धर्म-अध्यात्म

प्रत्येक रविवार पढ़ें सूर्य आरती, पूरी होगी हर इच्छा

Tara Tandi
30 July 2023 7:37 AM GMT
प्रत्येक रविवार पढ़ें सूर्य आरती, पूरी होगी हर इच्छा
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सप्ताह का हर दिन किसी न किसी देवी देवता की आराधना को समर्पित किया गया हैं, वही रविवार का दिन भगवान श्री सूर्य देव की पूजा के लिए श्रेष्ठ दिन माना गया हैं। इस दिन भक्त भगवान को प्रसन्न करने के लिए दिनभर का व्रत रखते हैं और प्रभु की पूजा आराधना भी करते हैं।
माना जाता हैं कि ऐसा करने से श्री सूर्यदेव की कृपा प्राप्त होती हैं लेकिन हिंदू धर्म मान्यताओं के अनुसार बिना आरती किए किसी भी देवी देवता की व्रत पूजा पूर्ण नहीं होती हैं ऐसे में अगर आप रविवार के दिन सूर्य पूजा कर रहे हैं और पुण्य फल प्राप्त करना चाहते हैं तो आज पूजा के बाद प्रभु की आरती जरूर पढ़ें। ऐसा करने से भगवान जल्दी प्रसन्न हो जाते हैं और भक्तों की हर इच्छा को पूरा कर देते हैं, तो आज हम आपके लिए लेकर आए हैं श्री सूर्यदेव की आरती।
श्री सूर्यदेव की आरती—
ऊँ जय सूर्य भगवान,
जय हो दिनकर भगवान ।
जगत् के नेत्र स्वरूपा,
तुम हो त्रिगुण स्वरूपा ।
धरत सब ही तव ध्यान,
ऊँ जय सूर्य भगवान ॥
॥ ऊँ जय सूर्य भगवान..॥
सारथी अरूण हैं प्रभु तुम,
श्वेत कमलधारी ।
तुम चार भुजाधारी ॥
अश्व हैं सात तुम्हारे,
कोटी किरण पसारे ।
तुम हो देव महान ॥
॥ ऊँ जय सूर्य भगवान..॥
ऊषाकाल में जब तुम,
उदयाचल आते ।
सब तब दर्शन पाते ॥
फैलाते उजियारा,
जागता तब जग सारा ।
करे सब तब गुणगान ॥
॥ ऊँ जय सूर्य भगवान..॥
संध्या में भुवनेश्वर,
अस्ताचल जाते ।
गोधन तब घर आते॥
गोधुली बेला में,
हर घर हर आंगन में ।
हो तव महिमा गान ॥
॥ ऊँ जय सूर्य भगवान..॥
देव दनुज नर नारी,
ऋषि मुनिवर भजते ।
आदित्य हृदय जपते ॥
स्त्रोत ये मंगलकारी,
इसकी है रचना न्यारी ।
दे नव जीवनदान ॥
॥ ऊँ जय सूर्य भगवान..॥
तुम हो त्रिकाल रचियता,
तुम जग के आधार ।
महिमा तब अपरम्पार ॥
प्राणों का सिंचन करके,
भक्तों को अपने देते ।
बल बृद्धि और ज्ञान ॥
॥ ऊँ जय सूर्य भगवान..॥
भूचर जल चर खेचर,
सब के हो प्राण तुम्हीं ।
सब जीवों के प्राण तुम्हीं ॥
वेद पुराण बखाने,
धर्म सभी तुम्हें माने ।
तुम ही सर्व शक्तिमान ॥
॥ ऊँ जय सूर्य भगवान..॥
पूजन करती दिशाएं,
पूजे दश दिक्पाल ।
तुम भुवनों के प्रतिपाल ॥
ऋतुएं तुम्हारी दासी,
तुम शाश्वत अविनाशी ।
शुभकारी अंशुमान ॥
॥ ऊँ जय सूर्य भगवान..॥
ऊँ जय सूर्य भगवान,
जय हो दिनकर भगवान ।
जगत के नेत्र रूवरूपा,
तुम हो त्रिगुण स्वरूपा ॥
धरत सब ही तव ध्यान,
ऊँ जय सूर्य भगवान ॥
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