धर्म-अध्यात्म

पढ़िए सीता माता की आरती

Apurva Srivastav
20 May 2021 8:26 AM GMT
पढ़िए सीता माता की आरती
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आरति श्रीजनक-दुलारी की। सीताजी रघुबर-प्यारी की।

आरति श्रीजनक-दुलारी की। सीताजी रघुबर-प्यारी की।।

जगत-जननि जगकी विस्तारिणि, नित्य सत्य साकेत विहारिणि।
परम दयामयि दीनोद्धारिणि, मैया भक्तन-हितकारी की।।
आरति श्रीजनक-दुलारी की।
सतीशिरोमणि पति-हित-कारिणि, पति-सेवा-हित-वन-वन-चारिणि।
पति-हित पति-वियोग-स्वीकारिणि, त्याग-धर्म-मूरति-धारी की।।
आरति श्रीजनक-दुलारी की।।
विमल-कीर्ति सब लोकन छाई, नाम लेत पावन मति आई।
सुमिरत कटत कष्ट दुखदायी, शरणागत-जन-भय-हारी की।।
आरति श्रीजनक-दुलारी की। सीताजी रघुबर-प्यारी की।।


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