धर्म-अध्यात्म

सीता नवमी पर पढ़ें इस तरीके से स्तुति आरती, होंगी माता सीता प्रसन्न

Teja
10 May 2022 5:21 AM GMT
सीता नवमी पर पढ़ें इस तरीके से स्तुति आरती, होंगी माता सीता प्रसन्न
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हर साल वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की नवमी को सीता नवमी मनाई जाती है

जनता से रिश्ता वेबडेस्क | हर साल वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की नवमी को सीता नवमी मनाई जाती है. मान्यता है कि इस दिन पुष्य नक्षत्र में माता सीता का प्राकट्य हुआ था. यही कारण है कि इस दिन भक्तजन माता सीता की विधि विधान से पूजा करते हैं उनकी आरती करते हैं. कहते हैं जब राजा जनक यज्ञ भूमि की तैयारी संतान प्राप्ति के लिए कर रहे थे तो उस वक्त भूमि से एक बच्ची का प्राकट्य हुआ. वह बच्ची कोई और नहीं माता सीता ही थीं. इस साल रामनवमी 10 मई को मनाई जा रही है. लोगों को इनकी स्तुति और आरती के बारे में पता होना चाहिए. पढ़ते हैं

श्री जानकी स्तुति
भई प्रगट कुमारी भूमि-विदारी जनहितकारी भयहारी
अतुलित छबि भारी मुनि-मनहारी जनकदुलारी सुकुमारी
सुन्दर सिंहासन तेहिं पर आसन कोटि हुताशन द्युतिकारी
सिर छत्र बिराजै सखि संग भ्राजै निज-निज कारज करधारी
सुर सिद्ध सुजाना हनै निशाना चढ़े बिमाना समुदाई
बरषहिं बहुफूला मंगल मूला अनुकूला सिय गुन गाई
देखहिं सब ठाढ़े लोचन गाढ़ें सुख बाढ़े उर अधिकाई
अस्तुति मुनि करहीं आनन्द भरहीं पायन्ह परहीं हरषाई
ऋषि नारद आये नाम सुनाये सुनि सुख पाये नृप ज्ञानी
सीता अस नामा पूरन कामा सब सुखधामा गुन खानी
सिय सन मुनिराई विनय सुनाई सतय सुहाई मृदुबानी
लालनि तन लीजै चरित सुकीजै यह सुख दीजै नृपरानी
सुनि मुनिबर बानी सिय मुसकानी लीला ठानी सुखदाई
सोवत जनु जागीं रोवन लागीं नृप बड़भागी उर लाई
दम्पति अनुरागेउ प्रेम सुपागे यह सुख लायउं मनलाई
दोहा
निज इच्छा मखभूमि ते प्रगट भईं सिय आय
चरित किये पावन परम बरधन मोद निकाय
सीता माता की आरती
आरती श्री जनक दुलारी की
सीता जी रघुवर प्यारी की
जगत जननी जग की विस्तारिणी
नित्य सत्य साकेत विहारिण
परम दयामयी दिनोधारिणी
सीता मैया भक्तन हितकारी की
आरती श्री जनक दुलारी की
सीता जी रघुवर प्यारी की
सती श्रोमणि पति हित कारिणी
पति सेवा वित्त वन वन चारिणी
पति हित पति वियोग स्वीकारिणी
त्याग धर्म मूर्ति धरी की
आरती श्री जनक दुलारी की
सीता जी रघुवर प्यारी की
विमल कीर्ति सब लोकन छाई
नाम लेत पवन मति आई
सुमीरात काटत कष्ट दुख दाई
शरणागत जन भय हरी की
आरती श्री जनक दुलारी की
सीता जी रघुवर प्यारी की


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