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आज शुक्रवार को सूर्यास्त से पहले करें महालक्ष्मी स्तोत्र का पाठ
हिंदू पंचांग के अनुसार, सप्ताह के सात दिन किसी न किसी देवी-देवता को समर्पित होता है। इसी तरह शुक्रवार के दिन मां लक्ष्मी की पूजा करने का विधान है। ऐश्वर्य, सुख-समृद्धि की देवी लक्ष्मी की विधिवत तरीके से पूजा करने के साथ लक्ष्मी चालीसा, महालक्ष्मी स्तोत्र का पाठ जरूर करना चाहिए। शास्त्रों के अनुसार माना जाता है कि मां लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए इंद्र देव ने इस स्तोत्र की रचना की थी। मान्यता है कि महालक्ष्मी स्तोत्र का पाठ करने से मां लक्ष्मी जल्द प्रसन्न हो जाती है और व्यक्ति हर मनोकामना को पूर्ण कर देती है। पढ़िए संपूर्ण महालक्ष्मी स्तोत्र।
जो भी व्यक्ति प्रतिदिन एक बार महालक्ष्मी स्तोत्र का पाठ करता है, तो उसे हर तरह के पापों से मुक्ति मिल जाता है। वहीं जो व्यक्ति दो बार पाठ करता है, तो उसे धन और धान्य की प्राप्ति होती है। वहीं तीन बार पाठ करने से महाक्ष्मी हमेशा प्रसन्न रहती है।
महालक्ष्मी स्तोत्र
नमस्तेऽस्तु महामाये श्रीपीठे सुरपूजिते।
शंखचक्रगदाहस्ते महालक्ष्मी नमोऽस्तु ते।।
नमस्ते गरुडारूढे कोलासुरभयंकरि।
सर्वपापहरे देवि महालक्ष्मी नमोऽस्तु ते।।
सर्वज्ञे सर्ववरदे देवी सर्वदुष्टभयंकरि।
सर्वदु:खहरे देवि महालक्ष्मी नमोऽस्तु ते।।
सिद्धिबुद्धिप्रदे देवि भुक्तिमुक्तिप्रदायिनि।
मन्त्रपूते सदा देवि महालक्ष्मी नमोऽस्तु ते।।
आद्यन्तरहिते देवि आद्यशक्तिमहेश्वरि।
योगजे योगसम्भूते महालक्ष्मी नमोऽस्तु ते।।
स्थूलसूक्ष्ममहारौद्रे महाशक्तिमहोदरे।
महापापहरे देवि महालक्ष्मी नमोऽस्तु ते।।
पद्मासनस्थिते देवि परब्रह्मस्वरूपिणी।
परमेशि जगन्मातर्महालक्ष्मी नमोऽस्तु ते।।
श्वेताम्बरधरे देवि नानालंकारभूषिते।
जगत्स्थिते जगन्मातर्महालक्ष्मी नमोऽस्तु ते।।
महालक्ष्म्यष्टकं स्तोत्रं य: पठेद्भक्तिमान्नर:।
सर्वसिद्धिमवाप्नोति राज्यं प्राप्नोति सर्वदा।।
एककाले पठेन्नित्यं महापापविनाशनम्।
द्विकालं य: पठेन्नित्यं धन्यधान्यसमन्वित:।।
त्रिकालं य: पठेन्नित्यं महाशत्रुविनाशनम्।
महालक्ष्मीर्भवेन्नित्यं प्रसन्ना वरदा शुभा।।
महालक्ष्मी स्तोत्र का पाठ करने के नियम
स्नान आदि करने के बाद माता लक्ष्मी का ध्यान करें। इसके बाद मां लक्ष्मी की पूजा आरंभ करें। जल, सिंदूर, अक्षत अर्पित करने के बाद लाल रंग का फूल, माला, सुपारी, नारियल, पान, बताशा, फल आदि अर्पित करने दें। हो सके तो सफेद रंग की मिठाई अर्पित कर दें। इससे मां जल्द प्रसन्न होती है। इसके बाद धूप और दीपक जला लें और मां का ध्यान करके हुए महालक्ष्मी स्तोत्र का पाठ प्रारंभ करें।