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सभी नौ ग्रहों में सबसे धीमी चाल शनिदेव की होती है. यही कारण है कि किसी एक राशि में शनि ढाई साल तक रहता है.
जनता से रिश्ता वेबडेस्क | सभी नौ ग्रहों में सबसे धीमी चाल शनिदेव की होती है. यही कारण है कि किसी एक राशि में शनि ढाई साल तक रहता है. जिसे शनि की ढैय्या कहते हैं. शनिदेव आखिर इतनी धीमी चाल क्यों चलते हैं? शनिदेव की धीमी चाल के बारे में शास्त्रों बताया गया है. दरअसर शनिदेव की धीमी चाल का कनेक्शन रावण के क्रोध से है. जानते हैं शनिदेव की धीमी चाल के रहस्य के बारे में.
पुत्र को दीर्घायु बनाना चाहता था रावण
कहते हैं कि रावण ज्योतिष शास्त्र के साथ साथ धर्म के विषयों का बहुत जानकार था. रावण अपने पुत्र मेघनाद को दीर्घायु बनाना चाहता था. जब मेघनाद अपनी माता के गर्भ में था तो मंदोदरी ने रावण से इच्छा जताई कि उसका नवजात ऐसे नक्षत्र में पैदा हो, जिससे की वह पराक्रमी, कुशल योद्धा और तेजस्वी बन सके.
रावण से भयभीत रहते थे सभी ग्रह-नक्षत्र
रावण से सभी ग्रह-नक्षत्र भयभीत रहते थे. इसलिए उसने सभी ग्रह-नक्षत्रों को आदेश दिया कि उसके पुत्र के जन्म के समय शुभ दशा में रहे. रावण के आदेश पर सभी ग्रह शुभ स्थिति में आ गए, लेकिन शनिदेव ने रावण के इस आदेश को नहीं माना. रावण को इस बात की जानकारी थी कि शनिदेव आयु की रक्षा करते हैं. साथ ही वह यह भी जानता था कि शनिदेव इतनी आसानी से उसकी बात मानने वाले नहीं हैं.
रावण ने किया गदा शनिदेव के पैर पर प्रहार
रावण अपनी शक्तियों का प्रयोग करते हुए शनिदेव को भी इस स्थिति में रखा, जिससे कि उसके पुत्र दीर्घायु हो सके. हालांकि शनिदेव रावण की मनचाही स्थिति में तो रहे, लेकिन मेघनाद के जन्म के समय उन्होंने अपनी दृष्टि वक्री कर ली. जिस कारण मेघनाद अल्पायु हो गया. कहते हैं कि शनि की इस हरकत से रावण क्रोधित हो गया और अपनी गदा से शनि के पैर पर प्रहार किया. तभी से शनिदेव लंगड़ाकर चलने के लिए बाध्य हो गए. यही कारण है कि शनि की चाल धीमी होती है.
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