धर्म-अध्यात्म

शिव तांडव स्त्रोत में रावण ने भगवान शिव की स्तुति 17 श्लोकों में गाई है. महादेव को यह स्त्रोत बहुत ही प्रिय है. इसका धार्मिक महत्त्व

Neha Dani
10 July 2023 1:53 PM GMT
शिव तांडव स्त्रोत में रावण ने भगवान शिव की स्तुति 17 श्लोकों में गाई है. महादेव को यह स्त्रोत बहुत ही प्रिय है. इसका धार्मिक महत्त्व
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धर्म अध्यात्म: सावन के महीने में भगवान शिव की पूजा करने पर उनसे मनचाहा वरदान पाया जा सकता है. सावन का पवित्र महीना भगवान भोलेनाथ की पूजा के लिए बहुत ही खास माना जाता है. इस पवित्र महीने में शिव की साधना जिस भी रूप में की जाए विशेष फलदायी होती है. भगवान शिव को प्रिय शिव तांडव स्त्रोत का पाठ करने से महादेव प्रसन्न होकर अपनी कृपा बरसाते हैं. शिव तांडव स्त्रोत को रावण स्त्रोत भी कहा जाता है. दरअसल इस स्त्रोत की रचना लंकापति रावण ने की थी. शिव तांडव स्त्रोत में रावण ने भगवान शिव की स्तुति 17 श्लोकों में गाई है. महादेव को यह स्त्रोत बहुत ही प्रिय है इसीलिए जो भी साधक इस स्त्रोत का पाठ करता है उससे महादेव जल्द प्रसन्न होते हैं. क्या हैं इस चमत्कारी स्त्रोत के पाठ के फायदे जानें यहां. शिव का चौथा ज्योतिर्लिंग है ओंकारेश्वर, यहां रोज रात को आते हैं शिव-पार्वती क्या हैं शिव तांडव स्त्रोत का फायदा शिव तांडव स्त्रोत का पाठ रोजाना करने से जीवन में पैसे से जुड़ी परेशानियों से मुक्ति मिलती है और घर धन-संपत्ति से भर जाता है. शिव तांडव स्त्रोत का पाठ करने से आत्मविश्वास बढ़ता है और चेहरे पर अलग ही तेज आने लगता है. महादेव के प्रिय शिव तांडव स्त्रोत का पाठ करने से कुंडली में मौजूद काल सर्प योग और पित्र दोष में फायदा मिलता है. मान्यता है कि शिव तांडव का पाठ हर दिन करने से वचन सिद्धि की प्राप्ति की जा सकती है. कुंडली में मौजूद शनि दोष को दूर करने के लिए हर दिन शिव तांडव स्त्रोत का पाठ करना चाहिए. हर दिन शिव तांडव स्त्रोत का पाठ करना संभव न हो तो सोमवार और शनिवार को पाठ जरूर करना चाहिए.
क्या है शिव तांडव स्त्रोत का महत्व हिंदू धर्म के अनुसार तांडव भगवान महादेव की एक नृत्य मुद्रा है, जिसमें क्रोध नजर आता है. सनातन धर्म में शिव तांडव का विशेष महत्व है. शास्त्रों में कहा गया है कि शिव तांडव में सिर्फ क्रोध ही नहीं बल्कि लीलाएं भी मौजूद हैं. शिव जब तांडव करते हुए अपना तीसरी आंख खोल देते हैं तो धरती पर प्रलय आ जाती है.जब भोलेनाथ डमरू बजाकर तांडव करते हैं तो वह परम आनंद की मुद्रा में होते हैं. आनंदमय तांडव के समय वह नटराज कहे जाते हैं. भगवान भोलेनाथ के परम भक्त लंकापति रावण ने अपने आराध्य की स्तुति के लिए शिव तांडव स्त्रोत रचा था.
कैसे करें शिव तांडव स्त्रोत का पाठ महादेव को प्रिय शिव तांडव स्त्रोत का पाठ सूर्योदय के वक्त करना काफी फलदायी होता है. पाठ करने से पहले स्नान आदि करके साफ कपड़े पहनने चाहिए उसके बाद भगवान शिव की प्रतिमा को प्रणाम कर उनके सामने धूप और दीप प्रज्वलित करना चहिए. स्तुति से पहले शिव को उनका प्रिय बेलपत्र, भांग, धतूरा जरूर अर्पण करना चाहिए.जलाभिषेक के बाद सही शब्दों के साथ शिव तांडव स्त्रोत का पाठ शुरू करना चाहिए. इस पाठ को करने से महादेव प्रसन्न होकर भक्तों की मनोकामना पूर्ण करते है। |
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