॥
॥ ऊँ जय सूर्य भगवान..॥
ऊँ जय सूर्य भगवान,
जय हो दिनकर भगवान ।
जगत के नेत्र रूवरूपा,
तुम हो त्रिगुण स्वरूपा ॥
धरत सब ही तव ध्यान,
ऊँ जय सूर्य भगवान ॥
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