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धर्म-अध्यात्म
आज मंगलवार को करें हनुमानाष्टक का पाठ...आपको सभी बाधा से मुक्ति मिलेगी
Subhi
29 Jun 2021 5:45 AM GMT
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मंगलवार का दिन मंगलमूर्ति हनुमान जी की पूजा के लिए समर्पित है। बल –बुद्धि के निधान, अंजनीपुत्र हनुमान जी की मंगलवार को साधना करने से बल, बुद्ध,तेज की प्राप्ति होती है
मंगलवार का दिन मंगलमूर्ति हनुमान जी की पूजा के लिए समर्पित है। बल –बुद्धि के निधान, अंजनीपुत्र हनुमान जी की मंगलवार को साधना करने से बल, बुद्ध,तेज की प्राप्ति होती है और जीवन में आने वाले सभी प्रकार के कष्ट और संकट दूर हो जाते हैं, इसीलिए पवनपुत्र हनुमान जी को संकटमोचक भी कहा जाता है।
हनुमान जी कलयुग के संरक्षक देव हैं, अगर जीवन में रोग, दोष, भूत-प्रेत की बाधा या किसी भी प्रकार का कोई भय या संकट व्याप्त हो, तो सर्वोत्म उपाय है, मंगलवार के दिन स्नान आदि करके पूरी श्रद्धा और मनोयोग से श्रीहनुमानाष्टक का पाठ करें। श्रीहनुमानाष्टक का पाठ करने से सभी प्रकार के रोग, दोष तथा प्रेत बाधा से मुक्ति मिलती है और हनुमान जी की कृपा की प्राप्ति होती है।
श्रीहनुमानाष्टक ।
बाल समय रवि भक्ष लियो तब, तीनहुं लोक भयो अँधियारो
ताहि सों त्रास भयो जग को, यह संकट काहु सों जात न टारो
देवन आनि करी विनती तब, छांड़ि दियो रवि कष्ट निहारो
को नहिं जानत है जग में कपि, संकटमोचन नाम तिहारो ॥1॥
बालि की त्रास कपीस बसै गिरि, जात महाप्रभु पंथ निहारो
चौंकि महामुनि शाप दियो तब, चाहिये कौन विचार विचारो
कै द्घिज रुप लिवाय महाप्रभु, सो तुम दास के शोक निवारो
को नहिं जानत है जग में कपि, संकटमोचन नाम तिहारो ॥2॥
अंगद के संग लेन गए सिय, खोज कपीस यह बैन उचारो
जीवत न बचिहों हम सों जु, बिना सुधि लाए इहां पगु धारो
हेरि थके तट सिंधु सबै तब, लाय सिया सुधि प्राण उबारो
को नहिं जानत है जग में कपि, संकटमोचन नाम तिहारो ॥3॥
रावण त्रास दई सिय को तब, राक्षसि सों कहि सोक निवारो
ताहि समय हनुमान महाप्रभु, जाय महा रजनीचर मारो
चाहत सीय अशोक सों आगि सु, दे प्रभु मुद्रिका सोक निवारो
को नहिं जानत है जग में कपि, संकटमोचन नाम तिहारो ॥4॥
बाण लग्यो उर लक्ष्मण के तब, प्राण तजे सुत रावण मारो
लै गृह वैघ सुषेन समेत, तबै गिरि द्रोण सु–बीर उपारो
आनि संजीवनी हाथ दई तब, लक्ष्मण के तुम प्राण उबारो
को नहिं जानत है जग में कपि, संकटमोचन नाम तिहारो ॥5॥
रावण युद्घ अजान कियो तब, नाग की फांस सबै सिरडारो
श्री रघुनाथ समेत सबै दल, मोह भयो यह संकट भारो
आनि खगेस तबै हनुमान जु, बन्धन काटि सुत्रास निवारो
को नहिं जानत है जग में कपि, संकटमोचन नाम तिहारो ॥6॥
बन्धु समेत जबै अहिरावण, लै रघुनाथ पाताल सिधारो
देवहिं पूजि भली विधि सों बलि, देउ सबै मिलि मंत्र विचारो
जाय सहाय भयो तबही, अहिरावण सैन्य समैत संहारो
को नहिं जानत है जग में कपि, संकटमोचन नाम तिहारो ॥7॥
काज किये बड़ देवन के तुम, वीर महाप्रभु देखि विचारो
कौन सो संकट मोर गरीब को, जो तुमसो नहिं जात है टारो
बेगि हरौ हनुमान महाप्रभु, जो कछु संकट होय हमारो
को नहिं जानत है जग में कपि, संकटमोचन नाम तिहारो ॥8॥
लाल देह लाली लसे, अरु धरि लाल लंगूर।
बज्र देह दानव दलन, जय जय जय कपि सूर ।।
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