धर्म-अध्यात्म

दशहरा पर बना दुर्लभ योग, जानिए विजयदशमी का शुभ मुहूर्त

Subhi
5 Oct 2022 5:44 AM GMT
दशहरा पर बना दुर्लभ योग, जानिए विजयदशमी का शुभ मुहूर्त
x
आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि पर हर साल दशहरा का पर्व मनाया जाता है। बुराई पर अच्छाई की जीत के रूप में आज ये पर्व धूमधाम से मनाया जा रहा है। जगह-जगह पर रावण दहन किया जाएगा।

आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि पर हर साल दशहरा का पर्व मनाया जाता है। बुराई पर अच्छाई की जीत के रूप में आज ये पर्व धूमधाम से मनाया जा रहा है। जगह-जगह पर रावण दहन किया जाएगा। शास्त्रों के अनुसार आज के दिन बिना किसी मुहूर्त के शुभ कार्य किए जा सकते हैं। आज का पूरा दिन ही काफी शुभ होता है।

आज के दिन आदर्शवादी प्रभु श्रीराम ने लंकापति रावण को वध करके अहंकार और अधर्म का नाश किया था। दशहरा के पर्व को काफी माना जाता है। इस दिन मांगलिक और शुभ कार्य करना अच्छा मानते हैं। आज के दिन बिना किसी शुभ मुहूर्त को देखे मुंडन, छेदन, भुमि पूजन, नया व्यापार, वाहन आदि खरीदना शुभ माना जाता है। इस साल दशहरा के दिन काफी दुर्लभ संयोग बन रहा है। जानिए दशहरा का शुभ मुहूर्त और पूजा विधि।

दशहरा 2022 शुभ मुहूर्त और दुर्लभ योग

विजय मुहूर्त- 4 अक्टूबर दोपहर 2 बजकर 13 मिनट से अगले दिन 5 अक्टूबर दोपहर 3 बजे तक

श्रवण नक्षत्र - 04 अक्टूबर 2022 को रात 10:51 से शुरू होकर अगले दिन 5 अक्टूबर 2022 को रात 09:15 तक रहेगा

रवि योग : 5 अक्टूबर को सुबह 06:30 से रात 09:15 तक।

सुकर्मा योग : 4 अक्टूबर सुबह 11:23 से अगले दिन 5 अक्टूबर सुबह 08:21 तक।

धृति योग : 5 अक्टूबर सुबह 08:21 से अगले दिन 6 अक्टूबर सुबह 05:18 तक।

दशहरा 2022 अशुभ मुहूर्त

राहुकाल- 5 अक्टूबर सुबह 11 बजकर 56 मिनट से दोपहर 1 बजकर 24 मिनट तक

यम गण्ड - सुबह 7:34 से 9:01 तक

कुलिक - सुबह 10:29 से 11:56 तक

दशहरा पर ग्रहों की स्थिति

दशहरे के दिन ग्रहों की स्थिति में परिवर्तन के कारण हर राशि के जातकों के जीवन पर असर पड़ेगा।

दशहरा के दिन लग्न में कन्या राशि में सूर्य, बुध और शुक्र ग्रह की युति हो रही है।

गुरु बृहस्पति अपनी स्वराशि मीन राशि में बैठे हुए हैं।

शनि अपनी स्वराशि मकर राशि में बैठे हुए है।

मेष राशि में राहु विराजमान है।

केतु ग्रह तुला राशि में विराजमान है।

मंगल वृषभ में विराजमान रहेंगे।

दशहरा 2022 पूजा विधि

आश्विन मास की दशमी तिथि को सभी कामों से निवृत्त होकर स्नान कर लें। इसके बाद इस मंत्र के साथ संकल्प लें।

मम क्षेमारोग्यादिसिद्ध्‌यर्थं यात्रायां विजयसिद्ध्‌यर्थं

गणपतिमातृकामार्गदेवतापराजिताशमीपूजनानि करिष्ये।

इसके बाद देवी-देवता, शमी, अस्त्र, शस्त्र आदि का पूजा करें। इसके साथ ही देवी अपराजिता की पूजा विधिवत तरीके से करें।


Next Story