धर्म-अध्यात्म

आज मोहिनी एकादशी पढ़ें समुद्र मंथन की कथा

Triveni
23 May 2021 2:49 AM GMT
आज मोहिनी एकादशी पढ़ें समुद्र मंथन की कथा
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आज वैष्णव जन यानि कि भगवान विष्णु के भक्तों ने मोहिनी एकादशी का व्रत रखा है.

जनता से रिश्ता वेबडेस्क | आज वैष्णव जन यानि कि भगवान विष्णु के भक्तों ने मोहिनी एकादशी का व्रत रखा है. हिंदू धर्म में मोहिनी एकादशी व्रत की विशेष महिमा बताई गई है. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, यह व्रत इच्छाओं को पूर्ण करने वाला, कष्ट मिटाने वाले और मोह के बंधन से मुक्त करने वाला माना गया है. आज मोहिनी एकादशी पर दोपहर 02 बजकर 58 मिनट तक सिद्धि योग रहेगा. साथ ही कृतिका नक्षत्र भी है. ज्योतिष शास्त्र में ऐसा माना गया है कि सिद्धि योग में किए गए कार्य पूर्णता को प्राप्त होते हैं और सफलता मिलती है. लॉकडाउन है तो घर में रहकर ही एकादशी की पूजा करें. पौराणिक कथा के अनुसार, मोहिनी एकादशी के दिन ही समुद्र मंथन हुआ था. आइए जानते हैं समुद्र मंथन की कथा...

समुद्र मंथन की कथा:
यह पौराणिक कथा इन्द्र द्वारा ऋषि दुर्वासा, जिनका क्रोध कोई नहीं झेल पाया था, के असम्मान करने और परिणामस्वरूप अपना सिंहासन गंवाने से जुड़ी कहानी कहती है.
समुद्र मंथन देवताओं और असुरों के बीच हुआ. मंदार पर्वत और वासुकी नाग की सहायता से समुद्र मंथन की तैयारी शुरू की गई. मंदार पर्वत के चारों ओर वासुकी नाग को लपेटकर रस्सी की तरह प्रयोग किया गया. इतना ही नहीं विष्णु ने कछुए का रूप लेकर मंदार पर्वत को अपनी पीठ पर रखकर उसे सागर में डूबने से बचाया था.
शिव ने विष का प्याला पी लिया लेकिन उनकी पत्नी पार्वती, जो उनके साथ खड़ी थीं उन्होंने उनके गले को पकड़ लिया ताकि विष उनके भीतर ना जा सके. ऐसे में ना तो विष उनके गले से बाहर निकला और ना ही शरीर के अंदर गया. वह उनके गले में ही अटक गया, जिसकी वजह से उनका गला नीला पड़ गया. देवता चाहते थे कि अमृत के प्याले में से एक भी घूंट असुरों को ना मिल पाए, नहीं तो वे अमर हो जाएंगे. वहीं असुर अपनी शक्तियों को बढ़ाने और अनश्वर रहने के लिए अमृत का पान किसी भी रूप में करना चाहते थे.
असुरों के हाथ अमृत का प्याला ना लग सके इसलिए स्वयं भगवान विष्णु को मोहिनी का रूप धरना पड़ा, ताकि वे असुरों का ध्यान अमृत से हटाकर सारा प्याला देवताओं को पिला सकें.
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Chandra Grahan 2021 Chant These Mantra: चंद्रग्रहण 26 मई, बुधवार के दिन लग रहा है. यह पूर्ण चंद्रग्रहण है. इसे ब्लड मून भी कहा जा रहा है. हालांकि भारत में यह उपछाया चंद्रग्रहण के रूप में दिखाई देगा. चंद्रग्रहण के समय कई शुभ काम करने की मनाही होती है लेकिन इस समय मंत्रों का जाप करने और प्रभु का ध्यान करने से बेहद मंगलकारी फल की प्राप्ति होती है. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, ग्रहण काल में मंत्रों की सिद्धि भी की जाती है और इससे ऊर्जा और विशेष प्रयोजन भी सिद्ध किए जाते हैं. धार्मिक शास्त्रों में शत्रुओं को परास्त करने, कार्य सिद्धि और लाभ के लिए चंद्रग्रहण के समय मंत्र जाप का विशेष महत्व बताया है. आइए जानते हैं ऐसे ही कुछ मंत्र...
- ॐ ह्लीं बगलामुखी सर्वदुष्टानां वाचं मुखं पदं स्तंभय जिह्ववां कीलय बुद्धि विनाशय ह्लीं ओम् स्वाहा .
- ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद-प्रसीद श्रीं ह्रीं श्रीं महालक्ष्म्यै नम:.
- ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं ऐं ॐ स्वाहा: .
- ॐ ह्लीं दुं दुर्गाय: नम:
- ॐ ह्लीं बगलामुखी देव्यै सर्व दुष्टानाम वाचं मुखं पदम् स्तम्भय जिह्वाम कीलय-कीलय बुद्धिम विनाशाय ह्लीं ॐ नम:


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