धर्म-अध्यात्म

महाशिवरात्रि पर भगवान शिव की तीसरी आंख से संबंधित पढ़ें कथा

Teja
28 Feb 2022 5:13 AM GMT
महाशिवरात्रि पर भगवान शिव की तीसरी आंख से संबंधित पढ़ें कथा
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शिव भक्तों के लिए महाशिवरात्रि का दिन किसी पर्व से कम नहीं होता. इस दिन को खास बनाने के लिए भक्त पहले से तैयारी करना शुरू कर देते हैं.

जनता से रिश्ता वेबडेस्क | शिव भक्तों के लिए महाशिवरात्रि का दिन किसी पर्व से कम नहीं होता. इस दिन को खास बनाने के लिए भक्त पहले से तैयारी करना शुरू कर देते हैं. आपको बता दें कि धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, जब भी शिव जी (Lord Shiva) भगवान अपनी तीसरी आंख खोलते हैं तो उनकी तीसरी आंख का वेग पूरी सृष्टि को भस्म कर सकता है. वहीं कुछ लोग यह भी मानते हैं कि तीसरी आंख खोलने से प्रलय आ सकती है. क्या आप जानते हैं कि ये एक मात्र ऐसे देव हैं जिनकी तीन आंखें हैं यानि ये त्रिनेत्रधारी हैं. इन्हें त्रिकालदर्शी भी कहा जाता है. ऐसा इसलिए क्योंकि ये भूत, भविष्य और वर्तमान काल तीनों को देख सकते हैं. ऐसे में महाशिवरात्रि (Mahashivratri) पर शिव जी के भक्तों को यह जानना जरूरी है कि शिव की तीसरी आंख के पीछे क्या रहस्य है. आज का हमारा लेख इसी विषय पर है. आजा का हमारा लेख इसी विषय पर है. पढ़ते हैं

भगवान शिव ने अपनी तीसरी आंख कैसे प्राप्त की?
बता दें कि देवों के देव महादेव को ये आंख उनके तप, साधना और एकाग्रता के कारण मिली. जैसा कि हमने पहले भी बताया कि ये पहले ऐसे देव हैं, जिनके पास तीसरी आंख हैं.
तीनों कालों का है प्रतीक
मान्यता है कि भोलेनाथ भविष्य की सारी बातों को ज्ञानचक्षु के माध्यम से ही जान लेते हैं. अब आप लोग सोच रहे होंगे कि ज्ञानचक्षु क्या है? तो आपको बता दें कि जो भगवान शिव की ललाट पर दोनों भौहों (Eyebrow) के बीच में आज्ञाचक्र पर ज्ञानचक्षु स्थित है. पुराणों के अनुसार, भोलेनाथ के तीन आंखें 3 कालों के रूप में जाने जाते हैं. भूतकाल, भविष्य काल और वर्तमान काल. वही भोलेनाथ की तीन आंखें स्वर्ग, नरक और पताल तीन लोकों के प्रतीक हैं.
तीसरी आंख से जुड़ी कथा
जब मां सति ने अपना आत्मदाह किया था तो उसके बाद भगवान शिव कई वर्षों तक तपस्या में लीन हो गए. दूसरी तरफ मां सति ने माता पार्वती के रूप में जन्म ले लिया. देवता चाहते थे कि माता पार्वती और भगवान शिव एक दूसरे से मिलें. लेकिन वे सभी जानते थे कि अगर कोई उनके ध्यान को भंग करता तो उन्हें क्रोध आ जाता. इस कारण सभी देवता चुप थे. तब कामदेव आगे आए और उन्होंने अपने पुष्पबाण चलया और भगवान शिव की साधना भंग कर दी. कामदेव के पुष्पवण से भगवान शिव बेहद क्रोधित हुए और अपनी तीसरी आंख खोलकर प्रचंड ज्वाला निकाली और कामदेव को भस्म कर दिया.
नोट – इस लेख में दी गई जानकारी मान्यताओं और सूचनाओं पर आधारित है. india.com इसकी पुष्टि नहीं करता है. अधिक जानकारी के लिए एक्सपर्ट से संपर्क करें.


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